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कश्मीर में भयानक सर्दी का दौर, तालाब जमे, तापमान शून्य से 8 डिग्री नीचे

डल झील के पूरा जमने का इंतजार, 30 सालों में वुल्लर पहली बार जमने लगी

कश्मीर में भयानक सर्दी का दौर, तालाब जमे, तापमान शून्य से 8 डिग्री नीचे - cold wave in Kashmir, ponds frozen, temperature 8 degrees below zero
cold wave in Kashmir: कश्मीर में इस बार भयानक सर्दी कई नजारे पेश कर रही है। अगर सोपोर में जम चुके तालाब पर बच्चे क्रिकेट खेलते नजर आ रहे हैं तो डल झील भी पूरी तरह से जमने की ओर अग्रसर है, जबकि वुल्लर झील 30 सालों के बाद पहली बार जमने लगी है। बूंदाबांदी के बीच सूखा खत्म होने की आस भी जगने लगी है।
 
हाल ही में हुई बर्फबारी के बाद कश्मीर में पारे के लुढ़कने के बीच कश्मीर में जम चुके तालाब पर बच्चों द्वारा क्रिकेट का भरपूर आनंद लेने का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कश्मीरी बच्चे चिल्लेकलां के दौरान बेहद ठंडी परिस्थितियों का आनंद लेते हुए दिखाई दिए। बच्चे क्रिकेट खेलते और जमे हुए तालाब पर फिसलते हुए दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में हुई बर्फबारी के कारण कश्मीर में तापमान में भारी गिरावट देखी गई है।
 
झीलों के ऊपर चलने पर प्रतिबंध : हालांकि, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए जमी हुई झीलों पर चलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। हाल ही में कश्मीर में बर्फीली रात देखी गई, जब पिछले 5 दशकों में सबसे ठंडी रात दर्ज की गई, जब तापमान -8.5 डिग्री तक गिर गया। पारे में गिरावट चिल्लेकलां की शुरुआत का संकेत माना जाता है, जिसे ‘भयानक ठंड’ के रूप में भी जाना जाता है।
 
यह अवधि आमतौर पर 21 दिसंबर से शुरू होती है और 29 जनवरी तक चलती है। यह भी सच है कि ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी को छोड़कर, दिसंबर का महीना उम्मीदों के विपरीत रहा है। मैदानी इलाकों या पहाड़ों पर कोई बड़ी बर्फबारी नहीं हुई, जिससे शीत लहर की स्थिति बनी और हिमालयी क्षेत्र में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।
भारी बर्फबारी की चेतावनी : मौसम विशेषज्ञों ने ला नीना प्रभाव के कारण इस सर्दी के मौसम में जम्मू और कश्मीर में आगामी कठोर सर्दियों और भारी बर्फबारी की चेतावनी दी थी।  मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान ठंडा होने से भारत में अधिक वर्षा हुई।  जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में नवंबर में लगभग 70 प्रतिशत कम वर्षा हुई, जिससे कृषि और बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ। तापमान चरम पर रहा, लेकिन वर्षा न्यूनतम रही।
 
श्रीनगर में मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक मुख्तार अहमद के मुताबिक दिसंबर में अधिकांश समय कोई बड़ी वर्षा नहीं होगी। उनका कहना था कि वर्षा या बर्फबारी के हमारे बड़े स्रोत पश्चिमी विक्षोभ (भूमध्य सागर से नमी वाली हवाएं) हैं। अब तक हमने 7-8 पश्चिमी विक्षोभ देखे हैं, जो कमजोर थे और नमी नहीं थी, इसलिए कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा। यही कारण है कि दिसंबर काफी हद तक ठंडा और शुष्क रहा है।
 
वे कहते थे कि ला नीना के कारण उन्हें अच्छी बर्फबारी की उम्मीद थी। उनका मानना था कि ला नीना हमेशा बर्फबारी नहीं लाता है। ला नीना वाले 50-55 परसेंट वर्षों में भारी बर्फबारी और अत्यधिक ठंड रही है। अब तक हमने केवल ठंडा मौसम देखा है, लेकिन बारिश नहीं हुई है।
 
हल्की बारिश की उम्मीद : उन्होंने कहा कि उन्हें 3 से 5 जनवरी के बीच हल्की बारिश की उम्मीद है। वे कहते थे कि जनवरी की शुरुआत में मध्य और निचले इलाकों में लंबे समय तक बारिश और बर्फबारी का अनुमान है। हालांकि बागवानी विभाग के विशेषज्ञ मोहम्मद अमीन कहते थे कि यदि ठंड और सूखे की स्थिति जारी रही तो इससे कृषि और बागवानी पर असर पड़ सकता है। उनका कहना था कि कृषि फसलें तत्काल प्रभावित होंगी क्योंकि उन्हें सिंचाई की आवश्यकता है, जबकि लंबे समय में यदि आने वाले महीनों में भी बारिश नहीं हुई तो इसका असर सेब, नाशपाती और अन्य बागवानी फसलों की वृद्धि पर पड़ेगा।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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