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इंदौर बावड़ी हादसा : शेड और दीवार हटा देते तो बच सकती थीं कुछ जाने, 13 अर्थियों का खौफनाक मंजर देख सिहर उठे लोग

इंदौर के पटेल नगर से शमशान भूमि तक वेबदुनिया की आंखों- देखी

इंदौर बावड़ी हादसा :  शेड और दीवार हटा देते तो बच सकती थीं कुछ जाने, 13 अर्थियों का खौफनाक मंजर देख सिहर उठे लोग - Indore Bawdi incident: Had shed and wall been removed, some lives could have been saved
इंदौर। पटेल नगर में बेलेशाश्वर महादेव मंदिर परिसर में बावड़ी हादसे में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। पहला तो यहां रेस्क्यू टीम ने पहुंचने में कई घंटे लगा दिए वहीं, प्रत्यक्षदर्शी लोगों से वेबदुनिया की बातचीत में सामने आया की बावड़ी के पास बनी दीवार और शेड को हटाने नहीं दिया, अगर इन्हें हटा दिया जाता तो रेस्क्यू ऑपरेशन में इतनी दिक्कत नहीं आती और कुछ लोगों को समय रहते बचाया जा सकता था।

अपना नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर एक प्रत्यक्ष दर्शी ने बताया की सुबह करीब साढ़े 11 बजे बावड़ी की छत गिरने की घटना हुई थी, लेकिन नगर निगम की टीम कई घंटों बाद पहुंची। तब तक आम लोगों ने ही कई घायलों को बाहर निकाल लिया था। उमराव सिंह ने बताया की जितने भी लोग बचे हैं उन्हें आम नागरिकों ने ही रेस्क्यू किया।

पंप के लिए चिल्लाते रहे लोग
रात के करीब 8 बजकर 25 मिनट पर रेस्क्यू टीम ने अपने उपकरण वाहनों में से निकाले। आलम यह था की बावड़ी के पानी को वॉटर पंप से निकालने के लिए नागरिक चिल्लाते रहे और प्रशासन के कर्मचारियों से कहते रहे। वे अपील करते रहे की पंप लगाओ तो बावड़ी का पानी बाहर निकाला जा सके। लेकिन इस मामले में भी कर्मचारियों ने सतर्कता नहीं बरती।

क्‍यों नहीं हटाने दिया शेड और दीवार?
लोगों ने वेबदुनिया को बताया की यह मालूम होने के बावजूद की बावड़ी में कई लोग गिर चुके हैं, रेस्क्यू के लिए बावड़ी के ऊपर लगा टीन शेड और बावड़ी से सटी दीवार को नहीं तोड़ा गया। नागरिकों ने बताया की दीवार और शेड हटा देते तो रेस्क्यू के लिए जगह हो जाती और उपकरण लगाने में आसानी होती। ऐसे में ज्यादा लोगो की जान बचाई जा सकती थी। लेकिन प्रशासन ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया।

एक साथ निकली 13 अर्थिया
पटेल नगर में बेलेश्‍वर महादेव मंदिर से सटी गली के हर घर के आंगन में एक शव रखा नजर आया। भारी सुरक्षा के बीच शवों को अस्पताल से पोस्टमार्टम के बाद घर लाया गया। यहां घरों में पहले से ही अर्थियां सजाकर रखी गईं थी। चारों तरफ रोना और चीख पुकार थी। पटेल नगर की इस गली में कोई ऐसा घर नहीं था, जहां का सदस्य बावड़ी हादसे का शिकार न हुआ हो। शाम 4 बजे यहां से एक साथ 13 शवयात्राएं निकाली गईं तो हर कोई देखकर सिहर उठा।

प्रशासन की लापरवाही पर गुस्‍साए लोग
इस गमजादा और खौफ से भरे पर माहोल में रेस्क्यू में प्रशासन की लापरवाही ने परिजनों और लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया। स्थिति यह की लोग यहां कवरेज कर रहे मीडिया पर भी भड़क रहे थे। फोटो लेते और वीडियो बनाते मीडियाकर्मी के साथ कई बार लोगों की बहस हुई। दरअसल, यह दुर्भाग्यपूर्ण मौका था ही ऐसा कि इस हादसे, और हादसे से जुड़ी लापरवाही की वजह से हर कोई गुस्से और नाराज़गी से भरा था।

कैसे हुआ था हादसा?
बता दें कि गुरुवार को रामनवमी के अवसर पर इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर पर स्‍थित बावड़ी की छत ढह गई थी। मंदिर परिसर में बनी बावड़ी की छत पर हवन के लिए कई लोग खडे थे। उन्‍हें नहीं पता था जहां वे खड़े हैं, वो बावड़ी की छत है। वजन और दबाव ज्‍यादा होने की वजह से छत ढह गई और लोग गहरी बावड़ी में जा गिरे। इनमें बच्‍चे और महिलाएं भी शामिल थे। इस हादसे में करीब 36 लोगों की मौत हो गई। देर रात तक रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में कई लोगों को बाहर निकाला गया।
Edited by navin rangiyal/ फोटो जर्नलिस्‍ट : धर्मेंद्र सांगले