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Last Updated : मंगलवार, 19 अप्रैल 2022 (13:23 IST)

कौन हैं ‘रोहिंग्या मुस्लिम’, क्‍या दिल्‍ली दंगों से है इनका ‘कनेक्‍शन’?

jahangirpuri riots
दिल्‍ली में हनुमान जयंती की शोभायात्रा में हुए हमले के बाद इस हमले का कनेक्‍शन रोहिंग्‍या मुस्‍लिमों के साथ जोड़ा जा रहा है। भाजपा ने अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों और रोहिंग्‍याओं को हमले का जिम्मेदार ठहराया है।

दिल्ली BJP अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार पर दिल्ली में अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों को बिजली और पानी की सुविधाएं देने का आरोप लगाया।

हिंसा फैलाने का आरोपी मोहम्‍मद अंसार जिसे हाल ही में पुलिस ने धरा है, उसके बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि बहस और हिंसा से पहले उसके पास फोन आया था। फोन पर उसने बातचीत की और इसके बाद वो जुलूस में गया, जहां बहस हुई और फिर हिंसा भड़की।

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर कौन हैं रोहिंग्‍या मुस्‍लिम और भारत में इनकी कितनी आबादी है।

रोहिंग्या एक स्टेटलेस यानी राज्यविहीन जातीय समूह हैं। जिसका अर्थ है कि इनका कोई रहने का अधिकारिक ठिकाना नहीं है। ये इस्लाम को मानते हैं और म्यांमार के रखाइन प्रांत से आते हैं। 1982 में बौद्ध बहुल देश म्यांमार ने रोहिंग्या की नागरिकता छीन ली थी।

उन्हें शिक्षा, सरकारी नौकरी समेत कई अधिकारों से अलग कर दिया गया। तब से म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा जारी है। 2017 में हुए रोहिंग्या के नरसंहार से पहले म्यांमार में उनकी आबादी करीब 14 लाख थी।

2015 के बाद से म्यांमार से 9 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी भागकर बांग्लादेश और भारत समेत आसपास के अन्य देशों में जा चुके हैं। अकेले बांग्लादेश में रोहिंग्या की संख्या 13 लाख से ज्यादा है।

क्‍या कहती है UNHRC की रिपोर्ट?
यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज यानी UNHRC के अनुसार, दिल्ली में 1000 रोहिंग्या शरणार्थी रजिस्टर्ड हैं। हालांकि, इनकी वास्तविक संख्या इससे ज्यादा भी हो सकती है, इसलिए इनकी संख्‍या के बारे में कुछ भी ठीक से कहा नहीं जा सकता।

भारत में रोहिंग्या की बसावट के मामले में दिल्ली प्रमुख स्थानों में से एक है। दिल्ली में कम से कम 5 ऐसे अनौपचारिक शिविर हैं, जहां रोहिंग्या की आबादी बड़ी संख्या में है।

यहां जसोला, यमुना नदी के किनारे, श्रम विहार, कंचन विहार और साउथ दिल्ली स्थित मदनपुर खादर समेत पांच ऐसे इलाके हैं, जहां रोहिंग्या मुस्लिमों की आबादी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में रोहिंग्या मुस्लिम अपना धर्म तक बदलने लगे हैं।

तेजी से बढ़ रही आबादी
भारत में 2012 के बाद से रोहिंग्या मुस्लिमों की संख्या तेजी से बढ़ी है। गृह मंत्रालय ने UNHRC के हवाले से बताया कि भारत में दिसंबर 2021 तक 18 हजार रोहिंग्या मुस्लिमों के होने की जानकारी है।

2017 में मोदी सरकार ने राज्य सभा में बताया था कि भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे हैं।
सरकार ने कहा था कि महज 2 साल के अंदर ही देश में रोहिंग्या की आबादी 4 गुना बढ़ गई।

सरकार के मुताबिक, देश में रोहिंग्या विशेषकर जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, दिल्ली-NCR, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मणिपुर में हैं।

सरकार ने कहा था कि देश में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या के लिए कोई शरणार्थी कैंप नहीं है। सरकार अवैध रोहिंग्या को उनके देश वापस भेजने की तैयारी कर रही है।

ह्यूमन राइट्स वॉच यानी HRW के मुताबिक भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या देश के कई हिस्सों में कैंप और झुग्गियों में रहते हैं।

करीब 5 हजार रोहिंग्या मुस्लिम जम्मू-कश्मीर के आसपास के इलाकों में रहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इनकी संख्या 10 हजार के करीब हो सकती है।