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Last Modified: शनिवार, 22 फ़रवरी 2025 (18:22 IST)

सरकार से कुछ मुद्दों पर पटरी नहीं बैठी थी, RBI के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास अब होंगे मोदी के PS 2

सरकार से कुछ मुद्दों पर पटरी नहीं बैठी थी, RBI के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास अब होंगे मोदी के PS 2 - former RBI governor Shaktikanta Das will now be Modis PS 2
Shaktikanta Das becomes PM Modis PS 2: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी-2 नियुक्त किया गया है। दास का कार्यकाल प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के साथ ही समाप्त होगा। दास दिसंबर 2018 से 10 दिसंबर 2024 तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर भी रह चुके हैं। शक्तिकांत दास वह प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी-1 डॉ.  पीके मिश्रा के साथ पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में काम करेंगे। दास ने एक सिविल सेवक के रूप में मुख्य रूप से वित्त, कराधान, निवेश और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में काम किया। 
 
1980 बैच के आईएएस अधिकारी : मोदी सरकार की अपॉइंटमेंट कमेटी द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि दास की नियुक्ति उनके पदभार ग्रहण करने के दिन से प्रभावी होगी। उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री कार्यकाल के साथ या आगामी आदेश तक जारी रहेगी। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के रहने वाले 67 वर्षीय शक्तिकांत दास तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। ALSO READ: गवर्नर शक्तिकांत दास बोले- पुलिस नहीं है RBI, वित्तीय बाजार पर है कड़ी नजर
 
तमिलनाडु में विभिन्न सरकारी पदों पर काम करने के साथ ही वे केंद्र में आर्थिक मामलों के सेक्रेटरी, फाइनेंस सेक्रेटरी और फर्टिलाइजर सेक्रेटरी के रूप में काम कर चुके हैं। वे दिल्ली के ही स्टीफंस कॉलेज के विद्यार्थी रह चुके हैं। वह भारतीय रिजर्व बैंक के 25वें गवर्नर बने और उन्होंने भारत के जी20 शेरपा तथा 15वें वित्त आयोग के सदस्य के रूप में भी काम किया है। 
 
जब नहीं मानी थी सरकार की बात : आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्य करने के दौरान उनके सरकार से कुछ मामलों में मतभेद भी रहे हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति को काफी चौंकाने वाला फैसला माना जा रहा है। दरअसल, उनके मोदी सरकार से मतभेद भी रहे थे। 
 
एक बार महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने उनसे रेपो रेट में कमी लाने की अपील की थी, लेकिन शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में बदलाव नहीं लाने का फैसला किया। इसे लंबे समय तक 6.50 फीसदी पर ही रखा गया। सरकार उस मय दास के फैसले से खुश नहीं थी। उस समय सरकार का मानना था कि रेपो रेट में कमी लाने से इकोनॉमी को बूस्ट मिल सकता है। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 
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