नई दिल्ली। पुरानी नकदी का चलना बंद होने से जहां एक ओर लोग अपने काले धन को सफेद करने की जुगाड़ में लगे हैं, वहीं देश में कर चोरी की प्रवृत्ति और अचानक नोट बंद होने से मची अफरा-तफरी में अनेक लोगों की मेहनत का सफेद धन भी कालेधन में बदल गया है। यह हुआ टैक्स बचेने के चक्कर में।
सरोजनी नगर की एक महिला ने अपना मकान 50 लाख रुपए में बेचने का सौदा किया। महिला ने सरकारी कर की चोरी और मकान बेचने की लिखा-पढ़ी का खर्च बचाने के लिए खरीदार से मकान को कानूनी तौर पर 10 लाख रुपए में बेचने और बाकी का 40 लाख रुपए नकदी में लेने की शर्त रखी। शर्त के आधार पर दोनों के बीच मकान खरीद-बिक्री का सौदा हो गया, लेकिन इसी बीच सरकार द्वारा पुराने नोटों का चलन बंद किए जाने के निर्णय से अब मकान मालकिन को पूरे 40 लाख रुपए की चपत लग गई। नोट बंद होने के निर्णय के बाद अब खरीदार तो 40 लाख रुपए देने के लिए खुशी खुशी राजी है, लेकिन महिला आयकर छापे और इसे वैध नहीं कर पाने के डर से पैसा लेने से खुद ही मुकर गई।
इसी प्रकार एक अधिकारी ने सेवानिवृत्ति से मिलने वाली राशि को राजधानी में मकान खरीदने के लिए अपने दो बेटों के बीच 30-30 लाख रुपए में बांट दिया। मकान बेचने वाले बिल्डर ने भी सरकारी कर की चोरी और खरीद-बिक्री के खर्च से बचने के लिए खरीदारों को 60 प्रतिशत राशि नकदी और 40 प्रतिशत राशि चेक के जरिए अदा करने का प्रस्ताव दिया।
अपना-अपना सरकारी खर्च बचाने के लिए खरीदारों ने 60 प्रतिशत राशि नकदी में दे दी, जो अब प्रधानमंत्री की अचानक नोट बंद करने की घोषणा के बाद सफेद होने के बावजूद अपने आप ही कालेधन में बदल गई।
भ्रष्टाचार पर काम करने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया में भारतीय शाखा के प्रमुख रमानाथ झा ने कहा,'दरअसल भारत में अभी भी नकदी से ही लेन-देन करने की मानसिकता है। अभी यहां के लोग प्लास्टिक मनी के इस्तेमाल के अभ्यस्त नहीं हैं। बैकिंग प्रणाली से जोड़ने और बैकिंग जागरूकता के बगैर अचानक किये गये इस निर्णय से इस प्रकार के परिणाम तो सामने आने ही हैं।'
उन्होंने कहा कि आम तौर पर हमारे यहां कर चोरी को अपराध ही नहीं समझा जाता। छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यापारी और आम नागरिक सभी लोग सरकारी कर चुराने का हरसंभव प्रयास करते हैं। महिलाओं को मिली कर छूट का लोग नाजायज इस्तेमाल करते हैं।
उल्लेखनीय है कि नोट बंद करने की घोषणा और रेलवे स्टेशन अथवा अस्पताल में इनके चलने की छूट देने के बाद लोगों द्वारा लंबी दूरी के और महंगे टिकट खरीदकर तथा फिर उसे रद्द कराकर काली कमाई को सफेद में बदलने के उदाहरण सामने आ रहे हैं। इसके अलावा जनधन खातों की जमा राशि में अचानक बढ़ोतरी आने की भी खबरें मिल रही हैं।
एक महिला ने अपनी गाढ़ी कमाई के नोटों के बंडल को बड़े नोटों में तब्दील कराया, लेकिन बंदी के फैसले से महिला को ऐसा सदमा लगा कि उसकी मौत हो गई। नोट बंदी के बाद एक दो स्थानों में दुकाने लूटने और मारपीट होने की भी खबरे हैं।
सूत्रों ने बताया कि देश के दूर दराज के इलाकों में दबंग लोग जबरन गरीबों के खाते में पैसा जमा करवाकर उसे वैध बनाने के काम में लगे हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ प्रतिशत का हिस्सा भी मिलता है, लेकिन इससे सरकार के इस बड़े कदम का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा।
दिल्ली के अखबारों में 30-35 प्रतिशत के कमीशन पर पुराने नोटों को बदलने के धंधे की भी खबरें छप रही हैं। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन सूत्र पेट्रोल पंपों के जरिये भी काले-सफेद का धंधा चलने की काना-फूसी कर रहे हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म में उत्तर प्रदेश के प्रमुख एवं संयोजक डॉ. लेनिन ने कहा कि मुख्य तौर पर यह पहल ज्यादा से ज्यादा लोगों को कर दायरे में लाने के लिए की गई है। इससे काले धन पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन कर चोरी के जरिये काली मुद्रा जुटाने वाले लोग जरूर पकड़े जाएंगे। इस तरह तो देश के अधिकांश लोग किसी न किसी तरह से कर चोरी करते ही हैं। उन्होंने कहा कि दिसंबर के बाद सरकार को सभी जनधन खातों की सख्ती से जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को अचानक इस प्रकार का निर्णय करने से पहले पूरी तैयारी करनी चाहिए थी।
लेनिन ने सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि इसके पूर्ण क्रियान्वयन के लिए सरकारी एजेंसियों, अधिकारियों और आयकर अधिकारियों को कई माह तक बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। (भाषा)