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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : सोमवार, 25 जून 2018 (21:33 IST)

एनएसजी कमांडो करेंगे अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा

एनएसजी कमांडो करेंगे अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा - Amarnath Yatra NSG Commando Amarnath Yatra Terror Threat
श्रीनगर। इस बार की अमरनाथ यात्रा पर आतंकी खतरा किस हद तक मंडरा रहा है। इसी से साबित होता है कि रक्षामंत्री खुद सुरक्षा प्रबंधों को जांचने के लिए कश्मीर के दौरे पर हैं। और यह खतरा कितना है अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहली बार अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों की सुरक्षा की खातिर एनएसजी कमांडो तैनात किए गए हैं तथा बड़ी संख्या में ड्रोन की सहायता ली जाएगी।
 
28 जून (जिस दिन हिमलिंग के प्रथम दर्शन होंगे) से शुरू हो रहे अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को जम्मू कश्मीर पहुंचीं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमरनाथ यात्रा के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा इंतजामों का जायजा लेने के दौरान सीतारमण के साथ आर्मी के सीनियर कमांडर भी हैं।
 
अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा के लिए रक्षा मंत्री जम्मू कश्मीर के बालटाल बेस कैंप पहुंची। शीतकालीन राजधानी जम्मू से बालटाल और दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के दो बेस कैंप से लगभग 400 किलोमीटर यात्रा मार्ग को सुरक्षित रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की 213 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं। अमरनाथ गुफा समुद्र तल से 13500 फीट की ऊंचाई पर है।


 
अमरनाथ यात्रा के दौरान संभावित आतंकी हमले को देखते हुए केंद्र सरकार ने दो दर्जन एनएसजी कमांडो को कश्मीर में तैनात किया है। श्रीनगर शहर के अलावा दक्षिण कश्मीर में भी इन जवानों को तैनात किया गया है। सुरक्षा कारणों से इनकी लोकेशन को गुप्त रखा गया है।
 
तीर्थयात्रियों को पहलगाम रास्ते से तीर्थस्थल पहुंचने में चार दिनों का समय लगता है। बालटाल मार्ग से जाने वाले लोग अमरनाथ गुफा में प्रार्थना करने के बाद उसी दिन बेस कैंप लौटते हैं। दोनों मार्गों पर हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है।
यह सच है कि अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित संपन्न करवाने के लिए सुरक्षाबलों ने रणनीति तैयार कर ली है।
 
यात्रा मार्ग पर स्थित आधार शिविरों के अलावा 300 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर मल्टी टीयर सुरक्षा बंदोबस्त रहेंगे। सुरक्षा के पहले घेरे में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सशस्त्र सीमा बल, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के जवान तैनात रहेंगे।
 
इस वर्ष अमरनाथ यात्रियों के वाहनों पर नजर रखने के लिए उन्हें जीपीएस तकनीक से लैस किया जा रहा है। सीआरपीएफ के जवान जीपीएस तकनीक का संचालन करेंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग तथा आधार शिविरों पर शरारती तत्वों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी।
 
दूसरे घेरे में राज्य पुलिस, जबकि तीसरे में सेना के जवान तैनात रहेंगे। आतंकी हमले या फिर आपदा के दौरान सेना के जवान तीसरे घेरे से निकल कर सुरक्षा के पहले घेरे की कमान संभाल लेंगे। इस वर्ष आतंकी हमले के खतरे को गंभीरता से लेते हुए अमरनाथ यात्रा के दौरान साठ हजार पुलिस, अर्द्धसैनिक बल तथा सेना के जवान तैनात होंगे।
 
गत वर्ष करीब 70 हजार जवानों को तैनात किया गया था। ये जवान यात्रा के दोनों मार्गाे पहलगाम और बालटाल के अलावा सभी आधार शिविरों, जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर तैनात होंगे। विदित हो कि समुद्र तल से 13 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक हिमलिंग के दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
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