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Last Updated : गुरुवार, 7 जून 2018 (20:40 IST)

हिन्दू उदार धर्म, राष्ट्रवाद किसी धर्म, भाषा में नहीं बंटा है : प्रणब मुखर्जी

हिन्दू उदार धर्म, राष्ट्रवाद किसी धर्म, भाषा में नहीं बंटा है : प्रणब मुखर्जी - Former President Pranab Mukherjee Nagpur RSS
नागपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस कार्यक्रम शामिल होने के लिए नागपुर पहुंचे। उन्होंने संस्थापक हेडगेवार के जन्म स्थान पहुंचकर नमन कर फूल अर्पित किए। पेश है कार्यक्रम से जुड़ी ताजा जानकारी-

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में कहा कि...

* जयहिन्द और वंदे मातरम के साथ प्रणब मुखर्जी ने अपना भाषण समाप्त किया। 
* हम अलग अलग सभ्यताओं को शामिल करते रहे हैं।
* विविधता ही भारत की शक्ति है। सहिष्णुता ही हमारी पहचान है।
* विचारों की समानता के लिए संवाद जरूरी। 
* सहनशीलता समाज का आधार है।
* नेहरू ने भी कहा था कि सबका साथ जरूरी है।  
* सबने मिलकर को देश को उन्नत बनाया है। 
* भेदभाव और नफरत से पहचान को खतरा।
* हम अलग अलग सभ्यताओं को शामिल करते रहे हैं। 
* सबने कहा है कि हिन्दू एक उदार धर्म है। 
* भारतीय राष्ट्रवाद में वैश्विक भावना रही है।
* हम एकता की ताकत को समझते हैं। 
* विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हम विविधता का सम्मान करते हैं। 
* कई बदलाव हुए, विजेता आए, विदेशी आए लेकिन 5000 वर्षों से हमारी सांस्कृतिक विरासत कायम रहा। 
* विजयी होने के बावजूद अशोक शांति का पुजारी। 
* 1800 सालों तक भारत ज्ञान का बड़ा केन्द्र रहा है। 
* हिन्दुस्तान एक स्वतंत्र समाज है। 
* ह्वेनसांग और फाह्यान ने हिन्दुओं की बात की। 
* राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान है। 
* दुनिया का सबसे पहला राज्य है भारत। 
* देश के प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है। 
* भारत के दरवाजे सबसे सबके लिए खुला है। 
* सबने कहा है कि हिन्दू एक उदार धर्म है। 
* भारतीय राष्ट्रवाद में वैश्विक भावना रही है। 
* हम एकता की ताकत को समझते हैं। 
* विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हम विविधता का सम्मान करते हैं। 
* कई बदलाव हुए, विजेता आए, विदेशी आए लेकिन 5000 वर्षों से हमारी सांस्कृतिक विरासत कायम रहा। 
* विजयी होने के बावजूद अशोक शांति का पुजारी। 
* 1800 सालों तक भारत ज्ञान का बड़ा केन्द्र रहा है। 
* हिन्दुस्तान एक स्वतंत्र समाज है। 
* ह्वेनसांग और फाह्यान ने हिन्दुओं की बात की।
* राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान है। 
* दुनिया का सबसे पहला राज्य है भारत। 
* देश के प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है। 
* भारत के दरवाजे सबसे सबके लिए खुला है।
* देशभक्ति में सारे देश का योगदान है।
* देश और देशभक्ति समझाने आया हूं। मैं भारत के बारे में बात करने आया हूं।  
* भारत एक स्वतंत्र समाज रहा, यह किसी के साथ जुड़ा हुआ नहीं था। 
* राष्ट्र, राष्ट्रीयता और राष्ट्रभक्ति क्या है? तीनों चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।

 
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा-
* हमें विचारों और मतों से कोई परहेज नहीं बस देश एकजुट होना चाहिए और भारत विश्वगुरु बने। 
* गंतव्य एक ही होना चाहिए, वह है संपन्न भारत। 
* ऐसा समाज ही सभी के जीवन की समस्याओं का पूर्ण उत्तर है। 
* शक्ति नियंत्रित होनी चाहिए। शक्ति के साथ शील जरूरी है। 
* देश में कोई शत्रु नहीं, सबकी माता भारत माता। 
* जो मैंने कहा उसकी पड़ताल कीजिए। यदि आपको लगता है कि यह सर्वहित का काम है तो अपना योगदान दीजिए। 
* हमें पहले परखिए, फिर भाव बनाइए। 
* हम जो हैं वही करते हैं।
* हेडगेवार कांग्रेस के आंदोलन में जेल गए थे। 
* विचारधारा, वर्ग, जात-पांत, धर्म, संप्रदाय से हम अलग-अलग हो सकते हों, लेकिन सबकी सोच देश के हित में होनी चाहिए।
* संघ लोकतांत्रिक सोच वाला संगठन है।  
* हमें सामान्य जनता को बराबरी पर लाना होगा। 
* हिन्दू भारत का भाग्य तय करने के लिए उत्तरदायी हैं। 
* सभी भारतवासियों के पूर्वज एक हैं।
* प्रणब मुखर्जी के आने पर विवाद ठीक नहीं है। उनके आने पर बेवजह चर्चा हो रही है। 
संघ समाज को संगठित करना चाहता है। 
* विविधता में एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। भारत में जन्मा हर व्यक्ति भारतीय है। 
मत-मतांतरों के बाद भी हम सब भारत माता की संतान हैं।
* सरकार बहुत कुछ कर सकती है, लेकिन सरकार सब कुछ नहीं कर सकती।
* प्रणब मुखर्जी को पूरा देश जानता है। उन्होंने हमारे न्योते को पूरे दिल से स्वीकारा है। 
*किसी भी भारतवासी के लिए दूसरा भारतवासी पराया नहीं है। ऐसे में पक्ष और विपक्ष की चर्चा का कोई अर्थ नहीं है। 
*प्रणब मुखर्जी आदरणीय व्यक्ति हैं। प्रणब मुखर्जी और संघ जो हैं, वह रहेंगे।
*संघ केवल हिन्दुओं के लिए नहीं, सबके लिए काम करता है। संघ सर्वसमाज के लिए है। 
* संघ की स्थापना के समय से ही संघ की परंपरा रही है कि देश के प्रतिवर्ष वर्ग के समापन अवसर पर सज्जनों और हस्तियों को कार्यक्रम में आने का न्योता देते हैं। 
* जो स्वीकार करते हैं वही कार्यक्रम में आते हैं।



  • प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में संघ के स्वयंसेवकों ने कई करतब दिखाए। पूर्व राष्ट्रपति के पास संघ प्रमुख मोहन भागवत भी बैठे हुए हैं। 


  • प्रणब मुखर्जी ने डॉ. हेडगेवार की जन्मस्थली को भी देखा। पूर्व राष्ट्रपति ने विजिटर बुक में लिखा- डॉ. हेडगेवार भारत के महान सपूत।
  • पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
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