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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 12 नवंबर 2020 (15:53 IST)

एक्सप्लेनर : बिहार के बाद अब बंगाल विजय पर भाजपा की टिकी नजर?

एक्सप्लेनर : बिहार के बाद अब बंगाल विजय पर भाजपा की टिकी नजर? - After victory in Bihar, BJP's eye on Bengal assembly elections now?
बिहार विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद अब भाजपा की नजर पश्चिम बंगाल पर टिक गई है। बिहार चुनाव में एनडीए‌ की‌ जीत के पीछे प्रधानमंत्री ‌नरेंद् मोदी को गेमचेंजर माना जा रहा है और भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरा सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गया है। राजनीतिक‌ विश्लेषकों की मानें तो‌ मोदी ने महागठबंधन ‌के हाथों से‌ जीत छीनकर एनडीए को झोली में डाल‌ कर नीतीश कुमार के फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ कर दिया।
 
अब बंगाल पर नजर-बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अब सियासी चर्चा का केंद्र पश्चिम बंगाल हो गया है। बंगाल में अभी विधानसभा चुनाव होने में छह‌ से सात महीने का समय बाकी है,पर अभी‌ से ममता के गढ़ को भेदने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। बिहार चुनाव के बीच में ही गृहमंत्री अमित शाह के बंगाल के दो दिन के दौरे को बंगाल में भाजपा ‌के‌ चुनावी‌ रण के‌ आगाज से जोड़‌ कर देखा जा रहा हैं। 
 
चुनाव में तृणमूल से सीधी टक्कर- बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस 10  साल से सत्ता में है ऐसे में भाजपा इस बार ममता सरकार को सत्ता से बेदखल कर बंगाल में पहली बार भगवा झंडा फहराने की कोशिश में जुटी हुई है। 2016 में हुए विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना करें तो यह बात साफ हैं कि मुकाबला भाजपा और टीएमसी के बीच ही रहने वाला है। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों का वहां इतना प्रभाव नहीं है जो कुछ सालों पहले होता था। 
2019 के लोकसभा चुनाव से भाजपा को मिली उम्मीद- पिछले साल हुए पश्चिम बंगाल के लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्राप्त मतों के प्रतिशत ने भाजपा को पश्चिम बंगाल में नई उम्मीद जगा दी है। 2014 में भाजपा की बढ़त 28 विधानसभा क्षेत्रों में थी जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो यह बढ़कर 128 सीटों पर हो गई है। इससे यह भी साफ है कि भाजपा बंगाल में प्रमुख विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है। 
 
2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 40 सीटों पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस में सीधा मुकाबला था। लोकसभा में जहां भाजपा जीती वहां टीएमसी दूसरे नंबर पर रही है और जहां तृणमूल को सीटें मिली वहां दूसरे नंबर पर भाजपा थी। 2019 के‌ लोकसभा चुनाव में 10 से ज्यादा सीटों पर जीत हार का अंतर मात्र 5% या उससे भी कम था। 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी वहीं तृणमूल कांग्रेस की सीटें 34 से घटकर 22 रह गई थी कांग्रेस के लोकसभा चुनाव में 44.91% वोट हासिल हुए थे जबकि भाजपा ने 40.3 फीसदी वोट हासिल हुए थे।

भाजपा को कुल 2.30 करोड़ वोट मिले जबकि तृणमूल कांग्रेस को दो दशकों से 2.47 करोड़ वोट खास बात यह है कि भाजपा ने राज्य की 128 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की जबकि तृणमूल की बढ़त घटकर सिर्फ 158  विधानसभा सीटों पर रह गई थी। अगर 2021 की वोटिंग भी लोकसभा चुनाव के तर्ज पर इसी तरह हुई तो तृणमूल को बहुमत से सिर्फ 10 सीटें ज्यादा मिलेंगे।

वोटों के ध्रुवीकरण में जुटी भाजपा- वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश में भाजपा बंगाल में भाजपा की नजर वोटों के ध्रुवीकरण पर टिकी हुई है पिछले दिनों अपने 2 दिन के दौरे के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने ममता सरकार तक तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया गया भाजपा जानती है कि यदि हिंदू और उसके पक्ष में आया तो तृणमूल कांग्रेस की परेशानी बढ़ जाएगी और उसका बंगाल जीतने का सपना साकार हो जाएगा ऐसे में भाजपा की कोशिश है कि हिंदू वोट पूरी तरह एक जुट है।
 
पश्चिम बंगाल में भाजपा की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकरा आनंद पांडे ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में कहते हैं कि बंगाल में भाजपा पहले से ही पूरे जोर-शोर से चुनाव की तैयारियों में लगी थी और अब बिहार जीत ने उसके उत्साह को दोगुना कर दिया है। वह कहते हैं कि गृहमंत्री अमित शाह ने अपने दो दिन के दौरे के दौरान मंदिरों में दर्शन कर जिस तरह ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण की राजनीति पर सीधा हमला बोला वह हिंदू मतदाताओं को सीधा संदेश था।
भाजपा के हिंदू वोट बैंक पर नजर होने को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अच्छी तरह जानती है इसलिए उन्होंने इस बार दुर्गा पूजा पंडालों को 50 हजार रूपया और पुजारियों को भी पैसा देने जैसे फैसले भी किए लेकिन हिंदू मतदाता आज इसको चुनावी हथकंडे के रूप में देख रहा है।