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Last Modified: शनिवार, 10 जून 2023 (19:11 IST)

AAP को उम्मीद अध्यादेश के खिलाफ रैली में 1 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद

AAP को उम्मीद अध्यादेश के खिलाफ रैली में 1 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद - Aam Aadmi Party to hold 'maha rally' against Centres ordinance on Delhi services, 1 lakh people expected to join
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण संबंधी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ रविवार को यहां रामलीला मैदान में महारैली करेगी, जिसमें 1 लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है। पार्टी की एक प्रवक्ता ने यह दावा किया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ सौरभ भारद्वाज, आतिशी और संजय सिंह सहित पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं के कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है।
 
आप की प्रवक्ता रीना गुप्ता ने कहा कि रैली में 1 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने लोगों को अध्यादेश और उनके दैनिक जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में अवगत कराने के लिए व्यापक अभियान चलाया है। गुप्ता ने कहा कि हमने व्यापक अभियान चलाया है, लोगों से संपर्क कर उन्हें अध्यादेश के बारे में बताया है कि यह उनके दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करेगा।
 
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को तीन बार चुना है और जनता के कल्याण के लिए जो योजनाएं बनाई जा रही हैं, अगर दिल्ली के अधिकारी मुख्यमंत्री के प्रति जवाबदेह नहीं हैं, तो उन्हें लागू नहीं किया जा सकता है।
 
गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह भी कहा गया है कि अगर नौकरशाह उनकी बात नहीं सुनेंगे तो एक चुनी हुई सरकार कैसे काम करेगी। दिल्ली के लोग परेशान हैं कि केंद्र इसे बदलने की कोशिश क्यों कर रहा है।
 
अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी के कदमों के बारे में पूछे जाने पर, भाजपा के नेता गौतम गंभीर ने आरोप लगाया कि दिल्ली में पिछले नौ वर्षों में ‘‘कोई विकास नहीं’’ हुआ।
 
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार केवल ‘‘दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए करदाताओं से पैसा इकट्ठा कर रही है। गंभीर ने आरोप लगाया कि इन नौ सालों में उन्होंने (अरविंद केजरीवाल) दिल्ली में क्या विकास किया?
 
केंद्र द्वारा 19 मई को जारी अध्यादेश में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया, जिसने सेवाओं से संबंधित मामलों पर कार्यकारी नियंत्रण को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है।
 
इससे पहले, 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर दिल्ली सरकार को अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापन सहित सेवा से संबंधित मामलों पर कार्यकारी नियंत्रण दिया था। Edited By : Sudhir Sharma
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