दिल्ली। नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस को मंगलवार को उस समय विद्रोह जैसे हालात का सामना करना पड़ा जब हजारों पुलिसकर्मियों ने अपने सहयोगियों पर हमलों के खिलाफ यहां पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और अपने मुखिया पुलिस आयुक्त सहित विभिन्न अपीलों और शिकायतों के निपटारे का आश्वासन मिलने के बाद लगभग 11 घंटे चला प्रदर्शन खत्म कर दिया।
इस प्रदर्शन में पुलिसकर्मियों के परिवारों ने भी भाग लिया। शिकायतों के निपटारे के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से आश्वासन मिलने के बाद रात में यह आंदोलन समाप्त हुआ।
विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) सतीश गोलचा ने तीस हजारी अदालत परिसर में पुलिस और वकीलों के बीच झड़प की घटना के बाद हड़ताल पर गए पुलिसकर्मियों से काम पर लौटने की अपील की और कहा कि इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। दिल्ली पुलिस में करीब 80 हजार कर्मी हैं।
उन्होंने कहा कि घायल पुलिसकर्मियों को कम से कम 25-25 हजार रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी। इससे पहले पुलिसकर्मी साकेत अदालत के बाहर सोमवार को अपने एक साथी पर हुए हमले का विरोध कर रहे थे और उन्होंने हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
दिल्ली पुलिस के प्रदर्शन कर रहे कर्मियों ने अपनी मांगे रखते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों से मारपीट करने वाले वकीलों के लाइसेंस वापस लिए जाएं और पुलिसकर्मियों के खिलाफ निलंबन आदेश रद्द किए जाएं।
मंगलवार को पुलिसकर्मियों द्वारा प्रदर्शन करने की अभूतपूर्व घटना के चलते दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को उनसे ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध करना पड़ा।
पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच तनाव के हालात शनिवार से बनने शुरू हो गए थे जब पार्किंग को लेकर हुई झड़प में कम से कम 20 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हो गए थे।
इस बीच साकेत जिला न्यायालय के बाहर बाइक पर सवार एक वर्दीधारी पुलिसकर्मी को कुहनी और थप्पड़ मारने वाले एक वकील के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई हैं।
प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मी बड़ी संख्या में आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर जमा होने लगे तो यातायात धीमा पड़ गया। ऐसे में पटनायक अपने कार्यालय से बाहर आए और उन्होंने पुलिसकर्मियों को आश्वस्त किया कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा।
पटनायक ने मुख्यालय के बाहर एकत्रित हुए पुलिसकर्मियों से कहा कि बीते कुछ दिन हमारे लिए परीक्षा की घड़ी रहे हैं। न्यायिक जांच चल रही है और मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप प्रक्रिया में भरोसा बनाए रखें।
प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों ने काली पट्टियां बांध रखी थीं और वे न्याय की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे। दिल्ली पुलिस के समस्त शीर्ष अधिकारी उन्हें शांत करने का प्रयास कर रहे थे।
पुलिसकर्मियों ने तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा था कि पुलिस वर्दी में हम इंसान हैं। हम पंचिंग बैग नहीं हैं और ‘रक्षा करने वालों को सुरक्षा की जरूरत’। उन्होंने अपने वरिष्ठों से अनुरोध किया कि वर्दी का सम्मान बचाने की खातिर वे उनके साथ खड़े रहें।
इस बीच कुछ अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जिस तरीके से सेवा आचरण का उल्लंघन करते हुए प्रदर्शन किया उससे ऐसा लगता है कि केंद्र नाखुश है। हालांकि सरकार को उनकी शिकायतों के लिए सहानुभूति भी है।
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी स्थिति की समीक्षा की और कहा कि पूरे मामले में निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना जरूरी है।
उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार उपराज्यपाल ने कहा कि वकील और पुलिस आपराधिक न्याय प्रणाली के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और उन्हें पूर्ण सद्भाव के साथ काम करना चाहिए। प्रदर्शन जारी रहने के बीच उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मौजूदा स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
प्रदर्शन के कारण आईटीओ की ओर आने वाले कई रास्तों पर यातायात जाम हो गया और दिल्ली पुलिस को ट्विटर पर यातायात परामर्श जारी करना पड़ा। साकेत अदालत के बाहर सोमवार को वकीलों ने ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी की पिटाई कर दी थी।
आईपीएस एसोसिएशन ने भी इस हमले की निंदा की और ‘अपमान’ तथा ‘हमले’ का सामना करने वाले अपने साथियों के साथ एकजुटता दिखाई। एसोसिएशन के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया गया कि पुलिस और वकीलों के बीच हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों के आधार पर सभी को इस घटना के प्रति संतुलित नजरिया रखना चाहिए। देशभर की पुलिस उन पुलिसकर्मियों के साथ खड़ी है जिन्हें अपमानित किया गया और जिनके साथ मारपीट की गई। कानून तोड़ने के सभी प्रयासों की निंदा करता हूं, चाहे ऐसा प्रयास करने वाला कोई भी हो।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि नागरिक समाज की रक्षा करने और कानून-व्यवस्था को कायम रखने में अपना पूरा जीवन बिताने वाले पुलिसकर्मियों के साथ ऐसा व्यवहार देखकर बेहद दु:ख हुआ।