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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भूमि पूर्वांचल तय करेगा यूपी का विजय मुकुट

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भूमि पूर्वांचल तय करेगा यूपी का विजय मुकुट - Purvanchal, the land of cultural nationalism, will decide the victory crown of UP
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का पांचवां चरण 27 फरवरी को संपन्न हुआ। चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर आ पहुंचा है। पूर्वांचल से तय होगा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की कुर्सी किसके हिस्से में रहेगी।

पूर्वांचल सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का गढ़ है। अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि है, तो गोरखपुर गुरु गोरखनाथ की भूमि है। इसी प्रकार कुशीनगर भगवान बुद्ध की भूमि है, तो काशी मुक्ति और ज्ञान नगरी है साथ ही प्रयाग पवित्र नदियों के संगम की भूमि है।

यह क्षेत्र सांस्कृतिक चेतना के साथ-साथ राजनीतिक रूप से बहुत उर्वरक है। विशेषकर हिंदुत्व का गढ़ है, प्रयोगशाला है जिसमें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का रंग बहुत ही गाढ़ा है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूर्वांचल का विकास हो रहा है तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस से सांसद हैं। इसलिए यह चुनाव और भी महत्त्वपूर्ण हो गया है। वहीं अखिलेश यादव द्वारा मुख्यमंत्री काल में किए गये पूर्वांचल के विकास के दावे आज चुनाव के मुद्दे बने हुए हैं।

पूर्वांचल की माटी क्षेत्रीय दलों से, क्षेत्रीय नेताओं से उर्वरक है। यहां की जनता जागरूक है। ऐसे में देखना यह होगा कि पूर्वांचल से कौन विजयी होता है और कौन सत्ता का मुकुट पहनता है, क्योंकि जीत का रास्ता यहीं से निकलेगा।

पूर्वांचल में राज्य के दस जिले आते हैं, जिनमें 61 विधानसभा क्षेत्र हैं। बलिया की सात सीटों पर छठे चरण में तीन मार्च को मतदान होगा,जबकि बनारस समेत चंदौली, गाजीपुर, मीरजापुर, भदोही, जौनपुर, आजमगढ़ और सोनभद्र की 54 सीटों पर सात मार्च को मतदान होगा।

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री कार्यकाल में पूर्वांचल के लिए बहुत से विकास कार्य हुए हैं। राज्य के पूर्वी क्षेत्र को पूरे देश से जोड़कर विकास के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए लगभग 341 किलोमीटर लम्बे और छह लेन चौड़े पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया गया। एक्सप्रेस-वे पर प्रवेश व निकासी के लिए 11 इंटरचेंज का प्रावधान किया गया।

लड़ाकू विमानों की लैंडिंग व टेकऑफ के लिए सुल्तानपुर में 3.2 किलोमीटर लम्बी हवाई पट्टी का निर्माण किया गया। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को गोरखपुर से जोड़ने के लिए लगभग 92 किलोमीटर लम्बे गोरखपुर एक्सप्रेस-वे का निर्माण करवाया जा रहा है। इसका कार्य प्रगति पर है।

14 हजार करोड़ रुपये से लगभग 297 किलोमीटर लम्बे बुन्देलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया जा रहा है। इससे बुन्देलखंड क्षेत्र आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के माध्यम से दिल्ली से जोड़ा जा सकेगा। मेरठ से प्रयागराज तक 594 किलोमीटर लम्बे गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को पूर्वी उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए पांच हजार एक सौ करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया। मेरठ से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए 93 प्रतिशत भूमि के अधिग्रहण का कार्य पूर्ण हो चुका है। यह उत्तर भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा। इससे 594 किलोमीटर की यात्रा साढ़े छह घंटे में पूर्ण की जा सकेगी। अभी तक इतनी दूरी तय करने के लिए कम से कम 11 से 12 घंटे का समय लगता है।

मेरठ से लखनऊ पहुंचने में केवल पांच घंटे लगेंगे। गंगा एक्सप्रेस-वे से मेरठ-प्रयागराज तक के 519 गांव जुड़ेंगे। एक्सप्रेस-वे छह लेन का होगा। इसे आगे भी बढ़ाया जा सकेगा। इस पर 51 हजार करोड़ रुपये व्यय होंगे। इसे 26 महीनों में पूरा करने की योजना है।

