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Last Updated :नई दिल्ली , रविवार, 1 जनवरी 2017 (10:47 IST)

सेना और वायुसेना को मिले नए प्रमुख, ले. जनरल बख्शी सेवा में बने रहेंगे

सेना और वायुसेना को मिले नए प्रमुख, ले. जनरल बख्शी सेवा में बने रहेंगे - Indian Army chif, Bipin Rawat
नई दिल्ली। लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को 13 लाख कर्मियों वाली भारतीय सेना के 27वें प्रमुख के रूप में उसकी कमान संभाली। उन्होंने जनरल दलबीर सिंह सुहाग का स्थान लिया है, जो 42 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं।
एयर मार्शल बिरेंद्र सिंह धनोआ ने वायुसेना के नए प्रमुख का पदभार संभाला। वे 25वें वायुसेना प्रमुख बने हैं और उन्होंने अरूप राहा की जगह ली है। जनरल रावत 2 वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरलों- प्रवीण बख्शी और पीएम हारिज को पीछे छोड़ते हुए सेना प्रमुख बने हैं।
 
कोलकाता स्थित पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी ने नए सेना प्रमुख के प्रति पूर्ण समर्थन की घोषणा की है और वीडियो कांफ्रेंसिंग से अपने मातहत अधिकारियों ने कहा कि वे पूर्ण पेशेवेर ईमानदारी के साथ अगुवाई करते रहेंगे।
 
उन्होंने कहा कि मैं जनरल बिपिन रावत को सेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करने पर पूर्वी कमान की ओर से शुभकामनाएं एवं पूर्ण समर्थन देता हूं। पहले ऐसी अटकल थी कि लेफ्टिनेंट बख्शी इस्तीफा दे सकते हैं या समयपूर्व सेवानिवृत्त हो सकते हैं। वे हाल ही में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से भी मिले थे।
 
उन्होंने अनुरोध किया कि मीडिया में अटकल और चर्चा बंद होनी चाहिए तथा सभी को सेना एवं राष्ट्र की बेहतरी के लिए यथासंभव योगदान करने पर ध्यान देना चाहिए। सेना की पूर्वी कमान के कमांडर ने नए सेना प्रमुख को सेना की कमान संभालने पर बधाई देने के लिए उनसे भेंट की। ऐसी अटकल है कि लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी को चीफ ऑफ डिफेंस का नया पद दिया जा सकता है। इस सिलसिले में पर्रिकर अगले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलेंगे, हालांकि सूत्रों ने संकेत दिया कि ऐसा कुछ नहीं होगा।
 
शनिवार को सेवानिवृत्त‍ हुए जनरल सुहाग ने कहा कि सेना किसी भी चुनौती से निबटने के लिए तैयार है। उन्होंने खुली छूट देने और 'वन रैंक वन पेंशन' योजना लागू करने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि घुसपैठ की कोशिशें इस साल बढ़ीं और इस साल जितने आतंकवादी मारे गए, वे पिछले साल मारे गए आतंकवादियों की संख्या से करीब दोगुनी है।
 
जनरल ने कहा कि सेना ने उनके कार्यकाल के दौरान संचालन तैयारी पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने सेना की कमान संभाली थी तब उन्होंने कहा था कि हमारे हित के खिलाफ किसी भी हरकत पर सेना का जवाब त्वरित, पर्याप्त और जोरदार होगा। 
 
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने पिछले ढाई साल में ऐसा कर दिखाया है। बाद में पूर्वाह्न में उन्होंने रावत को सेना की कमान सौंपी थी जिन्हें दिसंबर 1978 में आईएमए, देहरादून से 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला था। उन्हें अकादमी में 'स्वोर्ड ऑफ ऑनर' से पुरस्कृत किया गया था।
 
शनिवार को उससे पहले दिन जनरल सुहाग और एयर चीफ मार्शल राहा ने अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित की और गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल धनोआ ने संभावित दुश्मनों के खिलाफ देश का वायु निशाना दर्शन विकसित किया और वायुसेना की संचालन अवधारणा को समसामयिक युद्ध पद्धति में तब्दील किया। वे मुख्य रूप से किरण और मिग-21 विमानों को उड़ा चुके हैं। उन्हें जगुआर से लेकर अत्याधुनिक मिग-29 तथा एसयू-30 एमकेआई तक विभिन्न जंगी विमानों को उड़ाने का अनुभव है।
 
एयर मार्शल के नाम पर कई उपलब्धियां हैं। अग्रिम हमलावर लड़ाकू स्क्वॉड्रन के कमांडिंग अधिकारी के तौर पर उन्होंने कारगिल क्षेत्र में बर्फीली ऊंची पहाड़ियों पर दुश्मनों को खदेड़ने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सीमित लड़ाई के दौरान वायुसेना के प्रहार की अगुवाई की थी।
 
वायुसेना ने कहा कि संघर्ष के दौरान उनके नेतृत्व एवं निरीक्षण में स्क्वॉड्रन ने ऊंची पहाड़ियों पर रात के दौरान बमबारी करने के अनोखे एवं नवोन्मेषी तरीके ढूंढे जिसकी वायुसेना की लड़ाई के इतिहास में पहले कभी कोशिश नहीं हुई थी।
 
हमले से पहले स्क्वॉड्रन को पेशेवराना एवं शांतिकालीन प्रशिक्षण की उच्च डिग्री के चलते पश्चिम एयर कमान को सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू स्क्वॉड्रन के रूप में पेश किया गया था। इस संघर्ष के बाद वह कारगिल युद्ध की सर्वाधिक अलंकृत वायुसेना इकाई के रूप में उभरा।
 
उन्हें वायुसेना में सर्वाधिक उड़ान शिक्षण श्रेणी भी प्राप्त है और उन्हें विदेश में वायुसेना प्रशिक्षण टीम स्थापित करने के लिए चुना गया था। जनरल रावत को ऊंचाई पर लड़ाई और आतंकवाद निरोधक अभियानों का व्यापक अनुभव है। वे पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफैंट्री बटालियन, राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर, कश्मीर घाटी में इंफैंट्री डिवीजन, पूर्वी थिएटर में कोर और दक्षिण कमान की जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। जनरल रावत सेना मुख्यालय में सैन्य अभियान महानिदेशालय और सैन्य सचिव शाखा में अहम पदों पर रहे। वे पूर्वी कमान मुख्यालय में मेजर जनरल स्टाफ भी रहे।
 
उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणतंत्र में संयुक्त राष्ट्र की सेवा करते हुए बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी। उन्हें 2 बार 'फोर्स कमांडर' प्रशस्ति पत्र मिल चुका है।
 
डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन के पूर्व छात्र रावत को 38 वर्षों के सेवाकाल के दौरान शौर्य एवं उत्कृष्ट सेवा के लिए कई उच्च सम्मान पदक मिल चुके हैं। वे अमेरिका में कंसास के फोर्ट लीवेनवर्थ में कमांड एवं जनरल स्टाफ कॉलेज कोर्स कर चुके हैं।
 
अकादमिक रुझान वाले रावत ने राष्ट्रीय सुरक्षा एवं नेतृत्व पर कई लेख लिखे हैं, जो विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्यन में एमफिल की डिग्री मिली है। उन्होंने सैन्य मीडिया रणनीति अध्ययन पर अपना शोध किया है और उन्हें मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से पीएचडी मिली है। (भाषा) 
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