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Last Updated : बुधवार, 28 फ़रवरी 2018 (15:52 IST)

कार्ति के बाद चिदंबरम भी निशाने पर हैं?

कार्ति के बाद चिदंबरम भी निशाने पर हैं? - After Karti, chidambaram may be the next
नई दिल्ली। देश के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की चेन्नई एयरपोर्ट से गिरफ्तारी के बाद संभावना जाहिर की जा रही है कि पी. चिदंबरम से भी पूछताछ की जा सकती है। और अगर उनके खिलाफ कोई मामला नजर आता है तो उन्हें भी हिरासत में लिया जा सकता है। 
 
सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि पी चिदंबरम के वित्त मंत्री पद पर रहते ही कार्ति की कंपनियों, चेस मैनेजमेंट सर्विसेज और एडवांटेज कंसल्टिंग लिमिटेड, द्वारा आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टचार के कथित मामलों को अंजाम दिया गया था। 
 
जबकि कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर सीबीआई का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए हैं। चिंदबरम का कहना है कि केंद्र सरकार सीबीआई का दुरुपयोग कर मेरे बेटे और उसके दोस्तों को टारगेट कर रही है और मुझे चुप करवाना चाहती है। एजेंसी मुझे लिखने से रोकना चाहती है इस कारण यह सब किया जा रहा है।
 
वहीं भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि एयरसेल-मैक्सिस डील केस में चिदंबरम को भी सीबीआई जांच के घेरे में लाया जाए। स्वामी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि एयरसेल को मलेशिया की मैक्सिस कंपनी को बेचा गया था और यह डील इंडियन टेलिकॉम नियमों के अनुसार नहीं हुई थी।
 
उन्होंने दावा किया था कि यह डील टेलिकॉम सेक्टर में 74 फीसदी एफडीआई नियम के विरुद्ध थी और चिदंबरम ने गैर कानूनी तरीके से विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को मंजूरी दी थी। सीबीआई भी तत्कालीन केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की ओर से 2006 में एयरसेल-मैक्सिस करार को एफआईपीबी की मंजूरी दिए जाने की परिस्थितियों की जांच कर रही है। 
 
वहीं चिदंबरम ने एक बयान जारी कर कहा था कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा मंजूरी दिए जाने में किसी भी तरह की धांधली नहीं की गई थी। उनका कहना है कि एफआईपीबी की मंजूरी कई मामलों में दी गई। एफआईपीबी में शामिल पांच सचिव और अन्य अधिकारी सरकारी कर्मचारी हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई मामला क्यों नहीं है? 
 
चिदंबरम का कहना है कि जब वह वित्त मंत्री थे तो हर मामले में नियमों के तहत कार्रवाई की गई और एफआईपीबी की अनुशंसा पर ही मंजूरी अथवा नामंजूरी दी गई। लेकिन सीबीआई उनके खिलाफ जल्दबाजी में कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती है।
 
जांच एजेंसी को पता है कि पी चिदंबरम सिर्फ नेता ही नहीं है बल्कि देश के जाने माने वकील भी हैं और वे इतनी आसानी से उनके जाल में नहीं फंस सकते हैं। कानून की बारीकियों को बहुत नजदीक से समझने वाले चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई कोई ठोस सबूत इकठ्ठा नहीं कर पाती है तो यह उसके लिए भी परेशानी का कारण साबित होगा।
 
कार्ति के खिलाफ यह कार्रवाई सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करने के बाद की है। उन पर आईएनएक्स मीडिया से जुड़े एक मामले में रिश्वत लेने और जांच को प्रभावित करने का आरोप है। आईएनएक्स मीडिया केस मामले में फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) के नियमों के उल्लंघन की जांच चल रही थी और इस मामले में कार्ति से सीबीआई कई बार पूछताछ कर चुकी है।
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