चुनाव 2019 : गुजरात में मुश्किल में भाजपा, सता रही है 8 से 10 सीटें कम होने की चिंता
- शैलेष भट्ट
अहमदाबाद। गत लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 26 सीटें जीतने वाली भाजपा को 2019 के चुनाव में यहां 8 से 10 सीटें कम होने की चिंता सता रही है। भाजपा ने विधानसभा की कमजोर मानी जाने वाली 85 सीटों पर ध्यान केन्द्रित किया है। कुछ समय पूर्व किए गए पार्टी के अंदरूनी सर्वे के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की आठ से दस सीटें कम आने के आसार है। ऐसे में गुजरात में लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है।
राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने सरकारी विभागों को निर्देश दिए हैं कि एनडीए के शासन में गत चार वर्ष में केन्द्र के साथ गुजरात की कितनी समस्याएं सुलझी और कितनी समस्याएं हल नहीं हुई, इसकी सूची तैयार करे। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा के लिए गुजरात की पाटण, महेसाणा, साबरकांठा, सुरेन्द्रनगर, राजकोट, पोरबंदर, छोटा - उदेपुर, पंचमहाल, दाहोद, जुनागढ़, अमरेली, भरूच, जामनगर, आणंद लोकसभा सीटों पर वर्चस्व घटा है।
भाजपा के लिए कच्छ, बनासकांठा, अहमदाबाद ईस्ट एवं वेस्ट, वडोदरा, गांधीनगर, भावनगर, खेडा, बारडोली, सूरत, नवसारी एवं वलसाड सीट पर कोई जोखिम नहीं है। भाजपा को जहां जोखिम है ऐसी 14 सीटों पर पार्टी एडी-चोटी का जोर लगा रही है।
लोकसभा के इस बार के चुनाव पार्टी के लिए 2014 जितने आसान नहीं होंगे, इसमें दो राय नहीं। पेट्रोल-डीजल के बढ़ रहे दामों के खिलाफ देशभर में आक्रोश व्याप्त है, ऊपर से यहां बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा धीमी गति से हो रहे कार्यो के विरूद्ध लोगों में व्याप्त रोष भाजपा को कहीं ले न डूबे।
हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश पटेल जैसे युवा नेता भी पुन: सक्रिय हो रहे हैं। यह सब देखते हुए आगामी दिनों में राज्य की भाजपा सरकार के लिए काफी मुश्किल भरे हो सकते हैं। कांग्रेस भी सरकार को पानी तथा अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर रही है। वैसे 2019 के चुनाव पूर्व गुजरात की राजनीति में काफी उतार-चढ़ाव देखने मिल सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे में नरेन्द्र मोदी एवं अमित शाह की जोड़ी के लिए अपने गृह राज्य को बचाने के लिए कोई बड़ा कदम उठाना पड़ सकता है।
लोकसभा के चुनाव नजदीक आते ही एक ओर पाटीदार आरक्षण आन्दोलन समिति (पास) के कन्वीयर हार्दिक पटेल पुन: सक्रिय हो चुके हैं और महापंचायत बुलाने की घोषणा कर चुके है, वहीं दूसरी तरफ गुजरात की भाजपा सरकार में आन्तरिक तौर पर कुछ पक रहे होने के आसार है। उप मुख्यमंत्री नीतिन पटेल नाराज होने की बातें सोश्यल मिडीया पर वाइरल हो रही है।
राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए शंकरसिंह वाघेला गुट में भी बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। ये सभी राजनीतिज्ञ दांव-पैच के बीच ऐसी भी चर्चा है कि लोकसभा के चुनाव पूर्व पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम एवं अन्य मुद्दों पर लोगों का ध्यान बटाने का तख्ता तैयार किया जा रहा है।
गुजरात भाजपा ने 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, जिसके सामने उसे केवल 99 सीटों पर ही सिमट कर रहना पड़ा। सौराष्ट्र में तो भाजपा बिल्कुल साफ हो गई, जिसकी एक वजह गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा किसानों की अवहेलना होने का जानने मिला। ऐसे में 2019 में केन्द्र के लोकसभा चुनाव में गुजरात की इस घटना का पुनरावर्तन न हो इसका भय भाजपा को सता रहा है, ऐसा भी कहना अनुचित नहीं होगा!!