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Last Modified: रविवार, 12 जनवरी 2020 (11:14 IST)

JNU Violence : 5 जनवरी को हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने की 7 और छात्रों की पहचान

JNU Violence : 5 जनवरी को हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने की 7 और छात्रों की पहचान - jnu violence delhi police sources 7 more students have been identified
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 5 जनवरी को हुई हिंसा मामले में 7 और छात्रों की पहचान कर ली गई है।
 
दिल्ली पुलिस के मुताबिक हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और तस्वीरों से 7 और छात्रों की पहचान की गई है। इसके साथ ही मामले में वार्डन, 13 सुरक्षा गार्ड और पांच छात्रों के बयान भी दर्ज किए गए। 
 
छात्रसंघ ने लगाया अनदेखी का आरोप : जेएनयू छात्रसंघ ने शनिवार को आरोप लगाया कि पुलिस को 5 जनवरी को हिंसा होने से बहुत पहले भीड़ के जमा होने की सूचना दी गई थी जिसकी उसने अनदेखी की।
 
जेएनयू छात्रसंघ ने दावा किया कि उन्हें अपराह्न तीन बजे इसकी सूचना दी गई और अपराह्न तीन बजकर सात मिनट पर पुलिस इसे पढ़ चुकी थी, बावजूद इसके अनदेखी की गई।
 
उसने यह भी आरोप लगाया कि छात्राओं और छात्रसंघ पदाधिकारियों पर हमले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के लोग शामिल थे।
 
छात्रसंघ ने कहा कि अभाविप सदस्यों ने 4 जनवरी को भी छात्राओं के साथ मारपीट की थी और जब छात्रसंघ महासचिव सतीश चंद्र यादव ने हस्तक्षेप किया तो उनके साथ भी मारपीट की गई।
 
छात्रसंघ ने कहा कि हमलावरों ने साबरमती छात्रावास के चुनिंदा कमरों को निशाना बनाया और यहां तक की छात्रों को बालकनी से बाहर फेंक दिया लेकिन उन्होंने अभाविप कार्यकर्ताओं के कमरों को नहीं छुआ।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की प्रेस वार्ता बनावटी थी। यह अभाविप के संवाददाता सम्मेलन जैसी थी।
 
छात्रसंघ ने कहा कि जब हम मानव संसाधन विकास मंत्रालय गए, तो उन्होंने बताया कि कुलपति ने यहां आकर चर्चा की और वह छात्रावास के बढ़े शुल्क वापस लेने के लिए तैयार हैं। हमने उनसे परिपत्र जारी करने को कहा।
 
उन्होंने कहा कि परिपत्र जारी किया जाएगा लेकिन छात्रों को भी मुद्दे का समाधान करने के लिए सहयोग दिखाने की जरूरत है।
 
छात्रसंघ ने कहा कि हम उन्हें दिखाना चाहते थे कि छात्र पहला कदम उठा रहे हैं और पंजीकरण कराने की दिशा में बढ़ रहे हैं, लेकिन हम सिर्फ ट्यूशन फीस देंगे और प्रशासन को बढ़े हुए छात्रावास शुल्क को वापस लेना चाहिए।
 
अगर वे इसे वापस नहीं लेंगे तो छात्रसंघ मानव संसाधन विकास मंत्रालय को बताएगा कि प्रशासन की मंशा साफ नहीं है।
 
छात्रसंघ ने आरोप लगाया कि जूएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष ने 5 जनवरी को अपराह्न तीन बजे परिसर में डर और आतंक के माहौल के बारे में पुलिस को सूचित किया लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
 
जेएनयूएसयू ने आरोप लगाते हुए कहा कि घोष ने वसंत कुंज (उत्तर) के थानाध्यक्ष ऋतु राज, निरीक्षक संजीव मंडल और संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद मोहन को व्हाट्सएप्प पर अपराह्न तीन बजे परिसर में हिंसा के बारे में संदेश भेजा।
 
थानाध्यक्ष ने तीन बजकर सात मिनट पर संदेश देख लिया था और घोष ने इस बारे में तीन बजकर 35 मिनट पर फोन पर मंडल से बात की थी।
 
छात्रसंघ ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने जांच के दौरान प्रेस को अपनी रिपोर्ट जारी की और वाम दलों का नाम लिया। उन्होंने अभाविप का नाम नहीं लिया और पुलिस उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है।
 
जेएनयूएसयू अध्यक्ष ने कहा कि यह वामपंथ बनाम दक्षिणपंथ नहीं है। यह सही बनाम गलत है। जेएनयू प्रशासन सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं दिखा रहा है? हम इस कुलपति के साथ सहयोग नहीं कर सकते हैं। कुलपति को हटाया जाना ही एकमात्र विकल्प है।
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