नर्क सी जिंदगी, बच्चियों को सैनेटरी पैड नहीं, पोस्टमार्टम में पेट खाली मिले, पत्तल चाटते थे युगपुरुष आश्रम के बच्चे
समय गुरुवार शाम पौने 7 बजे। स्थान युगपुरुष आश्रम धाम इंदौर। यह शारीरिक और मानसिक रूप से निशक्त बच्चों (दिव्यांग) का आश्रम है। यह आश्रम फिलहाल यहां हुई 6 निशक्त बच्चों की संदिग्ध मौत को लेकर चर्चा में है। थोड़ी- थोड़ी देर में यहां अधिकारियों की आवाजाही लगी है। इनमें एसडीएम और तहसीलदार शामिल हैं।
आश्रम के दोनों गेट पर ताला लगा है। सिर्फ तभी ताला खोला जाता है जब कोई सरकारी अफसर यहां आता है। मीडिया के लिए एंट्री यहां पूरी तरह से प्रतिबंधित है। गेट पर मौजूद एक शख्स से बात कर वेबदुनिया टीम ने किसी तरह यहां आश्रम में एंट्री ली।
अधिकारी नहीं उठा रहे फोन : इस पूरे मामले में प्रशासन का पक्ष जानने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह और महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी रामनिवास बुधेलिया को कई बार कॉल किए गए, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। यहां तक कि दोनों अधिकारियों को मैसेज भी किया गया, लेकिन उन्होंने मैसेज का जवाब देना भी उचित नहीं समझा।
नर्क सी जिंदगी जीते हैं बच्चे : अंदर पहुंचते ही जो सबसे पहले महसूस हुआ वो यहां का बदबूदार वातावरण था। हालांकि हम ग्राउंड फ्लोर पर ही थे। जिन बच्चों की मौत हुई वे और उनके साथ रहने वाले अन्य बच्चे सबसे ऊपर की मंजिल पर रहते हैं। जिन 6 बच्चों की मौत हुई उसकी वजह पहले इन्फेक्शन बताया गया। बाद में डायरिया और फिर हैजा बताया गया। जो बच्चे यहां रहते हैं वे नर्क सी जिंदगी जीते हैं। उनके खाने पीने से लेकर पहनने और नहाने तक पर ध्यान नहीं दिया जाता है। जो बच्चे बोल नहीं सकते या अपने हाथों से खा नहीं सकते वे तो यहां भूखे ही मरते हैं।
बच्चियों को सैनेटरी पैड तक नहीं दिए जाते : बच्चों की मौत की वजह चाहे जो हो, वे अब मौत के गाल में समा चुके हैं, लेकिन यहां पहुंचने पर जो सामने आया उसे देखकर लगता है कि बच्चे यहां नर्क सी जिंदगी जी रहे हैं। युगपुरुष आश्रम एक तरह से पृथ्वी पर जीता जागता नर्क है। वेबदुनिया के सोर्स और महिला बाल विकास के कुछ कर्मचारियों के मुताबिक यहां तीन- तीन दिनों तक डायपर बदले नहीं जाते थे। वयस्क बच्चियों को माहवारी आने पर न तो कभी सैनेटरी पैड दिए गए और न ही सुरक्षा के लिए कोई अन्य कपड़ा। जानकारी सामने आ रही है कि पैड नहीं बदलने से बच्चियों के खून में संक्रमण भी हुआ था।
सिर के बालों में गठाने आ गईं : युगपुरुष आश्रम धाम में बदहाली का आलम किस हद तक था इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई कई हफ्तों तक बच्चों को नहलाया नहीं जाता है। इस वजह से उनके सिर के बालों में गठानें आ गईं। बच्चों के कपड़े इस हाल में बताए जा रहे हैं कि यह कह पाना मुश्किल है कि वे पहनने के कपड़े हैं या पौंछा लगाने के। उनमें से बदबू आती है।
पत्तल चाटते हैं बच्चे : आश्रम की बर्बरता और निर्दयता की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जानकारी सामने आई है कि तमाम तरह के फंड और दान में भोजन और फल फ्रूट मिलने के बावजूद कई बच्चे भूखे रहते थे। कई बच्चे अपने हाथ से खाना नहीं खा पाते थे। उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे पत्तल चाटते थे। बच्चों की मौत की इस पूरी घटना के दौरान एक 7 साल की बच्ची एक कमरे में बदहवास हालत में बैठी थी। उसे हाथ लगाया गया तो वो लुढक गई। जो 6 बच्चे मरे हैं, उनमें दीया नाम की यह बच्ची भी शामिल है। जांच दल के माध्यम से यह भी सामने आ रहा है कि जिन बच्चों को मरने के बाद पोस्टमार्टम किया गया, उनके पेट में कुछ नहीं मिला। कहा तो यहां तक जा रहा है कि निशक्त बच्चों को मारा-पीटा भी जाता था।
3 ट्रक मलबा निकला आश्रम से : 6 बच्चों की मौत के बाद आश्रम में लगातार साफ सफाई हो रही है। पूरा आश्रम धोया गया। तीन दिनों पहले किचन की सफाई और पुताई की गई। पूरे आश्रम की सफाई के बाद यहां से 3 ट्रक मलबा और कबाड़ निकाला गया है। गंदे कपड़े, टूटे हुए फर्निचर, दीमक लगे और सड़ चुके बिस्तर, सड़ा हुआ बदबूदार अनाज, जूते चप्पल, अटाला यह सब हाल ही में निकाला गया है। आसपास के रहवासियों ने वेबदुनिया को बताया कि यहां बड़ी मात्रा में दानदाता खाने-पीने की चीजें देते हैं। लेकिन वो बच्चों को कभी मिला ही नहीं
क्या कर रहा था महिला बाल विकास विभाग : बता दें कि यहां रहने वाले बच्चों की जांच और उनके साथ होने वाले बर्ताव आदि को देखने की जिम्मेदारी महिला और बाल विकास विभाग के पास ही रहती है। लेकिन यह विभाग कभी आश्रम पहुंचा ही नहीं और बच्चों की खैरखबर तक नहीं ली गई।