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Last Updated : रविवार, 18 दिसंबर 2016 (20:35 IST)

नए सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति पर सवाल?

National News
नई दिल्ली। कांग्रेस और वामदलों ने दो अधिकारियों को नजरअंदाज करके नए सेना प्रमुख की नियुक्ति किए जाने पर सवाल उठाए और कहा कि सरकार द्वारा की गई हर नियुक्ति विवादित हो गई है। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब सरकार ने कल दो वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया सेना प्रमुख बनाया।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने रविवार को कहा कि हर संस्थान की अपनी गतिशीलता, पदक्रम और वरिष्ठता क्रम होता है जो केवल भारत में नहीं बल्कि विश्व में हर जगह सैन्यबलों का प्रभावी गतिबोधक है।
 
उन्होंने कहा, जनरल रावत के पेशेवर रूख को पूरा सम्मान देते हुए और किसी के प्रति निजी आशय के बिना, यह एक वैध सवाल है कि यह वरीयता क्यों दी गई। तिवारी ने कहा कि पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिणी सेना कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हरीज लेफ्टिनेंट जनरल रावत से वरिष्ठ हैं।
 
भाकपा नेता डी राजा ने भी सरकार के कदम पर सवाल उठाए और कहा कि नियुक्तियां विवादित हो गई हैं। उन्होंने कहा, सेना में नियुक्तियां विवादित हो गई हैं, न्यायपालिका में नियुक्तियां पहले ही विवादित हैं, सीवीसी, सीबीआई निदेशक और केन्द्रीय सूचना आयोग, इन सभी शीर्ष पदों पर नियुक्तियां बहुत विवादित हो गई हैं। इसे ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए राजा ने कहा कि यह लोकतंत्र और देश के हित में नहीं है।

नए सेना प्रमुख की नियुक्ति को सही ठहराया भाजपा ने : कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना को खारिज करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नए सेना प्रमुख के रूप में नियुक्ति को सही ठहराया है और कहा है कि इस निर्णय में पूरी पारदर्शिता बरती गई है और निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है। 
 
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने रविवार को यहां कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत उपसेना प्रमुख हैं और उनको सेना प्रमुख बनाने में पारदर्शिता बरती गई है और निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है।
 
उन्होंने कहा कि पूरा विपक्ष खासतौर से कांग्रेस हर बात का राजनीतिकरण करना चाहती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेना प्रमुख की नियुक्ति का राजनीतिकरण किया जा रहा है। भाजपा नेता ने कहा कि वरीयता के उल्लंघन का मामला नया नहीं है। इससे पहले वर्ष 1983 में लेंफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा की वरीयता को अनदेखा किया गया था। 
 
भाजपा नेता ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह वास्तविक मुद्दों पर चर्चा करने से बचती है और मीडिया में आने के लिए मामले में उठाती है। (एजेेंसी)    
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