रामकृष्ण मिशन, नई दिल्ली और सीबीएससी के सहयोग से विवेकानंद सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली और एनसीआर से तीन सौ से अधिक प्रिंसिपल्स ने भाग लिया।
कार्यशाला का विषय था
नई शिक्षा नीति 2020 का कार्यावन और रामकृष्ण मिशन का अनुदान इस आयोजन में सीबीएससी के सेक्रेटरी अनुराग त्रिपाठी, डॉ बिश्वजीत साहा- निदेशक व्यावसायिक शिक्षा, सीबीएसस, विनायक गर्ग, कमिश्नर नवोदय विद्यालय समिति ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वामी शांतात्मानंद, सेक्रेटरी रामकृष्ण मिशन, नई दिल्ली थे।
इस अवसर पर अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि यहां सब शिक्षाविद्ध मौजूद हैं और हम सबको पता है कि अब तक की शिक्षा प्रणाली से अभी तक हमें वह सब हासिल नहीं हुआ है, जिसकी हमें उम्मीद थी।
नई शिक्षा नीति बहुत ही अच्छी है पर हमें अपेक्षित परिणाम तभी हासिल होंगे, जब हमें आप सभी का सहयोग प्राप्त होगा। उन्होंने प्राचार्यो और शिक्षकों से अपना अहम छोड़ने के लिए कहा और कहा कि कुछ नया सीखने के लिए हमें पुराने को छोड़ना पड़ेगा।
बच्चों को हमें पोषण देना होगा। बच्चे एक बीज की तरह हैं जिन्हें सही पोषण देकर पौधे की तरह बनाना है। यही शिक्षक का काम है। उन्होंने कहा बच्चा बचपन में जो सीखता है, वही सारी जिंदगी प्रयोग में लाता है।
मातृभाषा में दी गई शिक्षा बहुत प्रभावी होती है। उन्होंने रामकृष्ण मिशन द्वारा दी जा रही एसीपी शिक्षा के योगदान पर कहा कि इससे प्रधानाध्यापक अपने विद्यालय की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकते है
बिश्वजीत साहा ने कहा कि एसीपी प्रोग्राम छात्रों के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इस बात की पुष्टि छात्रों के अभिभावकों की प्रतिक्रिया द्वारा प्राप्त हो जाता है। विनायक गर्ग ने कहा कि नवोदय विद्यालय गुणवत्ता पर आधारित शिक्षा पर विश्वास करती है जो ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को दी जाती है।
नवोदय विद्यालय की स्थापना केवल शिक्षा देने के लिए ही नहीं हुआ वरन गुणवत्ता आधारित शिक्षा देने पर हुआ। एसीपी शिक्षा के द्वारा छात्रों को आत्मनिर्भर होने की शिक्षा मिल रही है।
इस अवसर पर स्वामी शांतात्मानंद जी ने कहा कि परिवर्तन संभव है केवल शिक्षा से। शिक्षा भी सही दिशा में होनी चाहिए वरना छात्र गलत दिशा भी पकड़ सकता है। हर साल एक करोड़ से ज्यादा छात्र- छत्राएं कक्षा दसवीं से निकलते हैं और दिशाहीन होते है।
एसीपी शिक्षा द्वारा उनमे आत्म श्रद्धा के बीज डाले जाते हैं ताकि वे जीवन की सभी चुनौतियों का सामना मजबूती से कर सके।
कठिन से कठिन परिस्थितियों में हार न माने और अपने जीवन को सही दिशा दे सके। ये शिक्षा स्वामी विवेकानंद के दर्शन पर आधारित है, जिसमें युवाओं को दिशा देने की क्षमता है। यह जानकारी रामकृष्ण मिशन से जुड़ीं माधवी श्री ने दी।