दिल्ली में सीमा सुरक्षाबल के मुख्यालय पर तिरंगे में लिपटा शहीद प्रेमसागर का पार्थिव शरीर
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का दसवां संस्करण अपने पूरे शबाब पर है और जब मंगलवार 2 मई को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर दिल्ली डेयरडेविल्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच इस सत्र का 40वां मैच खेला जा रहा था, तब स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था..दिल्ली की 6 विकेट से जीत पर तालियां पीटी जा रही थीं लेकिन ये तमाम क्रिकेट तमाशबीन ठीक एक दिन पहले सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से हुई उस हैवानियत को भूल गए थे, जिसमें हमारे दो जवानों के सिर काट दिए गए थे...
पूरा देश गुस्से से उबल रहा है...मंगलवार को देशभर में प्रदर्शन हुए...दो शहीदों सुबेदार परमजीत सिंह और कांस्टेबल प्रेमसागर के पार्थिव शरीर जब तिरंगे में लिपटे उनके गृहनगर (पंजाब के तरन तारन और उप्र के देवरिया) पहुंचे तो कोई ऐसा शख्स नहीं था, जिसकी आंखें नम नहीं हुई हों...लेकिन भारत के कायर क्रिकेटरों से इतना नहीं हुआ कि वे मैच के दौरान बांह पर काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताते...
पाकिस्तान की नापाक हरकत पर देश का गुस्सा कुछ इस तरह फूटा
क्रिकेट को भारतीय अपना धर्म बताते हैं लेकिन जब इस धर्म को निभाने की बात आती है तो शुतुरमुर्ग की तरह अपना चेहरा छिपा लेते हैं। गौतम गंभीर को छोड़कर तमाम भारतीय क्रिकेटरों को पैसों की खनक ने इतना अंधा बना दिया है कि उनके कानों तक सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हुए जवानों के परिजनों की सिसकियां भी सुनाई नहीं दे रही हैं। सोमवार 1 मई के दिन पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम में शामिल कायर भेड़ियों ने घात लगाकर हमला किया और इसमें देश के दो जवान शहीद हुए, उनके शव क्षत-विक्षत करते हुए सिर काट दिए गए, लेकिन मंगलवार को आईपीएल का तमाशा जारी रहा, जैसे कुछ हुआ ही नहीं...
बीसीसीआई द्वारा संचालित आईपीएल में दिल्ली और हैदराबाद की दोनों ही फ्रेंचाइजी भारत की हैं। पाकिस्तान की इस बर्बरता पर जब पूरा देश एकजुट होकर शहीदों के साथ हुई अमानवीय हरकत को कोस सकता है तो क्या आईपीएल की फ्रेंचाइजी अपने खिलाड़ियों की बाहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करने का फरमान जारी नहीं कर सकती थीं?
इस आईपीएल में भारत के ही नहीं, कई दूसरे देशों के खिलाड़ी भी शिरकत कर रहे हैं। यदि वे आज अपना विरोध प्रदर्शन करते तो पूरी दुनिया में पाकिस्तान की कायरता के लिए एक 'मैसेज' जाता और उसका असली चेहरा उजागर होता। यदि विदेशी खिलाड़ी विरोध पर ऐतराज जताते तो कम से कम भारतीय खिलाड़ी तो ऐसा कर शहीदों को श्रद्धांजलि दे देते...
