मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Blockchain Technique, Block tracker
Written By
Last Updated : शनिवार, 22 मई 2021 (13:33 IST)

नि‍जी डेटा लीक नहीं होने देगा ‘ब्लॉक-ट्रैक’ ऐप

नि‍जी डेटा लीक नहीं होने देगा ‘ब्लॉक-ट्रैक’ ऐप - Blockchain Technique, Block tracker
नई दिल्ली, वर्तमान डिजिटल युग में सेहत की देखभाल के लिए कई तरह के ऐप्स का उपयोग हो रहा है। लेकिन, ऑनलाइन दुनिया में स्वास्थ्य संबंधी डेटा एवं यूजर्स की निजता को सुरक्षित रखना एक चुनौती है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के शोधार्थियों ने इस समस्या का समाधान निकाला है। उन्होंने ‘ब्लॉक-ट्रैक’ नामक एक सुरक्षित मेडिकल डेटा और सूचना विनिमय तंत्र विकसित किया है। यह मोबाइल एप्लिकेशन के रूप में काम करेगा। आईआईटी मद्रास इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल में इसका परीक्षण किया जा रहा है।

यह परियोजना इन्फोसिस के कारोबारी सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत संचालित की जा रही है। कई महीनों कि तैयारी के बाद इस वर्ष मार्च से इस एप्लीकेशन का परीक्षण शुरू किया गया है। ब्लॉक-ट्रैक का उद्देश्य स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को इस प्रकार सहेजकर रखना है, जिससे निजी जानकारियां लीक न हों।

उल्लेखनीय है कि डेटा के दुरुपयोग को लेकर अक्सर कई मामले सामने आते रहते हैं। यह एप्लिकेशन ब्लॉक-चेन आधारित तकनीक पर काम करता है, जो अब इंडियन पेटेंट ऑफिस के साथ प्रोविजन आईपी से संरक्षित है।

इस प्लेटफॉर्म को आईआईटी मद्रास में सीएनडीई के रिमोट डायग्नोस्टिक्स प्रयोगशाला में लीड फैकल्टी प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल की टीम द्वारा विकसित किया गया है। प्रोफेसर राजगोपाल कहते हैं- “ब्लॉक-ट्रैक एक आकर्षक परियोजना है, जो इंजीनियिरंग नवाचार को दर्शाती है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करने की क्षमता है।

यह हेल्थकेयर डेटा को सुरक्षित रखने वाली ब्लॉक-चेन आधारित प्राथमिक तकनीकों में से एक है। यह न केवल देश, बल्कि दुनियाभर के मरीजों का स्वास्थ्य डेटा सुरक्षित रखने में खासी उपयोगी हो सकती।’

कोरोना-काल में शुरू किये गए इस एप्लीकेशन से संबंधित परियोजना के बारे में प्रोफेसर राजगोपाल ने यह भी बताया कि इसमें किसी संक्रामक बीमारी के साथ साथ असाध्य या क्रॉनिक बीमारियों के डेटाबेस को भी सहेजा जा सकता है।

डॉक्टरों और मरीजों के लिए इस एप्लीकेशन का अलग-अलग एंड्रॉयड वर्जन विकसित किया गया है। इसका एल्गोरिदम उपभोक्ताओं के लिए विशिष्ट पहचान कोड सृजित करता है, जिसमें किसी भी दोहराव की बहुत कम आशंका है। यह डेटा प्राइवेसी के साथ ही उत्तम कोटि की स्वास्थ्य प्रबंधन सेवाओं की पेशकश करता है। इसमें दुनियाभर में फैल रहे संक्रमणों की जानकारी भी उपलब्ध हो सकती है।

प्रोफेसर राजगोपाल ने बताया कि “इसका ट्रायल आईआईटी मद्रास के अस्पताल में ही किया गया है, जहां से हमें काफी सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इसके परिक्षण की अगली कड़ी में हम एक स्टार्टअप शुरू करने की तैयारी में हैं, जो न केवल इस एप्लीकेशन को बाजार में उतारेगा, बल्कि इसमें नये फीचर जोड़ने और अन्य अपडेट पर काम करेगा।”

ब्लॉकचेन तकनीक के बारे में बताते हुए प्रोफेसर राजगोपाल ने कहा कि “भविष्य में इस तकनीक पर आधारित हम कुछ अन्य एप्लीकेशन पर भी काम करेंगे। इसमें मेडिकल इंश्योरेंस, ऑर्गन डोनेशन, फार्मेसी आदि से जुड़े डेटाबेस शामिल हो सकते हैं।” 

बताया जा रहा है कि यह एप्लिकेशन विभिन्न अस्पतालों, संस्थानों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े संगठनों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम कर सकता है। यह मेडिकल आपूर्ति श्रृंखला और संक्रमणों से बचाव के तौर-तरीकों के एकीकरण में भी उपयोगी हो सकता है। ऐसे में, ब्लॉक-ट्रैक के उपभोक्ता अपने डेटा की चिंता किए बिना प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत स्वास्थ्य सुविधाओं का बेफिक्र होकर लाभ उठा सकते हैं। (इंडिया सांइस वायर)
ये भी पढ़ें
Special Story : 'आनंदैया' का दावा, आंख में दवा डालते ही उठ गया Corona मरीज