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Last Modified: शुक्रवार, 12 जनवरी 2018 (23:53 IST)

भारतीय सेना सीमा पार जाने को तैयार : जनरल रावत

भारतीय सेना सीमा पार जाने को तैयार : जनरल रावत - Bipin Rawat, Indian Army, India-Pakistan border, China
नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि अगर सरकार कहे तो सेना पाकिस्तान के परमाणु झांसों को धता बताने और किसी भी अभियान के लिए सीमापार करने को तैयार है। जनरल रावत ने कहा कि हम पाकिस्तान की परमाणु हथियारों की बातों को चुनौती देंगे।
 
 
उन्होंने कहा, अगर हमें वाकई पाकिस्तानियों का सामना करना पड़ा और हमें ऐसा काम दिया गया तो हम यह नहीं कहेंगे कि हम सीमा पार नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास परमाणु हथियार हैं। हमें उनकी परमाणु हथियारों की बातों को धता बताना होगा। सेना प्रमुख ने कहा, हम प्रस्ताव के विभिन्न आयामों का अध्ययन रहे हैं। उनसे यहां सीमा पर हालात बिगड़ने की स्थिति में पाकिस्तान द्वारा उसके परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना पर सवाल पूछा गया था।
 
चीन से लगती सीमा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत : सेना प्रमुख जनरल रावत ने कहा कि भारत को अब पाकिस्तान की तुलना में चीन से लगती सीमा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों को उससे दूर होकर चीन के करीब जाने नहीं दे सकता। उन्होंने एक तरह से पड़ोस पहले की नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने की हिमायत सरकार से की।
 
रावत ने सेना दिवस की पूर्व संध्या पर मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया कि चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा सीमा पर पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि चीन एक शक्तिशाली देश हो सकता है, लेकिन भारत भी कोई कमजोर राष्ट्र नहीं है।
 
सेना प्रमुख ने कहा कि चीन से निपटने की व्यापक रणनीति के एक हिस्से के तहत नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे देशों को अपने साथ रखना होगा। उन्होंने कहा कि भारत को उन्हें समर्थन जारी रखने के लिए पूरे मन से प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि हमें अपने पड़ोसियों को अपने से दूर नहीं जाने देना चाहिए, वे देश नेपाल हों या भूटान, म्यांमार, बांग्लदेश, श्रीलंका या अफगानिस्तान। इन देशों को अपने साथ रखना होगा और मैं समझता हूं कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए हमें पूरा प्रयास करना होगा कि हम उन देशों को समर्थन जारी रखें।
 
सेनाध्यक्ष का यह बयान इस मायने में महत्वपूर्ण है कि हाल में चीन ने कुछ दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंध प्रगाढ़ किए हैं और उन्हें भारी वित्तीय सहायता मुहैया करा रहा है। कुछ विशेषज्ञों का माना है कि इससे मालदीव, श्रीलंका और नेपाल जैसे भारत के कुछ पड़ोसी देश चीन की ओर जा सकते हैं।
 
पाकिस्तान के साथ लगती पश्चिमी सीमा की तुलना में चीन के साथ लगती उत्तरी सीमा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत पर बल देते हुए रावत ने कहा, लंबे समय से हमारा ध्यान पश्चिमी मोर्चे पर रहा है। अब उत्तरी सीमा पर ध्यान देने का समय आ गया है। इसलिए उत्तरी सीमा पर अवसंरचनात्मक विकास को गति देने की जरूरत है। रावत ने कहा कि हम अन्य देशों, क्षेत्र में देशों के समूह से समर्थन मांग रहे हैं, ताकि हम आक्रामक चीन के सामने एशिया में अलग-थलग नहीं हो जाएं। अगला कदम उठाया जा रहा है और इसलिए आप देखेंगे कि एक चतुष्कोण बन रहा है।
 
पिछले साल नवंबर में भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने अपने साझा हितों को पूरा करने के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक चतुष्कोणीय गठबंधन के गठन के लिए प्रयास तेज किया था। इस कदम को चीनी प्रभाव से मुकाबला के लिए कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि अन्य देश जिस भी तरीके से भारत का समर्थन कर सकते हैं, वे आगे आ रहे हैं। रावत ने कहा कि सैन्य स्तर पर, हम जानते हैं कि अगर चीन से कोई खतरा है तो हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा से ज्यादा ध्यान चीन से लगी उत्तरी सीमा पर देने की जरूरत है।
 
उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि चीन एक ताकतवर देश है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम कोई कमजोर देश नहीं हैं। हमें इतना चिंतित नहीं होना चाहिए। हम स्थिति से निपट रहे हैं। हम आश्वस्त हैं कि हम स्थिति से निपट सकेंगे। रावत ने कहा कि चीन उत्तरी डोकलाम में अपने सैनिकों को रखता रहा है।
 
उन्होंने कहा कि भारत राजनयिक बातचीत सहित विभिन्न स्तरों पर चीन से निपट रहा है। रावत ने स्वीकार किया कि कई सीमावर्ती इलाकों में चीन दबाव डालता रहा है लेकिन भारत ने यह सुनिश्चित किया कि स्थिति एक बिंदु से आगे नहीं बढ़े। उन्होंने कहा कि भारत किसी को भी अपने क्षेत्र में घुसपैठ या आक्रमण की अनुमति नहीं देगा। जब कभी हमारे क्षेत्र में घुसपैठ होती है, हम अपने क्षेत्र की रक्षा करेंगे क्योंकि हमें यह आदेश मिला हुआ है। (भाषा)
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