26 नवंबर को सुन्नी वक्फ बोर्ड की अहम बैठक, अयोध्या को लेकर कर सकता है बड़ा फैसला
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर मुस्लिम पक्षों में दो विचारधाराएं हैं। साफतौर पर दिखाई दे रहा है कि जहां एक तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पुनर्विचार दायर करने का फैसला ले चुका है तो वहीं पुनर्विचार याचिका को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पहले ही साफ कर दिया था अब वह किसी प्रकार का और विवाद बढ़ाना नहीं चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक तो सुन्नी वक्फ बोर्ड 26 नवंबर को लखनऊ में बैठक करने जा रहा है। बैठक के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड और कई अहम मुद्दों पर फैसला ले सकता है।
जानकारी के अनुसार सुन्नी वक्फ बोर्ड 26 नवंबर की बैठक में भूमि लेने या न लेने का फैसला भी हो जाएगा और 5 एकड़ जमीन में मस्जिद के साथ ही और क्या-क्या बनाया जा सकता है। इसे लेकर भी सुन्नी वक्फ बोर्ड विचार कर सकता है।
सूत्रों के अनुसार सुन्नी वक्फ बोर्ड जो प्रस्ताव ला सकता है उसमें स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, म्यूजियम आदि से संबंधित हैं और कुछ प्रस्ताव ऐसे हैं जिनमें 5 एकड़ भूमि पर दार्शनिक स्थल विकसित करने की बात भी कही गई है तो एक प्रस्ताव में मस्जिद के साथ ही मुगल गार्डन की तर्ज पर खूबसूरत गार्डन बनाने की सलाह दी गई है।
इसमें देशभर के खूबसूरत फूलों के पौधे लगाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही साथ हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल के रूप में विकसित करने के लिए कहा गया है। इन्हीं सब पर विचार करने को लेकर 26 नवंबर को बैठक बुलाई गई है।
असदुद्दीन के खिलाफ सुनवाई 20 दिसंबर को : उत्तरप्रदेश के जिला एवं सत्र न्यायालय सिद्धार्थनगर के प्रभारी सीनियर डिवीज़न देवेंद्र मौर्य की अदालत में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके छोटे भाई विधायक अकरमुद्दीन ओवैसी के खिलाफ परिवाद दाखिल किया गया है। इस मामले की सुनवाई के 20 दिसंबर को होगी।
मिली जानकारी के अनुसार भारतीय जनक्रांति दल के प्रदेश अध्यक्ष राकेश प्रताप सिंह ने परिवाद दाखिल करते हुए कहा कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके छोटे भाई विधायक अकरमुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना और देश में जातीय द्वेष फैलाने का काम कर रहे है।
ओवैसी बंधुओं का कहना है कि पर्सनल लॉ बोर्ड की तरह राम मंदिर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वे असहमत हैं। सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च हो सकता है लेकिन अचूक नहीं। इस बयान ने देश के साम्प्रदायिक सौहार्द का बिगाड़ने का काम किया है। इसे लेकर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 20 दिसंबर 2019 की तारीख निश्चित की है।