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Last Modified: मंगलवार, 20 मार्च 2018 (14:06 IST)

इराक में भारतीयों की मौत, क्यों झूठी लगती है हरजीत मसीह की कहानी...

इराक में भारतीयों की मौत, क्यों झूठी लगती है हरजीत मसीह की कहानी... - Harjeet Christ Iraq ISIS Sushma Swaraj
अंतत: भारत सरकार ने मंगलवार को स्वीकार कर ही लिया कि इराक में अगवा किए गए 39 भारतीयों की कुख्यात आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के आतंकियों ने हत्या कर दी। जून 2015 में हरजीत मसीह नामक एक व्यक्ति ने दावा किया था कि मोसुल में सभी भारतीयों की मौत हो चुकी है। तब सरकार ने कहा था कि सभी भारतीय सुरक्षित हैं और जब तक उनके मारे जाने की पुष्टि नहीं होती सरकार उसे मरा हुआ नहीं मानेगी।  

 
हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा में हरजीत मसीह की कहानी को झूठा बताया। उस समय मसीह किसी तरह बचकर भारत लौट आया था। सुषमा के मुताबिक उसने जो कहानी सुनाई थी, वह झूठी थी। विदेश मंत्री के मुताबिक हरजीत ने अपना नाम बदलकर अली कर लिया था और वह बांग्लादेशियों के साथ इराक के इरबिल पहुंचा, जहां से उसने सुषमा स्वराज को फोन किया था। 
स्वराज ने कहा कि आईएसआईएस के आतंकियों ने एक कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीयों को एक टेक्सटाइल कंपनी में भिजवाने को कहा था। उनके साथ कुछ बांग्लादेशी भी थे। हरजीत ने अपने मालिक के संग जुगाड़ करके अपना नाम अली किया और बांग्लादेशियों वाले समूह में शामिल हो गया। यहां से वह इरबिल पहुंच गया। सुषमा ने बताया कि यह कहानी इसलिए भी सच्ची लगती है क्योंकि इरबिल के नाके से ही हरजीत मसीह ने उन्हें फोन किया था। उन्होंने बताया कि अपहृत भारतीयों को बदूश शहर ले जाए जाने के बारे में जानकारी उस कंपनी से मिली जहां ये भारतीय काम करते थे।
 
यह है हरजीत की कहानी :  भारत लौटने के बाद मई 2015 में एक टीवी चैनल को दिए बयान में हरजीत ने दावा किया था कि मोसुल में अगवा सभी भारतीयों को गोली मार दी गई है। तब हरजीत के बयान का सुषमा स्वराज ने खंडन करते हुए कहा था कि हरजीत की बातों पर यकीन नहीं कर सकते। हमारी ओर से खोज के प्रयास जारी हैं और हमें अभी भी विश्वास है कि सभी भारतीय सुरक्षित होंगे।
 
हरजीत के मुताबिक 15 जून 2014 को आईएस ने सभी 40 भारतीयों को अगवा किया था। आतंकवादी अपनी गाड़ी में सबको बैठाकर ले गए। हमारे साथ 50 बांग्‍लादेशी भी थे। अपहरण के चार-पांच दिन बाद उन सबको आतंकवादी एक पहाड़ी पर ले गए। भारतीयों और बांग्लादेशियों को अलग कर दिया गया फिर सभी भारतीयों को कतार में खड़ा किया गया और पीछे से गोली मारी गई। हालांकि आतंकवादियों ने बांग्लादेशियों को गोली नहीं मारी। उसके भी दाहिने पैर में गोली लगी थी। घायल हालत में वह देर तक पड़ा रहा। हत्यारों के जाने के बाद वह छिपने के लिए किसी तरह निकला और जान बची।  (वेबदुनिया न्यूज डेस्क)
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