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Last Updated :नई दिल्ली , शनिवार, 15 जून 2024 (22:37 IST)

दिल्ली हाईकोर्ट से रजत शर्मा को बड़ी राहत, कांग्रेस को सभी झूठे वीडियो हटाने का दिया आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट से रजत शर्मा को बड़ी राहत, कांग्रेस को सभी झूठे वीडियो हटाने का दिया आदेश - Big relief to Rajat Sharma from Delhi High Court
Big relief to Rajat Sharma from Delhi High Court : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेताओं- जयराम रमेश, पवन खेड़ा और रागिनी नायक को सोशल मीडिया पर अपने उन पोस्ट को हटाने का आदेश दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने लोकसभा चुनाव परिणाम वाले दिन अपने शो के दौरान अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।
 
सोशल मीडिया पोस्ट अति सनसनीखेज हैं : अदालत ने कहा कि यदि सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर वीडियो और पोस्ट को सार्वजनिक रहने दिया गया तो वादी की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि अदालत में दिखाए गए टेलीविजन बहस के फुटेज से प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि वादी शर्मा ने कुछ सेकंड के लिए ही हस्तक्षेप किया था और नायक के खिलाफ कोई अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया था। अदालत ने कहा कि पत्रकार की निंदा करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट अति सनसनीखेज हैं।
 
अदालत ने शुक्रवार को पारित और शनिवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए 18 पृष्ठों के आदेश में कहा, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन घटना के प्रति सच्चाई पर रहना भी उनका कर्तव्य है। वादी की निंदा करने वाले ‘एक्स’ पर पोस्ट कुछ और नहीं बल्कि उन तथ्यों को अति सनसनीखेज बनाना और ऐसा चित्रण है जो स्पष्ट रूप से झूठ है।
 
असुविधा की भरपाई भविष्य में हर्जाने से नहीं की जा सकती : अदालत ने कहा कि सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में है, क्योंकि इन वीडियो को निजी बनाने या उन्हें सार्वजनिक मंचों पर उपलब्ध होने से रोकने से प्रतिवादियों के अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं होगा। हालांकि इन वीडियो और ‘एक्स’ पोस्ट के सार्वजनिक रहने से होने वाली असुविधा की भरपाई भविष्य में हर्जाने से नहीं की जा सकती।
 
अदालत ने कहा, यह निर्देश दिया जाता है कि जिन एक्स पोस्ट/ट्वीट को हटाया नहीं गया है, उन्हें मध्यवर्ती दिशानिर्देशों के तहत प्रतिवादियों द्वारा सात दिनों के भीतर हटा दिया जाए। अदालत ने कहा, यह भी निर्देश दिया जाता है कि जो वीडियो सार्वजनिक हैं, उन्हें प्रतिवादी संख्या 2 (गूगल इंडिया) द्वारा गुप्त कर दिया जाए और इस अदालत के आदेश के बिना उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाए।
इसने मुकदमे में तीन कांग्रेस नेताओं, एक्स कॉर्प, गूगल इंडिया और मेटा मंच सहित सभी प्रतिवादियों को समन भी जारी किया और इसे 11 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। शर्मा के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि सोशल मीडिया पर उनके मुवक्किल के खिलाफ कथित आपत्तिजनक ट्वीट और वीडियो को हटाने तथा नेताओं को उनके खिलाफ आरोप लगाने से रोकने का एकतरफा आदेश दिया जाए।
 
यह विवाद उस वक्त पैदा हुआ जब नायक ने शर्मा पर 2024 के लोकसभा चुनावों की मतगणना के दिन शो पर बहस के दौरान राष्ट्रीय टेलीविजन पर उनके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया। इंडिपेंडेंट न्यूज सर्विस प्राइवेट लिमिटेड (इंडिया टीवी) के अध्यक्ष और प्रधान संपादक शर्मा भी शुक्रवार को अदालत में सुनवाई के दौरान मौजूद थे।
 
जबकि मूल फुटेज में ऐसी कोई सामग्री नहीं है : शर्मा के वकील ने कहा था कि यद्यपि चैनल पर बहस चार जून की शाम को थी, जबकि कांग्रेस नेताओं ने 10 और 11 जून को ट्वीट किए। शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील दी कि शो की एक क्लिप प्रसारित की जा रही थी, जिसमें एक गाली डाली गई थी, जबकि मूल फुटेज में ऐसी कोई सामग्री नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, इसमें कोई गाली नहीं है। लाइव शो के छह दिन बाद उन्होंने (कांग्रेस नेताओं ने) ट्वीट किया कि इस एंकर (शर्मा) ने इस महिला (नायक) के खिलाफ गाली का इस्तेमाल किया है। उन्होंने (आरोपियों ने) 11 जून को एक संवाददाता सम्मेलन किया। चार जून को उन्होंने यह नहीं कहा कि कोई गाली दी गई थी। उन्होंने उस दिन यह नहीं सुना।
 
बदनाम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती : उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि सार्वजनिक आलोचना और मध्यस्थ मंचों पर कथित अपमानजनक ‘एक्स’ पोस्ट और यूट्यूब वीडियो की सीमा बहुत अधिक है, लेकिन किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत गरिमा और सम्मान को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के आधार पर बदनाम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा, यदि मुकदमे के गुण-दोष के आधार पर निर्णय होने तक सामग्री को सार्वजनिक रहने से रोक दिया जाता है, तो प्रतिवादियों को कोई नुकसान नहीं होगा, जबकि इन ट्वीट में वादी को भविष्य में बदनाम करने की क्षमता है और उनकी प्रतिष्ठा को हुए नुकसान की व्यावहारिक रूप से कोई भरपाई नहीं है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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