लद्दाखी नेताओं से मिलेगा गृह मंत्रालय, स्टेटहुड मुद्दे को चाहता है सुलझाना
जम्मू। करीब 30 सालों तक केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा पाने के अपने आंदोलन के बाद 5 अगस्त 2019 को मिला यूटी का दर्जा लद्दाखियों को खुश नहीं कर पाया क्योंकि उन्हें इस दर्जे ने लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित कर दिया था।
नतीजतन अब पुनः छेड़े गए आंदोलन का मकसद लद्दाख के लिए स्टेटहुड पाना तो है ही साथ ही अन्य मांगों को भी मनवाना है। इस मुद्दे को सुलझाने केंद्रीय गृह मंत्रालय ने करगिल और लेह के आंदोलनकारियों से नया प्रस्ताव पेश कर अगले सप्ताह मिलने का वादा किया है।
ताजा घटनाक्रम लेह अपैक्स बाडी के करीब 30 सदस्यों द्वारा लद्दाख के उप राज्यपाल बीडी मिश्रा से मुलाकात के बाद सामने आया है। मिश्रा ने इस मुलाकात के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क साध कर अगले सप्ताह लेह अपैक्स बाडी तथा करगिल डेमोक्रैटिक अलायंस के नेताओं के बीच मुलाकात को तय करवा दिया है।
लद्दाखी नेताओं के बकौल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फिर से उनसे प्रस्ताव मांगे हैं जबकि लद्दाख की जनता अभी भी अपनी चार सूत्री मांगों पर अड़ी हुई है जिसमें लद्दाख को राज्य का दर्जा देने के साथ ही संविधान की छठी सूची में शामिल करने, करगिल व लेह के लिए एक-एक संसदीय सीट व सरकारी नौकरियों में सिर्फ स्थानीय युवाओं को ही मौका दिए जाना रखा गया है।
हालांकि इन चार सूत्री मांगों पर विचार के लिए दिल्ली ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया था जिसमें लद्दाखियों का प्रतिनिधित्व कर रही लेह अपैक्स बाडी तथा करगिल डेमोक्रैटिक अलायंस के नेता और प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं।
लद्दाख में पिछले कई महीनों से चल रहे इस आंदोलन की गंभीरता इसी से देखी जा सकती है कि लद्दाख के उप राज्यपाल बीडी मिश्रा द्वारा दिल्ली को आंदोलनकारियों से अपनी मुलाकात की जानकारी देने के 24 घंटों के भीतर ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाखी नेताओं के साथ अगले सप्ताह मुलाकात को हरी झंडी भी दे डाली है।
दरअसल लद्दाख एक संवदेनशील इलाका होने के कारण भारत सरकार इसमें उपजे ताजा आंदोलन से चिंतित है। अतीत में भी जब लद्दाख के बौद्धों ने केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा पाने को आंदोलन छेड़ा था तो चीन की सरकार ने इन आंदोलनकारियों को अपने पाले में करने की कई चालें चली थीं।
पर हर चाल में वह इसलिए नाकाम रहा था क्योंकि लद्दाख की जनता ने देशभक्ति का त्याग नहीं किया था। इतना जरूर था कि तब करगिल के मुस्लिमों ने यूटी पाने के आंदोलन को अपना समर्थन नहीं दिया था, पर लद्दाख को स्टेटहुड दिलवाने के आंदोलन में करगिल के मुस्लिम भी सबसे आगे हैं।