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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 29 जनवरी 2015 (18:21 IST)

आयकर छूट की सीमा 3 लाख रुपए हो

आयकर छूट की सीमा 3 लाख रुपए हो - Income tax
नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने सरकार से कर प्रशासन में समानता, पारदर्शिता  और उचित व्यवहार पर जोर देते हुए करदाताओं के लिए अनुपालन सरल बनाने तथा कर छूट की  सीमा 3 लाख रुपए किए जाने की सिफारिश की है।
 
सरकार को अपने बजट पूर्व ज्ञापन में एसोचैम ने कहा है कि करमुक्त आय की सीमा 2.50 लाख से  बढ़ाकर 3 लाख रुपए की जानी चाहिए। 3 से 6 लाख रुपए की आय पर 10 प्रतिशत, 6 लाख से  12 लाख की आय पर 20 प्रतिशत और 12 लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की  दर से कर लगना चाहिए। वर्तमान में यह सीमा क्रमश: 2.50 से 5 लाख पर 10 प्रतिशत, 5 से  10 लाख पर 20 और 10 लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया  जाता है।
 
एसोचैम प्रत्यक्ष कर समिति के चेयरमैन वेद जैन और महासचिव डीएस रावत ने बजट पूर्व ज्ञापन के  बारे में पत्रकारों से कहा कि कर कानून में आज भी कई ऐसी खामियां हैं जिनकी वजह से करदाता  और कर प्रशासन के बीच प्रतिवादिता का संबंध बन जाता है।
 
जैन ने कहा कि करदाताओं के लिए अनुपालन को सरल बनाया जाना चाहिए। आयकर के ऊपर  अधिभार, उपकर लगाने से कर प्रक्रिया जटिल होती है, बजाय इसके सीधे कर की दर में ही बदलाव  किया जा सकता है ताकि गणना सरल हो सके। जैन ने कहा कि आयकर रिफंड बजट प्रस्ताव का  हिस्सा होना चाहिए।
 
रावत ने कहा कि व्यक्तिगत करदाताओं को आवास ऋण के ब्याज पर कर कटौती बढ़ाई जानी  चाहिए। एसोचैम ने इसके लिए सालाना 3 लाख रुपए तक के ब्याज भुगतान पर कटौती का प्रावधान  किए जाने की सिफारिश की है, जो वर्तमान में 2 लाख रुपए तक सीमित है। एसोचैम ने आवास क्षेत्र को राजकोषीय प्रोत्साहन देने की सिफारिश की है ताकि 2022 तक सबको  आवास का लक्ष्य हासिल हो सके।
 
वेद जैन ने कहा कि देश में करीब 4 करोड़ करदाता है। इस साल प्रत्यक्ष कर के जरिए करीब  7,50,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार को करदाताओं के साथ दोस्ताना  व्यवहार रखना चाहिए। उन्हें विश्वास में लेकर ही कदम उठाया जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि आयकर कानूनों में आम बजट के साथ कोई बड़ा संशोधन नहीं किया जाना चाहिए  बल्कि ऐसे मामलों में संबद्ध पक्षों को पहले विश्वास में लिया जाना चाहिए।
 
एसोचैम महासचिव ने कहा कि आज भी कर आकलन की जांच-परख करते समय संबंधित करदाता  को उपस्थित होने को कहा जाता है। स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के मामले में नियमों की  मनमानी परिभाषाएं की जाती हैं। कर रिफंड में देरी की जाती और जटिल मुद्दों में स्पष्टता के लिए  मास्टर सर्कुलर का भी अभाव रहता है।
 
विदेशी निवेश के मामले में उन्होंने कहा कि 2012 के बजट में पिछली तिथि से कर लगाने का  प्रावधान समाप्त किए जाने की जरूरत है। यह प्रावधान समाप्त होने के बाद ही माहौल ठीक होगा और  विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा। (भाषा)