पुलवामा हमले के बाद तैयार थी नौसेना, विमानवाहक पोत और परमाणु पनडुब्बी ने संभाला था मोर्चा
नई दिल्ली। पुलवामा हमले के कारण पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ने के बाद वायुसेना और थलसेना के साथ-साथ भारतीय नौसेना भी किसी भी स्थिति का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार थी तथा उसने विमानवाहक पोत और परमाणु पनडुब्बी सहित अपने युद्धक बेड़े के 60 युद्धपोतों को उत्तरी अरब सागर के मोर्चे पर तैनात कर दिया था।
नौसेना के अनुसार अरब सागर में उसकी भारी-भरकम तैनाती और समूचे क्षेत्र पर कड़ी निगरानी के कारण पाकिस्तानी नौसेना की गतिविधियां अरब सागर से लगे मकराना के छोटे से तटीय क्षेत्र तक ही सिमटकर रह गई थीं और उसके युद्धपोत तथा अन्य प्लेटफॉर्म अरब सागर में खुले तौर पर आने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे।
दरअसल, गत 14 फरवरी को जब पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर आतंकवादी हमला हुआ, उस समय नौसेना एक बड़े युद्धाभ्यास ट्रोपेक्स-19 में जुटी थी जिसमें उसके युद्धक बेड़े के तमाम युद्धपोत हिस्सा ले रहे थे। यह अभ्यास 7 जनवरी को शुरू हुआ था और 10 मार्च तक चलना था।
लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर नौसेना ने तुरंत अपने इस युद्धक बेड़े का रुख उत्तरी अरब सागर की ओर कर दिया। विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य, परमाणु पनडुब्बियों, युद्धपोतों तथा विमानों को ऑपरेशन मोड में तैनात किया गया जिससे कि समुद्री क्षेत्र में पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर नजर रखी जा सके और उसका करारा जवाब दिया जा सके।
गत 28 फरवरी को तीनों सेनाओं के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भी नौसेना ने अपना सख्त रुख को स्पष्ट करते हुए कड़ा संदेश दिया था कि वह समुद्री क्षेत्र में किसी भी तरह के दुस्साहस का जोरदार जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। उस समय नौसेना का विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य अपने लड़ाकू बेड़े, परमाणु पनडुब्बियां, 60 युद्धपोतों, तटरक्षक बल के 12 जलपोतों और विमानों के साथ उत्तरी अरब सागर में मोर्चे पर तैनात था।
नौसेना ने वायुसेना और थलसेना के साथ भी पूरा तालमेल बना रखा था। इसे देखते हुए पाकिस्तानी नौसेना ने अपनी गतिविधियों को मकराना के तटीय क्षेत्र तक ही सीमित रखने में भलाई समझी और उसका कोई भी प्लेटफॉर्म अरब सागर में खुले में विचरण करने का साहस नहीं जुटा सका। (वार्ता)