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Last Modified: रविवार, 8 सितम्बर 2019 (18:50 IST)

ऑर्बिटर ने ली लैंडर विक्रम की तस्वीर, चंद्रयान-2 से संपर्क पर ISRO के अधिकारी का बड़ा बयान

ऑर्बिटर ने ली लैंडर विक्रम की तस्वीर, चंद्रयान-2 से संपर्क पर ISRO के अधिकारी का बड़ा बयान - ISRO officer on connection on Chandrayaan with Lander Vikram
बेंगलुरु। इंडियन स्पेस रिचर्स ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) को लैंडर विक्रम (Lander vikram) का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की तस्वीर भेजी है। चंद्रयान-2 के ‘लैंडर’ विक्रम से संपर्क बहाल करने की कोशिश जारी रखे हुए हैं लेकिन विशेषज्ञों ने कहा है कि समय निकलता जा रहा है और संपर्क बहाल होने की संभावना कम होती जा रही है।
 
इसरो प्रमुख के. सिवन ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी 14 दिनों तक लैंडर से संपर्क बहाल करने की कोशिश करेगी। चंद्रयान-2 में लगे कैमरों से चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम का रविवार को पता चलने के बाद उन्होंने दोहराया कि ये (संपर्क बहाल करने की) कोशिशें जारी रहेंगी। हालांकि अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा..संपर्क बहाल करना मुश्किल होगा।
 
एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि, सही अनुकूलन के साथ यह अब भी ऊर्जा पैदा कर सकता है और सौर पैनल के जरिए बैटरियों को रिचार्ज कर सकता है। उन्होंने कहा, 'लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा संभावना कम होती चली जाएगी।'
 
इसरो के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा चंद्रमा की सतह पर विक्रम की हार्ड लैंडिंग ने दोबारा संपर्क कायम करने को मुश्किल बना दिया है क्योंकि यह सहजता से और अपने चार पैरों के सहारे नहीं उतरा होगा। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते लगे झटकों के चलते लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा।
 
लैंडर को पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए और एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के करीब 14 दिनों के बराबर) काम करने के लिए डिजाइन किया गया था।
 
सिवन ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के चंद्रमा की सतह पर होने का पता चला है और लैंडर ने निश्चित ही ‘हार्ड लैंडिंग’ की है। इसी के साथ सिवन ने स्वीकार कर लिया कि नियोजित ‘सॉफ्ट लैंडिंग” सफल नहीं रही।
 
गौरतलब है कि इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था और चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर उसका संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया था।
 
चंद्रमा पर खोज के लिए देश के दूसरे मिशन का सबसे जटिल चरण माने जाने के दौरान लैंडर चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के बिलकुल करीब था, जब इससे संपर्क टूट गया। चंद्रयान-2 के लैंडर का वजन 1,471 किग्रा है।