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Last Modified: पटना , मंगलवार, 27 मई 2025 (13:07 IST)

ओवैसी का बिहार में बड़ा दांव, महागठबंधन के साथ गठजोड़ की कोशिश

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Owaisi news in hindi : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर नया गेमप्लान बना रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर से अपने राष्ट्रवादी बयानों से चर्चा में आए ओवैसी अब बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटे हैं। सूत्रों के अनुसार, अब वो महागठबंधन से जुड़ना चाहते हैं। अब तक विपक्षी इंडिया गठबंधन से दूरी बनाए रखने वाली एआईएमआईएम अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने की जुगत में है। महागठबंधन में आरजेडी के साथ कांग्रेस और वामपंथी दल पहले से ही शामिल हैं। ALSO READ: दूसरी बार पिता बने तेजस्वी यादव, शेयर की बच्चे की तस्वीर
 
महागठबंधन के साथ गठजोड़ की कोशिश : 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में एआईएमआईएम के नेता आरजेडी नेताओं के साथ लगातार संपर्क में हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हसन ने कहा, 'हम महागठबंधन के साथ गठबंधन करने को इच्छुक हैं और इस दिशा में सकारात्मक सोच रखते हैं। हमारी विचारधारा भाजपा को हराने और बिहार को सशक्त बनाने की है। हमारी लड़ाई भी कांग्रेस की तरह भाजपा के खिलाफ है।'
 
एआईएमआईएम ने आगामी विधानसभा चुनाव में 243 में से 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर आरजेडी और कांग्रेस गठबंधन में शामिल करने को तैयार होते हैं, तो वह कम सीटों पर भी चुनाव लड़ने को राजी है।
 
2020 के प्रदर्शन से उत्साहित ओवैसी : एआईएमआईएम का यह उत्साह 2020 के विधानसभा चुनाव में उसके शानदार प्रदर्शन से आया है। तब पार्टी ने बसपा और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के साथ तीसरा मोर्चा बनाया था और 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 5 सीटें जीती थीं। इन सीटों पर पार्टी को 14.28% वोट मिले थे। वहीं, बसपा ने 78 सीटों पर लड़कर सिर्फ एक सीट जीती, जबकि आरएलएसपी 99 सीटों पर खाता भी नहीं खोल पाई।
 
आरजेडी पर टिका फैसला : हालांकि, अभी तक आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर कोई औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हुई है। एआईएमआईएम के नेताओं का कहना है कि विधानसभा में मुलाकातों के दौरान आरजेडी नेता सुझाव देते हैं कि साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए। लेकिन अंतिम फैसला आरजेडी को ही लेना है। आदिल हसन ने कहा, 'हम गठबंधन के लिए कोशिश कर रहे हैं। अगर यह नहीं हो पाता, तो जिम्मेदारी आरजेडी की होगी। ऐसी स्थिति में हम बिहार के मुस्लिम संगठनों से संपर्क करेंगे।'
 
सीमांचल में मजबूत पकड़ : एआईएमआईएम की ताकत बिहार के सीमांचल क्षेत्र में है, जिसमें अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जिले शामिल हैं। 2020 में पार्टी ने इसी क्षेत्र की पांच मुस्लिम-बहुल सीटें जीती थीं। हालांकि, जून 2022 में पार्टी को बड़ा झटका लगा, जब उसके चार विधायक—मुहम्मद इज़हार अस्फी, शहनवाज़ आलम, सैयद रुकनुद्दीन और अज़हर नईमी—आरजेडी में शामिल हो गए।
 
महागठबंधन का ‘वोटकटवा’ वाला आरोप : महागठबंधन पहले ही एआईएमआईएम पर “भाजपा की बी-टीम” होने का आरोप लगा चुका है। उसका दावा है कि ओवैसी की पार्टी महागठबंधन के वोट काटकर “स्पॉइलर” की भूमिका निभाती है। इस आरोप के बीच ओवैसी का महागठबंधन के साथ आने की कोशिश बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकती है।
 
बिहार की सियासत में ओवैसी की रणनीति और महागठबंधन का रुख आने वाले दिनों में साफ होगा। अगर यह गठजोड़ बनता है, तो यह बिहार में विपक्षी एकता को मजबूत कर सकता है। लेकिन अगर बात नहीं बनती, तो एआईएमआईएम अपने दम पर मुस्लिम-बहुल सीटों पर मजबूत दावेदारी पेश कर सकती है। फिलहाल, सारी निगाहें आरजेडी के अगले कदम पर टिकी हैं।
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