भारत के चन्द्रमा पर पहुंचने के मिशन को लगा 'ग्रहण', टला मिशन चन्द्रयान-2
भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चन्द्रयान-2 को एक बार फिर झटका लगा है। गत वर्ष तक ऐसा लग रहा था कि साल 2018 में भारत का ये सपना पूरा हो जाएगा लेकिन अब इस सपने झटका लगा है। इसे इसी वर्ष अक्टूबर के पहले सप्ताह में भेजा जाना था लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते ऐसा नहीं हो पाएगा।
चन्द्रयान मिशन के टलने से भारत चन्द्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश नहीं बन पाएगा। भारत और इजरायल के बीच चांद पर पहुंचने वाले दुनिया के चौथा देश बनने की दौड़ थी। खबरों के मुताबिक इसे 2019 तक के लिए टाल दिया गया है।
चन्द्रमा पर पहुंचने वाले तीन देशों की लिस्ट में पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे पर रूस और तीसरे पर चीन है। अब दो एशियाई देशों के बीच प्रतियोगिता हो रही है कि कौन चौथा स्थान हासिल करेगा। अब देखना होगा कि इजरायल भारत से पहले चन्द्रमा पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा पाता है या नहीं। इजरायल का 600 किमी का लूनर सैटलाइट चौथे नंबर की रेस में भारत से आगे निकल सकता है।
800 करोड़ का मिशन : यह भारत की दूसरी चन्द्रमा यात्रा थी। इसके अलावा भारत के मून रोवर की पहली तस्वीर भी इसरो के 800 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट चंद्रयान-2 मिशन का ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 पूरी तरह से विदेश में विकसित मिशन है। चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान का वजन करीब 3,290 किलोग्राम है और वह चांद के चारों ओर चक्कर लगाते हुए आंकड़े एकत्रित करेगा।
सूत्रों के अनुसार चांद पर जीएसएलवी एमके 2 की बजाय तीन उतरेगा क्योंकि इस स्पेस्क्राफ्ट की क्षमता पहले वाले से ज्यादा है। जीएसएलवी एमके 2 के पास तीन टन उठाने की क्षमता है लेकिन जीएसएलवी एमके 3 के पास चार टन उठाने की क्षमता है।