मोहन भागवत के बयान से उठा सवाल, क्या राजनीति में राजनेताओं के रिटायरमेंट की हो सीमा?
राजनीति में क्या राजनेताओं की रिटायरमेंट की उम्र निश्चित होनी जाहिए, क्या राजनेताओं को एक उम्र के बाद सियासत से रिटायर हो जाना चाहिए, यह मुद्दा एक बार फिर सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान के बाद फिर से 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।
क्या कहा संघ प्रमुख मोहन भागवत ने?- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में संघ के वरिष्ठ प्रचारक मोरोपंत पिंगले के 75 साल पूरे होने पर उनको याद करते हुए कहा कि वरिष्ठ संघ प्रचारक मोरोपंत पिंगले ने एक बार कहा था कि जब 75 साल की उम्र की शॉल आपके कंधों पर डाली जाती है, तो इसका मतलब है कि आप अब एक निश्चित उम्र तक पहुंच चुके हैं और अब आपको पीछे हटकर दूसरों को काम करने देना चाहिए। मोहन भागवत ने मोरोपंत पिंगले की सहजता की तारीफ करते हुए कहा, वह शॉल उनके सम्मान का प्रतीक था, लेकिन उन्होंने इसके पीछे के गहरे अर्थ को समझा, कि यह एक पीढ़ीगत बदलाव का इशारा था. एक बिल्कुल हल्का इशारा कि अब युवा नेताओं को आगे आने देने का वक्त आ गया है। संघ प्रमुख ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब वह इस साल 11 सितंबर को 75 वर्ष की उम्र पूरी करेंगे।
संघ प्रमुख का बयान क्या मोदी के लिए संदेश?- विपक्ष संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्र से जोड़कर देख रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल 17 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे। विपक्ष इसे संघ और भाजपा मे टकराव और संघ की ओर से मोदी को एक नसीहत के तौर पर देख रहा है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के बाद एक बार फिर भाजपा के अंदरखाने यह चर्चा जोर पकड़ ली है कि क्या भाजपा में रिटायरमेंट की गाइडलाइन है।
दरसल 2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया यानि भाजपा के 75 साल के उपर के कई दिग्गज नेता एक झटके में सक्रिय राजनीति से बाहर हो गए है। ऐसे में अब जब केंद्र में मोदी को बतौर प्रधानमंत्री के कार्यकाल के 11 साल पूरे हो गए है और वह इस साल 75 वर्ष की उम्र पूरी कर रहे है तो संघ प्रमुख के 75 वर्ष के बयान के बाद अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि संघ पीएम मोदी को नई भूमिका में देखना चाह रहा है।
हलांकि भाजपा में 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट का कोई नियम है, इसको लेकर पार्टी के नंबर टू के नेता अमित शाह कई बार इंकार कर चुके है। वहीं गृहमंत्री अमित शाह पहले ही साफ कर चुके है कि नरेंद्र मोदी अपना तीसरा टर्म पूरा करेंगे। अमित शाह ने मीडिया को दिए अपने बयान मे कहा कि 75 साल में रिटायरमेंट का भाजपा के संविधान में कोई जिक्र नहीं है। मीडिया से चर्चा करते हुए अमित शाह ने कहा था कि नरेंद्र मोदी 75 साल के हो जाएं, इससे आपको आनंदित होने की जरूरत नहीं है। ये भाजपा के संविधान में कहीं नहीं लिखा है। मोदी ये टर्म पूरी करेंगे। मोदी ही आगे देश का नेतृत्व करते रहेंगे। बीजेपी में कोई कंफ्यूजन नहीं है।
राजनेताओं के रिटायमेंट उम्र की क्या हो सीमा?- संघ प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान के बाद अब देश में एक बार फिर राजनेताओं को रिटायमेंट को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। अगर देश की वर्तमान की राजनीति में देखे तो 75 साल के उम्र के उपर के कई नेता एक ओर अपनी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हो तो जमीन पर भी खासा सक्रिय है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रे के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे 82 वर्ष की उम्र में पार्टी का नेतृत्व कर रहे है वहीं सोनिया गांधी 78 वर्ष की उम्र मे पार्टी के अंदर काफी सक्रिय है। वहीं एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार 84 वर्ष की उम्र की काफी सक्रिय है।
वहीं लालू प्रसाद यादव 77 वर्ष की उम्र में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यश्र है तो बिहार से आने वाले जीतनराम मांझी 80 साल की उम्र में मोदी कैबिनेट में मंत्री है और पूरी ताकत के साथ बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रिय है। इसके अलावा चंद्रबाबू नायडू 75 साल की उम्र में आंधप्रदेश के मुख्यमंत्री है। वहीं कर्नाटक में भाजपा के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा 82 वर्ष की उम्र में 76 साल के कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को चुनौती देते नजर आते है। वहीं लेफ्ट पार्टी की अगुवनाई करने वाले वृंदा करात और प्रकाश करात 77 साल के है। अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो सूबे में कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ और दिग्गिजय सिंह 78 साल की उम्र में खासा सक्रिय है और भाजपा को चुनौती देते नजर आते है।
ऐसे में राजनीति में नेताओं की रिटारमेंट की उम्र को लेकर कई सवाल भी है। राजनीति में अनुभव को महत्व दिया जाता है। अगर देखा जाए तो इंद्रकुमार गुजराल 77 की उम्र में, चौधरी चरण सिंह 76 वर्ष की उम्र में, अटल बिहारी वाजपेयी 71 साल की आयु में, मनमोहन सिंह 71 साल की उम्र में, पीवी नरसिंह राव 69 की उम्र में, चंद्रशेखर 63 साल की उम्र में और नरेंद्र मोदी 63 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने और आज भी देश का नेतृत्व कर रहे है। ऐसे में जब देश या राज्य का नेतृत्व करने वाले राजनेता को परिपक्व और अनुभवी होना चाहिए तब राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र की बात करना बेईमानी लगती है।