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Last Updated : गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019 (11:54 IST)

क्यों हो रही है दिल्ली सरकार और LG में जंग, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़ीं 7 बातें...

क्यों हो रही है दिल्ली सरकार और LG में जंग, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़ीं 7 बातें... - 7 key points of delhi govt vs lg case supreme courts decision
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। दो जजों की पीठ के फैसले के बाद भी मामला अभी पूरी तरह से सुलझा नहीं है। हालांकि कुछ मुद्दों जजों ने अपना फैसला साफ किया है। केंद्रीय कैडर के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दोनों जजों में मतभेद ही रहा, इसलिए इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है। इस मसले पर जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने सुनवाई की है। पेश मामले से जुड़े खास 7 बिंदु-
 
1.  फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि राजधानी में सभी एक्जीक्यूटिव अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही रहेंगे। जस्टिस अशोक भूषण ने भी कुछ मुद्दों पर जस्टिस सीकरी के साथ सहमति जताई, लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दोनों जजों में मतभेद ही रहा, इसलिए इस मुद्दे तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया गया।
 
2. दिल्ली में जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था से जुड़े सभी अधिकार केंद्र सरकार यानी उपराज्यपाल के पास ही रहेंगे। हालांकि यह अभी अंतिम फैसला नहीं है क्योंकि दो जजों की बेंच में मतभेद होता दिख रहा है।
 
3. जस्टिस सीकरी ने अपने फैसले में कहा कि किसी अफसर की नियुक्ति या फिर ट्रांसफर को लेकर उपराज्यपाल राज्य सरकार के मंत्रिमंडल की सलाह पर फैसला ले सकते हैं। सिकरी ने कहा कि IPS की ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक उपराज्यपाल और DANICS-DANIPS का फैसला मुख्यमंत्री के पास रहेगा। सिकरी ने सुझाव दिया कि DASS और DANICS के अधिकारियों के मुद्दे पर एक कमेटी का गठन किया जा सकता है।
 
5. जस्टिस सीकरी ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) पर भी केंद्र का ही अधिकार है, वहीं बिजली पर राज्य सरकार का अधिकार बताया। जस्टिस सीकरी ने कहा कि जांच आयोग बनाने का अधिकार केंद्र के पास है।
 
6. सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 के फैसले में कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता, लेकिन उप राज्यपाल के पास भी स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और उन्हें चुनी गई सरकार से परामर्श और सहयोग लेकर काम करना चाहिए।
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उप राज्यपाल मंत्रिपरिषद के फैसले से भले न सहमत हों, मगर उनकी आपत्तियां बुनियादी मुद्दों पर होनी चाहिए और उसके पीछे तर्क होना चाहिए।
 
7. सुप्रीम कोर्ट के जुलाई, 2018 के फैसले ने अगस्त 2016 में दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें कहा गया था कि केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण दिल्ली की सभी शक्तियां केंद्र के पास हैं न कि राज्य सरकार के पास।
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