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Last Modified: गुरुवार, 25 जुलाई 2019 (17:55 IST)

मिल रहे हैं 5 रुपए, जानिए आखिर रेलवे क्या करता है क्रशिंग बॉटल्स का

Indian railways
नई दिल्ली। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। दुनिया भर में इस बढ़ते प्लास्टिक को लेकर कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसी दिशा में भारतीय रेलवे एक नायाब तरीका खोजा है। रेलवे पानी की इन खाली प्लास्टिक की बोतलों से टी-शर्ट और टोपी बना रहा है।

पानी की खाली बोतलें इकट्ठा करने के लिए रेलवे ने स्टेशनों पर रिवर्स वेंडिंग मशीन लगाने की शुरुआत की है। इससे प्लास्टिक की खाली बॉटल देने वाले को भी फायदा होगा।

उसे प्रति बॉटल करीब 5 रुपए मिलेंगे। पूर्व-मध्य रेलवे के चार स्टेशनों- पटना जंक्शन, राजेंद्रनगर, पटना साहिब और दानापुर स्टेशन पर ऐसी मशीनें लगाई गई हैं जिसमें पानी की खाली प्लास्टिक बॉटल्स को क्रश कर इससे टी-शर्ट और टोपी बनाई जा रही हैं।
पूर्व-मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) के मुताबिक रेलवे स्टेशनों पर बेकार पड़े रहने वाली खाली पानी की प्लास्टिक बोतलों से पूर्व मध्य रेलवे अब टी-शर्ट बना रही है।

रेलवे स्टेशनों पर लगे बोतल क्रशर मशीन से प्लास्टिक का इस्तेमाल टी-शर्ट बनाने के लिए होगा। ये टी शर्ट्‍स सभी मौसम में पहनने लायक होंगी। टी-शर्ट बनाने के लिए रेलवे का मुंबई की एक कंपनी से करार हुआ है। जल्द ही इन प्लास्टिक की बॉटल्स से बनी टी-शर्ट बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध होगी।
 
एक अनुमान के अनुसार भारत विश्व में उपभोग होने वाले प्लास्टिक का दो से तीन प्रतिशत उपभोग करता है। प्रति व्यक्ति प्रतिदिन प्लास्टिक औसत खपत 7 से 8 किलोग्राम है। अकेले रेलवे में पानी की बोतल के कुल कचरे का 5 प्रतिशत इसमें योगदान होता है।
 
वाउचर के रूप में मिलेंगे : यात्रियों को खाली बोतल के लिए 5 रुपए मिलेंगे। ये 5 रुपए उन्हें वाउचर के रूप में रेलवे की एजेंसी बायो-क्रश की ओर से मिलेंगे। इन रुपयों का प्रयोग कई चुनिंदा दुकानों और मॉल में सामान खरीदने के लिए किया जा सकेगा।