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर सनराइजर्स हैदराबाद के समर्थक
आईपीएल के अब तक हुए 40 मैच जहां भी हुए फुरसती दीवानों ने स्टेडियम फुल करके अपने क्रिकेट प्रेम को जाहिर किया। टीवी पर करोड़ों दर्शक इन मैचों का लुत्फ उठा रहे हैं, ऐसे में क्या ये क्रिकेटर एक दिन काली पट्टी बांधकर भारतीय सेना को सेल्यूट नहीं कर सकते थे? गौतम गंभीर का ऊपर जिक्र इसलिए किया गया क्योंकि यदि वे क्रिकेटर नहीं होते तो भारतीय सेना में नजर आते। उन्हें सेना में जाने का जुनून था। यही कारण है कि पिछले दिनों जब सुकमा में सीआरपीएफ के 25 जवान नक्सली हमले का शिकार हुए तो उसी दिन उन्होंने ऐलान कर दिया था कि उनका फाउंडेशन शहीद परिवार के बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च वहन करेगा।
कपिल देव से लेकर सचिन तेंदुलकर और महेन्द्र सिंह धोनी तक भारतीय सेना की कड़कदार वर्दी पहनकर सेल्यूट कर चुके हैं। ये सभी टैरिटोरियल आर्मी का हिस्सा रहे हैं। इनमें से किसी एक ने भी मीडिया में आकर शहीदों को सलाम नहीं किया। कहां गुम हो गई है इन क्रिकेट सितारों की गैरत? लगता है इनकी आंखों से शर्म का पानी सूख चुका है। अक्सर भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबधों को बहाल करने की बातें होती हैं लेकिन सीमा पर गोलियां, मोर्टार और रॉकेट लांचर दागे जाने के साथ ही खत्म हो जाया करती हैं।
पाकिस्तान के विरोध में पूरे देश में उबाल और दिल्ली में मैच का लुत्फ लिया जा रहा था
जब भी सीमा पर भारतीय जवान शहीद होता है, पूरे देश का गुस्सा उबाल लेने लगता है। ऐसे में पूछना लाजमी है कि क्या भारतीय क्रिकेटरों के सीनों में दिल नहीं धड़कता? उनकी देशभक्ति पर सवालिया निशान नहीं लगाना चाहिए? आप किसी खिलाड़ी के निधन होने पर शोक स्वरूप काली पट्टी बांधकर मैच खेल सकते हैं तो सीमा पर शहीद हुए जवान के लिए भी काली पट्टी बांधी जा सकती है लेकिन मंगलवार के दिन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। क्रिकेटर, फ्रेंचाइजी और दर्शक ऐसे पेश आए मानों कुछ हुआ ही नहीं...लानत है ऐसे आईपीएल पर जो शहीद सैनिकों को सलामी देने की जहमत तक नहीं उठाता...
ऐसी बात भी नहीं है कि भारतीय सेना के जवानों के पार्थिव शरीर के साथ अमानवीयता की यह पहली घटना है। एलओसी पर पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले साल 28 अक्टूबर में एक जवान मनदीप सिंह के शव का भी पाकिस्तान की सेना ने अपमान किया था। पाकिस्तानी आर्मी के कवर फायर का फायदा उठाते हुए आतंकी एलओसीके रास्ते घुसे और एक जवान की जान ले ली। उसके बाद जवान के शव को क्षत-विक्षत कर दिया। यह घटना भी मच्छेल सेक्टर में ही हुई थी।
जून 2008 में गोरखा राइफल्स के एक जवान को बैट ने केल सेक्टर में पकड़ लिया था। कुछ दिन बाद उसका सिर कलम कर शव फेंक दिया था। वर्ष 2013 में दो जवान लांसनायक हेमराज और सुधाकर सिंह के शवों को भी पाक सैनिकों ने क्षत-विक्षत कर दिया था। वर्ष 1999 की करगिल जंग के दौरान कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तान की सेना ने प्रताड़ित किया था और बाद में उनके शव के साथ भी बर्बरता की गई थी।
इतना सब होने के बाद भी आखिर भारतीय क्रिकेटरों का दिल पत्थर का कैसे बन गया??? उनके दिलों ने यह कैसे स्वीकार कर लिया कि 1 मई की सुबह सीमा पार से आए पाकिस्तानी कायरों ने भारतीय सेना के नायक सूबेदार परमजीत सिंह और सीमा सुरक्षाबल के हेड कांस्टेबल प्रेमसागर के शव के सिर काट दिए गए???