शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Biography of raja-ram mohan roy, raja ram mohan roy
Written By
Last Updated : सोमवार, 27 सितम्बर 2021 (17:40 IST)

कौन थे राजा राममोहन राय, 10 किस्‍सों से जानिए उनके सामाजिक कार्यों के बारे में

कौन थे राजा राममोहन राय, 10 किस्‍सों से जानिए उनके सामाजिक कार्यों के बारे में - Biography of raja-ram mohan roy, raja ram mohan roy
ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय प्रेस के जनक, भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत और आधुनिक भारत के जनक राजा राममोहन राय का जन्म ब्राह्मण परिवार में 22 मई 1772 को हुगली जिले के राधानगर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम रामकांत राय और माता का नाम तारिणी देवी था।

उनकी शिक्षा बंगला भाषा में हुई। इसके साथ ही उन्‍होंने पटना में अरबी व फारसी की शिक्षा ली। वहीं काशी में संस्कृत का अध्ययन किया। उन्होंने अंग्रेजी भी सि‍खी। वेदांत और उपनिषदों के प्रभाव से इनका दृष्टिकोण उदारवादी था।

वो ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने East India Company की नौकरी छोड़ खुद को राष्ट्र समाज में झोंक दिया। भारतीय समाज में सती प्रथा, बाल विवाह से निजात दिलाने में उनका महत्‍वपूर्ण योगदान है। जानते हैं कुछ दिलचस्‍प बातें।

  1. उन्‍होंने तिब्बत जाकर बौद्ध धर्म का अध्ययन किया। लौटने पर विवाह होने के बाद पारिवारिक निर्वाह  के लिए ईस्‍ट इंडिया कंपनी में क्लर्क के पद पर नौकरी की। यहा से उन्हें अंग्रेजी, लैटिन और ग्रीक भाषाओं का ज्ञान लिया!
  2. 40 की उम्र में समाज सेवा कार्य में लग गये और इन्होने सती-प्रथा का विरोध, अन्धविश्वासों का विरोध, बहु-विवाह विरोध और जाति प्रथा का विरोध किया।विधवाओ के पुनर्विवाह और पुत्रियों को पिता की संपत्ति दिलवाने की दिशा में कार्य किया।
  3. मोहन राय मूर्ति पूजा के विरोधी भी थे। पर जीवन में एक ऐसा मोड़ भी आया, जब वो खुद साधु बनना चाहते थे, लेकिन उनकी माता ने उन्हें रोक लिया। राजा राममोहन राय हिन्दी भाषा से बहुत प्यार करते थे।
  4. साल 1814 में ‘आत्मीय सभा’ बनाई जिसका उद्देश्य ईश्वर एक है का प्रचार था। एक ईश्वर की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए ‘ब्रह्मसभा’ की स्थापना की। जिसे ‘ब्रह्मसमाज’ कर दिया।
  5. 1825 में उन्होंने वेदांत कॉलेज की स्थापना की, जिसमे भारतीय विद्या के अलावा सामाजिक व भौतिक विज्ञान भी पढाई जाती थी।
  6. राजा राममोहन राय ने ‘ब्रह्ममैनिकल मैग्ज़ीन,मिरात-उल-अखबार, बंगदूत जैसे पत्रों का प्रकाशन भी किया। वे अंग्रेजी शिक्षा के पक्षधर थे।
  7. राजा राममोहन राय को भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन का अग्रदूत और बंगाल में नव-जागरण युग का पितामह भी कहा जाता है।
  8. अपने दम पर उन्‍होंने भारत में आजादी के आन्दोलन में अपनी पत्रकारिता से आन्दोलन को नया रूप दिया।
  9. राजा राममोहन राय ने प्रशासन में सुधार के लिए आन्दोलन किया।
  10. ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध शिकायत लेकर 8 अप्रैल 1831 को इंग्लैंड गये और उसके बाद पेरिस भी गये। 27 सितम्बर 1833 में समाज सुधारक राजा राममोहन राय का निधन हो गया।