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Last Updated : सोमवार, 1 अगस्त 2022 (22:16 IST)

देश के मंदी की ओर जाने का सवाल नहीं, मुद्रास्फीति को 7 प्रतिशत से नीचे लाने के प्रयास: सीतारमण

देश के मंदी की ओर जाने का सवाल नहीं, मुद्रास्फीति को 7 प्रतिशत से नीचे लाने के प्रयास: सीतारमण - Finance Minister Nirmala Sitharaman Answer on inflation in Lok Sabha
नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के मंदी के दौर में जाने की आशंका को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और आपूर्ति श्रृंखला में अवरोधों के बावजूद भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति को 7 प्रतिशत से नीचे लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
 
लोकसभा में नियम 193 के तहत महंगाई के विषय पर आज हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि मुश्किल दौर में पूरा देश एक होकर खड़ा हुआ और यही कारण है कि आज हम शेष दुनिया के मुकाबले अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय जनता को दिया जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि पिछले  2 साल से लगातार विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) जैसी एजेंसियां जहां दुनिया की खराब आर्थिक स्थिति की बात कर रही हैं, वहीं उनका कहना है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
 
सीतारमण ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के अनेक कदमों के कारण देश की हालत कई अन्य देशों से अच्छी है। उन्होंने कांग्रेस सदस्य अधीर रंजन चौधरी की एक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत के मंदी के दौर में जाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता जबकि दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाएं मंदी के कगार पर हैं।
 
सीतारमण ने कहा कि खबरों के अनुसार चीन में 4,000 से अधिक बैंक दिवालिया होने के कगार पर हैं, जबकि भारत में व्यावसायिक बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में सुधार हुआ है और यह छह साल के सबसे कम स्तर 5.9 प्रतिशत पर है।
 
उन्होंने कहा कि भारत का कर्ज और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात वित्त वर्ष 2021-22 में 56.21 है जो कई देशों से बहुत कम है। अपने डेढ़ घंटे से अधिक अवधि के जवाब में सीतारमण ने कहा कि वैश्विक स्तर पर महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, आपूर्ति श्रृंखला में गतिरोध तथा चीन में जगह-जगह लगातार लॉकडाउन के बावजूद भारत की स्थिति दुनिया के कई देशों से बेहतर है।
 
उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में भी भारत में खुदरा मुद्रास्फीति को 7 प्रतिशत या इससे नीचे बनाकर रखने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय कोई ऐसा संकट नहीं था। वित्त मंत्री ने कहा कि संप्रग के कार्यकाल में 22 महीने तक मुद्रास्फीति नौ प्रतिशत से ज्यादा रही और नौ से अधिक बार 10 से ज्यादा यानी  2 अंक में रही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष को उन दिनों को याद करना चाहिए।
 
सीतारमण ने कहा कि आज पेश हुए आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपए हो गया है जो अबतक का दूसरा सबसे ऊंचा मासिक आंकड़ा है। इससे पहले अप्रैल, 2022 में जीएसटी संग्रह 1.67 लाख करोड़ रुपए रहा था।
 
वित्तमंत्री ने कहा कि यह 5वां लगातार महीना है जब जीएसटी संग्रह 1.4 लाख करोड़ से अधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों का जीएसटी क्षतिपूर्ति का मई महीने तक का बकाया चुका दिया गया है और सिर्फ जून महीने का बकाया देय है तथा उसे भी जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को जनता ने स्थिर सरकार के लिए वोट दिया है और उसी के अनुसार सरकार देश के कल्याण के लिए काम कर रही है।
 
सीतारमण ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के हालिया बयान का भी जिक्र किया। राजन ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में अच्छा काम किया है और उसकी स्थिति श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों जैसी नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि राजन के अनुसार पूरी दुनिया में महंगाई है, ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत दर बढ़ा रहा है, जिससे मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने यह भी कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति दुनिया में कम हो रही है और भारत में भी कम होगी।
 
वित्तमंत्री ने कच्चे पाम तेल, सनफ्लॉवर और सोयाबीन तेल के आयात पर सीमा शुल्क कम करने का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार प्रयासरत है कि जनता को सस्ता खाद्य तेल मिले और मई के मुकाबले जून में खाद्य तेलों के दाम कम हुए हैं। इस दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने वित्तमंत्री के जवाब पर असंतोष जताते हुए सदन से वॉकआउट किया।(भाषा)