लद्दाख की हिंसक झड़प पर रक्षा मंत्री की देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ मंत्रणा
नई दिल्ली। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी और 2 सैनिकों के शहीद होने के बाद पूर्वी लद्दाख में हालात पर विचार-विमर्श करने के लिए मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ लगातार दो बैठकें की।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सिंह ने सोमवार की रात भारतीय सेना के तीन कर्मियों के शहीद होने के बारे में तथा क्षेत्र में संपूर्ण स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया है।
गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में एक कर्नल और दो सैनिक शहीद हो गए। पांच हफ्ते से भी ज्यादा समय से इस क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच तनाव बना हुआ है। भारतीय सेना ने कहा है कि चीन को भी नुकसान हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि सिंह ने विदेश मंत्री एस जयशंकर, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की। इसमें पूर्वी लद्दाख में जमीनी हालात की व्यापक समीक्षा की गयी। किसी भी हालात से निपटने के लिए भारत की तैयारियों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
यह पता चला है कि सरकार ने पूर्वी लद्दाख में पेंगॉन्ग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे इलाकों में भारत की सैन्य क्षमता को आगे और मजबूत करने का फैसला किया है।
सूत्रों ने बताया कि तकरीबन एक घंटे चली बैठक के बाद सिंह ने समग्र हालात के बारे में प्रधानमंत्री मोदी को अवगत कराया। रक्षा मंत्री ने दोपहर में विदेश मंत्री जयशंकर, थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के साथ एक और बैठक की।
सूत्रों ने बताया कि जनरल नरवणे ने सोमवार रात गलवान घाटी में हुई घटना के बारे में विस्तार से रक्षा मंत्री को अवगत कराया। पूर्वी लद्दाख के पेंगॉन्ग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी इलाके में भारतीय और चीनी सेना के बीच गतिरोध चल रहा है। पेंगॉन्ग सो सहित कई इलाके में चीनी सैन्यकर्मियों ने सीमा का अतिक्रमण किया है।
भारतीय सेना ने चीनी सेना की इस कार्रवाई पर सख्त एतराज जताया है और क्षेत्र में अमन-चैन के लिए तुरंत उनसे पीछे हटने की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए पिछले कुछ दिनों में दोनों तरफ से कई बार बातचीत भी हुई है। (भाषा)