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Last Updated : मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024 (21:11 IST)

हेमंत सोरेन ने कोयला बकाया मुद्दे पर पीएम मोदी को लिखा खुला पत्र

हेमंत सोरेन ने कोयला बकाया मुद्दे पर पीएम मोदी को लिखा खुला पत्र - Hemant Soren's letter to Narendra Modi regarding coal dues
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखकर कोयला कंपनियों (coal companies) से 1.36 लाख करोड़ रुपए की बकाया राशि के भुगतान की मांग की। सोरेन (Soren) ने जोर दिया कि वे राज्य के लिए विशेष बजट की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि अपना वाजिब हक मांग रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि इसके कारण झारखंड के विकास को अपूरणीय क्षति हो रही है।
 
यह बकाया राशि हमारा हक है : सोरेन ने प्रधानमंत्री को लिखे खुले पत्र को साझा करते हुए 'एक्स' पर पोस्ट किया कि यह बकाया राशि हमारा हक है और झारखंड किसी विशेष बजट की मांग नहीं कर रहा है। हम सिर्फ अपने हक की बात कर रहे हैं जिसे हम हर हाल में लेकर रहेंगे।ALSO READ: देश का coal import 41 प्रतिशत बढ़ा, 4 माह में 10.4 करोड़ टन कोयला आया
 
सोरेन ने कहा कि कानून के प्रावधानों और न्यायिक घोषणाओं के बावजूद कोयला कंपनियां कोई भुगतान नहीं कर रही हैं। ये सवाल आपके कार्यालय, वित्त मंत्रालय एवं नीति आयोग समेत विभिन्न मंचों पर उठाए गए हैं लेकिन अब तक यह मुआवजा (1.36 लाख करोड़ रुपए) नहीं मिला है। हाल में उच्चतम न्यायालय के 9 न्यायाधीशों की पीठ ने खनन और राजस्व बकाया वसूलने के राज्य के अधिकार की पुष्टि की। इस बकाया के कारण झारखंड विकास में पिछड़ गया और इससे आवश्यक सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं में बाधा उत्पन्न हो रही है।
 
सोरेन ने लिखा कि झारखंड राज्य एक अल्पविकसित राज्य है और यहां बहुत सारी सामाजिक व आर्थिक विकास परियोजनाएं हैं, जो हमारी न्यायोचित मांगों के पूरा न होने के कारण बाधित हो रही हैं। पिछले महीने उन्होंने कोल इंडिया के खाते से राज्य को बकाया राशि भारतीय रिजर्व बैंक से सीधे निकालने का सुझाव दिया था, जैसा कि झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के डीवीसी को बकाया राशि भुगतान के लिए किया गया था।ALSO READ: India Coal Import : कोयला आयात में 13 फीसदी की बढ़ोतरी, अप्रैल में 2.61 करोड़ टन पर पहुंचा
 
झारखंड और उसके लोगों को अपूरणीय क्षति हो रही : सोरेन ने कहा कि राज्य द्वारा उठाई गई उचित मांग के भुगतान में इस देरी ने मुझे आपको यह लिखने के लिए बाध्य किया है कि इस लापरवाही से झारखंड और उसके लोगों को अपूरणीय क्षति हो रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों तक योजनाओं को लागू करने जैसी सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न योजनाएं धन की कमी के कारण जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पा रही हैं।
 
सोरेन ने केंद्र सरकार पर राज्य की दुर्दशा का आरोप लगाया : इससे पहले उन्होंने केंद्र सरकार पर राज्य की दुर्दशा के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया और बकाया राशि के मामले में भेदभाव को उजागर किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी बिजली कंपनियां भुगतान में देरी करती हैं तो हमें 12 प्रतिशत ब्याज और प्रत्यक्ष डेबिट का सामना करना पड़ता है, फिर भी कोयला कंपनियों का बकाया भुगतान नहीं किया जा रहा है। हमारे द्वारा देय बकाया और हमें देय बकाया के बीच नीति में यह अंतर एक दोहरे रवैए को दर्शाता है और इतना तो कहा जा सकता है कि यह मनमाना है जिसने राज्य को बहुत ही वंचित स्थिति में डाल दिया है।ALSO READ: भारत यूं ही कोयला निकालता रहा तो दोगुना होगा मीथेन उत्सर्जन
 
अपने अधिकारों के लिए हम कोई भी बलिदान करने के लिए तैयार : सोरेन ने इससे पहले 'एक्स' पर लिखा था कि जब आप झारखंड के हक की मांग करेंगे तो वे आपको जेल में डाल देंगे। लेकिन अपने अधिकारों के लिए हम कोई भी बलिदान करने के लिए तैयार हैं। हम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों की तरह किसी विशेष दर्जे की मांग नहीं कर रहे हैं न ही हम कुछ राज्यों की तरह केंद्र सरकार के बजट में बड़ा हिस्सा चाहते हैं। हम सिर्फ अपना हक मांग रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि झारखंड के लोग विशेष अधिकार नहीं बल्कि न्याय चाहते हैं और वे इस बकाया राशि का उपयोग सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए करेंगे। झारखंड के लोगों ने अपने राज्य के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है और अब हम अपने संसाधनों एवं अधिकारों का उचित इस्तेमाल करना चाहते हैं। हम अपनी 1.36 लाख करोड़ रुपए की बकाया राशि का उपयोग झारखंड को विकास के नए पथ पर ले जाने के लिए करेंगे। एक ऐसा विकास, जो हमारे पर्यावरण, आदिवासियों और झारखंड के हर समुदाय के हितों की रक्षा करेगा।
 
उन्होंने कहा कि इस कोष का उपयोग शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए किया जाएगा ताकि बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो। उन्होंने राज्य की संस्कृति एवं पहचान की रक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हम अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करेंगे।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम बेहतर तरीके से अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा करेंगे ताकि हमारा अस्तित्व बना रहे। केंद्र सरकार को हमारे अधिकारों और धन पर जल्द फैसला करना चाहिए और झारखंड के विकास में बाधक नहीं बल्कि साझेदार बनना चाहिए।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta