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Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 11 मई 2018 (12:16 IST)

प्राइवेट कंपनी से VVPAT मशीन खरीदना चाहती थी सरकार, बड़ा खुलासा

प्राइवेट कंपनी से VVPAT मशीन खरीदना चाहती थी सरकार, बड़ा खुलासा - Government wants to buy VVPAT machines from private firm
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सरकार के उस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया, जिसमें वीवीपैट (VVPAT) मशीनें निजी कंपनी से खरीदने की सलाह दी गई थी। उल्लेखनीय विपक्ष ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाता रहा है। 
 
यह जानकारी आरटीआई में सामने आई है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार सरकार की सलाह के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि यदि ऐसा किया जाता है तो आम आदमी के विश्वास को ठेस पहुंचेगी। 
 
जानकारी के मुताबिक कानून मंत्रालय ने जुलाई-सितंबर, 2016 में चुनाव आयोग को तीन चिट्ठियां लिखी थीं और यह सुझाव दिया था। इस पत्र के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि प्राइवेट कंपनी को इस महत्वपूर्ण काम की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा सकती है। इससे चुनाव प्रक्रिया पर लोगों का भरोसा कम हो जाएगा। 
 
अभी कौन बनाता है वीवीपैट : सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में चुनाव में वीवीपैट का इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। अभी तक भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलुरु में और इलेक्ट्रानिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ईवीएम और वीवीपैट तैयार करती रही हैं।
 
किस तरह काम करती है वीवीपैट : वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (VVPAT) व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है। इस पर मतदाता ने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, उसका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सकता है।
 
ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने यह मशीन 2013 में डिजाइन की थी। सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ।
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