एक्सप्रेस-वे के निर्माण का प्रथम चरण 596 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें मेरठ, ज्योतिभा फुले नगर, हापुड़, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ तथा प्रयागराज जिले सम्मिलित होंगे। गंगा एक्सप्रेस-वे पर चलने वाले वाहनों की टॉप स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक सीमित रहेगी। प्रस्ताव के अनुसार गंगा एक्सप्रेस-वे में 14 बड़े और 126 छोटे पुल बनाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त आठ रोड ओवरब्रिज और 18 फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा। एक्सप्रेस-वे के रूट में पड़ने वाली गंगा नदी पर एक किलोमीटर का पुल और रामगंगा पर 720 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया जाएगा। इस एक्स प्रेस-वे पर नौ जन सुविधा परिसर, दो मेन टोल प्लााजा और 12 रैंप टोल प्लापजा बनाए जाएंगे।

एक्सप्रेस-वे के पास कई प्रकार के उद्योग खोलने की भी तैयारी है। इसके अतिरिक्त इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट तथा मेडिकल इंस्टीट्यूट की स्थापना भी होगी। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए 1107 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

बुन्देलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए 1492 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए 860 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के भूमि ग्रहण के लिए 7200 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई।

राज्य में हवाई सेवाओं पर भी कार्य किया जा रहा है। अयोध्या में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। ग्रेटर नोएडा में 1381 हेक्टेयर में अंतर्राष्ट्रीय ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित की गई। इसका कार्य जारी है। कुशीनगर हवाई अड्डा उड़ान के लिए तैयार है।

वर्ष 2017 तक केवल चार हवाई अड्डे लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर व आगरा थे। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रयागराज, कानपुर, हिंडन एवं बरेली हवाई अड्डे संचालित किए गए। इसके अतिरिक्त 13 अन्य हवाई अड्डे एवं एक हवाई पट्टी का विकास जारी है। इनमें अलीगढ़, आजमगढ़, श्रावस्ती, मुरादाबाद, चित्रकूट एवं म्योरपुर हवाई अड्डे शीघ्र पूर्ण होंगे।

आगामी कुछ वर्षों में राज्य में 21 हवाई अड्डे संचालित होंगे। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में अयोध्या के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डे के लिए 101 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जेवर हवाई अड्डे में पट्टियों की संख्या दो से बढ़ाकर छह करने का निर्णय लिया गया है। इस परियोजना के लिए दो हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। 

राज्य के अनेक शहरों में लोगों को मेट्रो की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा में मेट्रो का संचालन जारी है। आगरा में 3380 करोड़ रुपये की लागत से मेट्रो के निर्माण का कार्य जारी है। मेरठ में भी मेट्रो का कार्य प्रगति पर है।

गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज एवं झांसी में भी शीघ्र ही लाइट मेट्रो आरंभ की जाएगी। लखनऊ में आगे चरण में चारबाग से बसंत कुंज तक कुल 11.165 किलोमीटर मेट्रो मार्ग के निर्माण के लिए कार्यवाही प्रगति पर है।

11076 करोड़ रुपये की लागत से कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के 32.4 किलोमीटर लम्बे कॉरिडोर का निर्माण कार्य आरंभ हो चुका है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के लिए 597 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

आगरा मेट्रो रेल परियोजना के लिए 478 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरएसटीएस कॉरिडोर के निर्माण के लिए 1326 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राज्य में परिवहन सुविधाओं पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। वाराणसी से हल्दिया तक 1500 किलोमीटर राष्ट्रीय जलमार्ग क्रियाशील है। नेपाल के लिए बस सेवा संचालित है।

इसके अतिरिक्त 19 हजार 494 असेवित गांव परिवहन सुविधा से जोड़े गए। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए संकल्प बस सेवा का संचालन किया गया।

राज्य में ई-पेमेंट से जुर्माना भुगतान के लिए ई-चालान व्यवस्था लागू की गई। ई-चालान की व्यवस्था व्यवस्था वाला उत्तर प्रदेश देश का प्रथम राजय बन गया है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में राज्य के 23 प्रमुख बस अड्डों को पीपीपी पद्धति पर विकसित करने का निर्णय लिया है।

इसमें दो मत नहीं कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी को अनेकों उपहार दिए हैं, उससे पूर्वांचल के लोगों की आस बढ़ गई है। केंद्र और राज्य सरकार विकास के साथ हिन्दुत्व और सनातन संस्कृति का पुनर्जागरण के लिए अपने किए हुए कार्यों को जनता के बीच मे रख रही है। देखना यह दिलचस्प होगा की आगामी 10 मार्च को उत्तर प्रदेश का विजय मुकुट किसके माथे की शोभा बढ़ाती है।

(आलेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के निजी अनुभव हैं, वेबदुनिया का इससे कोई संबंध नहीं है।)
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