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Last Updated : मंगलवार, 26 जून 2018 (12:18 IST)

अरुण शौरी ने सर्जिकल स्ट्राइक को बताया फर्जीकल स्ट्राइक, मच गया बवाल

अरुण शौरी ने सर्जिकल स्ट्राइक को बताया फर्जीकल स्ट्राइक, मच गया बवाल - Arun Shourie says surgical strike to fargical strike
नई दिल्ली। कश्मीर पर अपनी पुस्तक को लेकर विवादों में आए कांग्रेस नेता सैफ़ुद्दीन सोज ने कहा कि कश्मीर की 'आज़ादी' संभव नहीं है और इसे भारतीय संविधान के तहत अपने साथ समाहित करना होगा। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने सर्जिकल स्ट्राइक को 'फ़र्जीकल स्ट्राइक' करार देते हुए आरोप लगाया कि चीन, पाकिस्तान और बैंक को लेकर मोदी सरकार के पास कोई नीति नहीं है। 

इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने सर्जिकल स्ट्राइक को 'फ़र्जीकल स्ट्राइक' करार देते हुए आरोप लगाया कि चीन, पाकिस्तान और बैंक को लेकर मोदी सरकार के पास कोई नीति नहीं है। शौरी ने कहा कि सिर्फ हिन्दू मुसलमान के बीच दूरी पैदा करके राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश की जा रही है।
 
उन्होंने इस पुस्तक विमोचन समारोह से दूरी बनाने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी ने यह कदम क्यों उठाया। 
 
कांग्रेस ने इस विमोचन समारोह से दूरी बनाई थी, लेकिन उसके नेता जयराम रमेश दर्शकदीर्घा में बैठे नजर आए। विमोचन समारोह में पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला और वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर भी शामिल हुए।
 
अपनी पुस्तक कश्मीर: गिलम्पसेज ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल' में विमोचन के मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सोज ने कहा कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के दो मौके चूक गए। पहला मौका अटल बिहारी वाजपेयी के समय और दूसरा मौका मनमोहन सिंह के समय था।
 
सोज ने कहा, 'मैं मुशर्रफ के विचार का समर्थन नहीं करता। यह सब (खबर) मीडिया ने कर दिया। मुशर्रफ ने खुद अपने जनरल से कहा था कि कश्मीर की आजादी संभव नहीं।' दरअसल, हाल ही में सोज की इस पुस्तक के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्होंने परवेज मुशर्रफ के उस बयान का भी समर्थन किया है कि कश्मीर के लोग भारत या पाक के साथ जाने की अपेक्षा अकेले और आजाद रहना पसंद करेंगे। 
 
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के एक बयान का हवाला देते सोज ने हुए कहा कि 'आज़ादी संभव नहीं, लेकिन भारतीय संविधान के तहत कश्मीर को समाहित (अकोमोडेट) करना होगा।' उन्होंने फिर कहा, 'यह मेरी पुस्तक है, इसका कांग्रेस से कोई लेनादेना नहीं है। इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं। इसमें मैने तथ्य सामने रखे हैं। मैंने शोध किया। बहुत अच्छी तरह शोध किया गया है। कांग्रेस को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।' 
 
सोज ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी को ‘महान नेता’ करार देते हुए कहा कि वाजपेयी और मुशर्रफ के समय कश्मीर मुद्दे के समाधान को लेकर पूरी सहमति बन गई थी, लेकिन ‘वाजपेयी के साथ सिस्टम’ नहीं था और यही वजह रही यह मौका चूक गया।
 
उन्होंने दावा किया कि मनमोहन सिंह के समय भी ऐसी स्थिति आई थी, लेकिन पाकिस्तान के हिंसक हालात की वजह से समाधान तक पहुंचना संभव नहीं हो पाया।
 
सोज ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल दोनों भारत के महान सपूत थे, लेकिन दोनों के रुख में फर्क था। दोनों भारत को मजबूत बनाना चाहते थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में नेहरू नहीं, बल्कि लॉर्ड माउंटबेटन ले गए थे।