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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 22 जून 2020 (15:39 IST)

EXCLUSIVE : 1962 भारत-चीन की लड़ाई में पकड़े गए चीनी सैनिक की जुबानी, युद्ध के दर्द और रिश्तों की अनोखी कहानी !

भारत-चीन के बीच फिर से क्यों नहीं युद्ध चाहते पूर्व चीनी सैनिक वांग छी

EXCLUSIVE : 1962 भारत-चीन की लड़ाई में पकड़े गए चीनी सैनिक की जुबानी, युद्ध के दर्द और रिश्तों की अनोखी कहानी ! - Exclusive story : 1962 Ex Chinese soldier Wang chang qi on India –China
भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव बढ़ता ही जा रहा है। पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने- सामने युद्ध के मुंहाने पर आ खड़ी हुई है। एक छोटी सी घटना दोनों देशों को युद्ध की आग में झोंक सकती है। भारत और चीन के बीच युद्ध जैसे हालात बन जाने से आम लोगों के साथ वह लोग बेहद चिंतिंत नजर आ रहे हैं, जो आज भी 1962 के भारत-चीन युद्ध की विभिषिका को झेलने को मजबूर हैं। 
 
ऐसे ही एक शख्स का नाम वांग छी। 1962 के युद्ध में शामिल होने वाले चीनी सैनिक वांग छी युद्ध के बाद धोखे से भारत की सीमा में घुस आए। गलती से चीन की सीमा पार करने वाले वांग छी कई साल जेल में गुजराने के बाद आज भी एक युद्धबंदी के तौर पर मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में रह रहे है। 'वेबदुनिया' ने भारत- चीन तनाव के बीच चीनी सेना के पूर्व सैनिक वांग छी से युद्ध और दोनों देशों के रिश्तों को लेकर खास बातचीत की ।  
युद्ध के बाद धोखे से भारत में आ गए वांग छी - 1962 के भारत-चीन युद्ध में चीनी सैनिक के तौर पर लड़ने वाले पूर्व चीनी सैनिक वांग छी युद्धबंदी के तौर पर पिछले छह दशक से मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के तिरोड़ी गांव में रह रहे है।
वेबदुनिया से बातचीत में वांग छी जिन्हें अब स्थानीय लोग राजबहादुर वांग के नाम से जानते हैं, 1962 के युद्ध की याद करते हुए थोड़ा भावुक होते हुए कहते हैं कि वह धोखे से भारत की सीमा घुस आए थे, इस दौरान उनको रेडक्रास की गाड़ी दिखाई दी तो चीनी सेना की गाड़ी समझ उसमें सवार हो गए लेकिन उन्हें क्या पता था कि वह भारत की कैद में आ चुके है। युद्धबंदी के रूप में उनको असम में सेना के कैंप में लाया गया इसके बाद वह लंबे समय तक ( करीब सात साल )तक देश की अलग-अलग जेलों में रहे


चीनी सेना के पूर्व सैनिक का संघर्ष भरा रहा जीवन – युद्धबंदी के रूप में भारत रह रहे वांग छी का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है। युद्धबंदी के रूप में पकड़े गए वांग छी को जेल से रिहा होने पर बालाघाट के खनन वाले इलाके में छोड़ दिया गया। यहां पर तिरोड़ी गांव में एक सेठ के यहां आटा चक्की पर उनको शुरुआती काम मिला और उनका एक नया जीवन शुरु हुआ। इसी दौरान 1975 में उनका स्थानीय लड़की सुशील से शादी भी हो गई। 
 
इस दौरान वांग छी ने चीन वापस जाने के लिए काफी प्रयास किए और लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी। वांग छी बताते हैं कि चीन वापस जाने के लिए जब उन्होंने चीनी दूतावास से भी संपर्क किया जहां उन्हें दो टूक में कह दिया गया कि उन्होंने इंडिया की लड़की की शादी कर ली है इसलिए अब तुम उनके आदमी हो गए हो इसलिए चीन वापस नहीं जा सकते हो।
चीन लौटने पर भव्य स्वागत हुआ - लंबे संघर्ष के बाद वांग छी आखिरकार 2017 को पहली बार करीब 55 साल बाद चीन जाने का मौका मिल पाया। चीनी नागारिक वांग छी अपने  बेटे विष्णु और बेटी के साथ जब चीन पहुंचे तो उनका वहां भव्य स्वागत हुआ। वांग छी बताते हैं कि चीन के शिनियांग प्रांत में उनके भाई बहन और पूरा परिवार रहता है। 
वांग छी कहते हैं कि आज भी उनके पास चीन का पासपोर्ट है और इसी साल मार्च में उनका वीजा टाइम खत्म हो चुका है लेकिन कोरोना महामारी के चलते फ्लाइट नहीं चलने के चलते वह वापस नहीं लौट सके। अब उन्होंने वीजा बढ़ाने के लिए आवेदन किया है। वांग छी वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि आज भी उनके चीन में भाई बहन रिश्तेदार है और इस कारण वह चीन सिर्फ आना जाना चाहते है, रहना भारत में चाहते हैं कि क्योंकि भारत में पूरा परिवार बेटे- बहू, बेटियां और पोता पोती रहते है।  

अब रोम-रोम में भारत बसा - आज भी चीन के नागरिक वांग छी जिन्हें युद्धबंदी के तौर पर सरकार ने 1969 में बालाघाट के खनन वाले इलाके में छोड़ दिया इसके बाद से वांग छी 50 साल से अधिक समय तिरोड़ी गांव को ही अपना आशियाना बना रखा है। सरकारी कागजातों में भले ही वांग छी आज भी चीनी नागरिक हो लेकिन उनके रोम-रोम में भारत बस चुका है। वांग छी कहते हैं कि यहां के लोगों ने कभी उनका पराया नहीं माना है और इसी कारण वह वापस अब चीन नहीं जाना जाते। 
जंग नहीं शांति चाहते हैं वांग छी - 1962 की लड़ाई में चीनी सैनिक के रूप में लड़ने वाले वांग छी के दिल में आज भी युद्ध के जख्म ताजा है। सीमा पर एक बार फिर युद्ध के हालात बने जाने से 81 साल के वांग छी बैचेने हो उठे है।
 
वेबदुनिया से बातचीत में भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव पर वांग छी गुस्से में इसे जबरन का झगड़ा बताते हुए कहते हैं कि पहाड़ के लिए लड़ना कहां सही है। वह कहते हैं कि  चीन के लोग भी कभी युद्ध नहीं चाहते है। चीन की आम जनता को लेकर इससे कोई मतलब नहीं है, वह इसे बड़े लोगों का काम बताते है।
वेबदुनिया से बातचीत में वांग छी कहते हैं कि दोनों देशों को युद्ध से बचाना चाहिए क्योंकि युद्ध से किसी का भला नहीं होता है। भारत और चीन के बीच तनाव पर वांग छी कहते हैं कि चीन की आम जनता लड़ाई नहीं चाहती है और चीन के लोग कभी भी युद्ध के पक्ष में नहीं रहते है। चीन वापस जाने की आस लगाए बैठे वांग छी कहते हैं कि जल्द ही दोनों देश के बीच रिश्ते सामान्य होंगे और भारत और चीन दोनों देश बातचीत से इस मुद्दें का हल निकाल लेंगे।