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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 4 अगस्त 2016 (11:59 IST)

केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका, एलजी के पक्ष में फैसला...

Arvind Kejriwal
नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार को गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में उस समय बड़ा झटका लगा जब अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली सरकार को आयोग के गठन का अधिकार नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासनिक प्रमुख हैं।
 
एलजी के पक्ष में फैसला देते हुए अदालत ने केंद्र के राज्य में हस्तक्षेप को सही करार दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार की इस दलील में कोई दम नहीं है कि उपराज्यपाल मंत्रियों की परिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं। इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
 
अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 239एए का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और इसमें पॉवर केंद्र के पास होती है। 

कोर्ट ने यह भी साफ किया दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। दिल्ली सरकार को कोई भी नोटिफिकेशन जारी करने से पहले उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि एसीबी को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई से रोकने की केंद्र की 21 मई 2015 की अधिसूचना न तो अवैध है और न ही अस्थाई।

अदालत ने कहा कि सेवा मामले दिल्ली विधानसभा के अधिकारक्षेत्र से बाहर हैं और उपराज्यपाल जिन शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे असंवैधानिक नहीं हैं। 
 
उच्च न्यायालय ने सीएनजी फिटनेस घोटाले और डीडीसीए घोटाले में जांच आयोग बनाने के आप सरकार के आदेश को अवैध ठहराया क्योंकि यह आदेश उपराज्यपाल की सहमति के बिना जारी किया गया।
 
उच्च न्यायालय में आप सरकार के वकील ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ तत्काल अपील दायर करेंगे।