सोमवार, 16 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Arvind Kejriwal's master stroke again in Delhi after 10 years
Last Modified: सोमवार, 16 सितम्बर 2024 (16:27 IST)

अरविंद केजरीवाल ने 10 साल बाद दिल्ली में फिर चला मास्टर स्ट्रोक?

अरविंद केजरीवाल ने 10 साल बाद दिल्ली में  फिर चला मास्टर स्ट्रोक? - Arvind Kejriwal's master stroke again in Delhi after 10 years
दिल्ली में शराब नीति केस में तिहाड़ से रिहाई के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने का एलान कर सभी को चौंका दिया है। 10 साल से दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर काबिज अरविंद केजरीवाल ने ऐसे समय पद छोड़ने का एलान किया है जब पांच महीने बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। वहीं अरविंद केजरीवाल ने नवंबर में चुनाव कराने की मांग  की है।

केजरीवाल का इस्तीफा क्या मास्टर स्ट्रोक?- मुख्यमंत्री पद छोडने का एलान करने के साथ अरविंद केजरीवाल ने इमोशनल दांव चल दिया है। उन्होंने कहा कि वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे और जब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती है। वहीं केजरीवाल ने कहा वह दिल्ली की जनता से पूछना चाहते है कि केजरीवाल ईमानदार है या नहीं।
 ALSO READ: अरविंद केजरीवाल की रिहाई से हरियाणा विधानसभा चुनाव में AAP को कितना फायदा?
दरअसल केजरीवाल अपनी ईमानदारी की बात कह कर चुनाव में सहानुभूति का फायदा लेने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे है। दरअसल केजरीवाल ने 10 साल पहले जब दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी तो उनकी छवि एक ईमानदार राजनेता के तौर थी और दिल्ली की जनता ने इसे खूब पंसद भी किया। मोदी लहर के बाद दिल्ली में लगातार दो बार प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा को सीधी चुनौती थी।

अब जब दिल्ली फिर विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ी है और पिछले 10 साल में यमुना में बहुत पानी बह चुका यानि एक के बाद आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं को भष्टाचार के आरोप में जेल जाना पड़ा तब अब विधानसभा चुनाव में पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती छवि को लेकर है।

ऐसे में अरविंद केजरीवाल की सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर कोर्ट ने जिस तरह से सीबीआई की भूमिका को लेकर टिप्पणी की और सीबीआई को पिंजरे का तोता बनने से बचने की सीख दी उसे केजरीवाल अपने लिए एक मौके के रूप में देख रहे है। अब केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के सहारे जनता के बीच केंद्रीय जांच एजेंसियों के जानबूझकर उनको फंसाने और खुद को सियासी तौर पर शहीद बताते हुए चुनाव में सहानुभूति का बड़ा कार्ड खेला है। इसके साथ केजरीवाल चुनाव में अपनी ईमानदार राजनेता की छवि वाला दांव भी चलने की तैयारी में है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने का एलान कर केजरीवाल यह बताना चाहते है कि उन्हें  मुख्यमंत्री की कुर्सी का कोई मोह नहीं है। केजरीवाल ने जिस तरह से एलान कि वह तब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे जब तक दिल्ली की जनता उन्हें ईमानदार नहीं बताएगी। ऐसे कर केजरीवाल ने पूरे चुनाव को अपने उपर केंद्रित कर दिया है।  

हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिलेगा माइलेज- दरअसल केजरीवाल ने अपने इस्तीफे का एलान कर एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। केजरीवाल की नजर दिल्ली के साथ हरियाणा विधानसभा चुनाव पर भी है। हरियाणा में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। अब तक हरियाणा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल अब मुख्य जिम्मेदारी निभा रही थी और वह अपनी चुनावी रैली में केजरीवाल को हरियाणा का बेटा बताते हुए जनता से वोट कराने की अपील कर रही है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का एलान कर इमोशनल दांव चला है।

हरियाणा में क्षेत्रीय पार्टियों के कमजोर होने से आम आदमी पार्टी इसे अपने मौके के रूप में देख रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार दो प्रमुख क्षेत्रीय इंडियन नेशनल लोकदल और जेजेपी अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है। 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 विधायकों के साथ किंगमेकर बनने वाली दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के प्रति लोगों ने नाराजगी नजर आ रही है। वहीं इंडियन नेशनल लोकदल में नेतृत्व का संकट और गुटबाजी उसके अस्तित्व के सामने चुनौती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी इसे अपने लिए एक मौके के तौर पर देख रही है। आम आदमी उन लोगों को एक अच्छे विकल्प की तरह दिखती है जो कांग्रेस या बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते। इसलिए आम आदमी पार्टी को हरियाणा में अपने लिए काफी संभावना नजर आ रही है।