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Last Modified: रविवार, 16 नवंबर 2025 (19:02 IST)

आतंकवादी डॉक्टर का भारत जैसा ही एक जर्मन उदाहरण

Psychiatrist doctor attacks Christmas market in Germany
भारत में लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि जीवन-रक्षक डॉक्टर जीवन-भक्षक कैसे बन सकते हैं? बिल्कुल बन सकते हैं। ऐसा केवल भारत में ही नहीं हुआ है। ठीक इस समय जर्मनी में एक ऐसे ही मुकदमे की सुनवाई चल रही है। दिसंबर, 2014 के क्रिसमस त्योहार वाले दिनों में (इस समय दिल्ली जैसा ही एक वीभत्स आतंकवादी हत्याकांड) पूर्वी जर्मनी के माग्डेबुर्ग शहर में हो चुका है। वहां एक मुस्लिम मनोचिकित्‍सक डॉक्टर ने किसी विस्फोट के बदले क्रिसमस बाज़ार की भीड़ पर एक भारी-भरकम कार चढ़ाकर 5 प्राणों की बलि ले ली और 300 से भी अधिक लोगों को घायल कर दिया।

हमले वाले दिन वह बर्फ की तरह ठंडा था : इस आतंकवादी हत्याकांड की ठीक इन्हीं दिनों अदालती सुनवाई चल रही है। अभियुक्त तालेब ए. ने माग्डेबुर्ग में हुए अपने हमले का पहली बार विस्तृत विवरण दिया है। उसने अदालत को बताया कि हमले वाले दिन वह बर्फ की तरह ठंडा था। उसे पीड़ितों पर ज़रा भी दया नहीं आई।

2024 के दिसंबर में माग्डेबुर्ग के क्रिसमस बाज़ार पर हुए अपने हमले के बारे में पहले दिन तीन घंटे तक बोलते हुए तालेब ए. ने न केवल अपना अपराध स्वीकार किया, बल्कि कई चौंकाने वाले विवरण भी दिए। कहा, हमले वाले दिन वह बर्फ की तरह ठंडा था...। आखिरी सेकंड में लगा कि मेरे बचने की अब कोई उम्मीद नहीं है। उसने मान लिया था कि पुलिस उसे गोली मार देगी।

माग्डेबुर्ग की क्षेत्रीय अदालत से उसने कहा, फिर तो मैंने बस (कार की) गति खूब बढ़ा दी। 50 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उसने अपनी कार क्रिसमस बाज़ार की जनता पर चढ़ा दी। कोई पश्चाताप नहीं: तालेब ए. ने कथित तौर पर लंबे समय से इस हमले की योजना बना रखी थी।

20 दिसंबर, 2024 के दिन, उस समय 50 वर्षीय इस अरबी मनोचिकित्सक ने माग्डेबुर्ग के क्रिसमस बाज़ार में लोगों की भीड़ पर किराए पर ली गई 340 हॉर्स पावर की भारी-भरकम कार दौड़ा दी। लोक अभियोजक कार्यालय के अनुसार, उसकी यह कार एक मिनट और चार सेकंड तक चली।

अभियोग पत्र में कहा गया है कि अपनी कार से कुचलकर उसने एक नौ वर्षीय लड़के और 45 से 75 वर्ष की आयु की पांच महिलाओं की हत्या कर दी। 309 लोग घायल हुए। 29 अन्य लोग शारीरिक रूप से घायल नहीं हुए, हालांकि अभियोजन पक्ष उन्हें भी हत्या के प्रयास का शिकार मानता है। जांच के अनुसार, तालेब ए. ने कई हफ़्तों तक हमले की योजना बनाई और उसकी तैयारी की थी।

जैसे क्रिसमस बाज़ार में बस टहल रहा हो : तालेब ए. ने माग्डेबुर्ग के क्षेत्रीय न्यायालय में बताया कि कैसे उस जानलेवा हमले के दौरान उसने स्टीयरिंग व्हील दाईं ओर मोड़ा और उसकी कार क्रिसमस बाज़ार में घुस गई। उसे तो वास्तव में सबकुछ बहुत ही धीमा लग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे वह क्रिसमस बाज़ार में बस टहल रहा हो, उसे ऐसा बिलकुल नहीं लगा कि वह कोई कार चला रहा है- मुझे कोई चोट भी नहीं लगी।

क्रिसमस बाज़ार से कार बाहर निकलने पर ही उसे आभास हुआ कि इस बारे में तो उसने कुछ सोचा ही नहीं है कि अब वह आगे कहां जाएगा! विंडशील्ड के पार, उसे सामने केवल धुंधली-सी ललछौंही तस्वीरें दिखाई दे रही थीं। उसके कहने के अनुसार, तभी उसे एहसास हुआ कि विंडशील्ड पर ख़ून के बहुत सारे छींटे हैं, शायद लोग घायल हुए हैं। किंतु उसे न तो ज़रा-सी भी दया आई और न कोई अफ़सोस हुआ- अब वह बस जमकर हमला करना चाहता था।

सवालों से बचता रहा : तालेब ए. पीठासीन न्यायाधीश के इस सवाल से बचता रहा कि क्या उसने सोचा था कि उसके कृत्यों से निर्दोष लोग घायल हो सकते हैं और मर भी सकते हैं। न्यायाधीश ने यह भी पूछा कि एक डॉक्टर, जो लोगों की मदद किया करता था, वह 180 डिग्री भला घूम कैसे गया?

तालेब ए. जर्मनी में मनोरोग के एक अस्पताल में मनोचिकित्सक के रूप में मानसिक रूप से बीमार अपराधियों का इलाज किया करता था। इसकी याद दिलाने पर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। उसके कारनामे से प्रभावित जो लोग मुकदमे की सुनवाई के समय अदालत में उपस्थित थे, वे उसकी चुप्पी पर स्तब्ध रह गए। उनमें से कइयों को अपना आक्रोश दबाए रखने में भारी कठिनाई हो रही थी। सुनवाई में 180 वादी-सहवादी भाग ले रहे हैं।

भूख हड़ताल की घोषणा : तालेब ए. ने कोई उत्तर देने के बदले भूख हड़ताल की घोषणा कर दी। सऊदी अरब से कई वर्ष पूर्व जर्मनी में आकर रह रहे इस 51 वर्षीय मनोचिकित्सक ने जर्मन अधिकारियों के साथ अपने विवादों और सऊदी महिलाओं की समस्याओं के प्रति उनकी समझ और उनके समर्थन की कमी को अपने घातक अभियान का कारण बताया।

उसने कहा कि वह तो जर्मनी में सऊदी अरब की महिलाओं के प्रति जागरूकता फैलाना और दूसरों को चेतावनी देना चाहता था। इन महिलाओं ने आपराधिक आरोप दायर किए थे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। तालेब ए. ने मान लिया था कि मेरे सामने केवल दो ही विकल्प थे, या तो मैं जर्मनी छोड़ दूं या हमला कर दूं।

मुकदमे के पहले दिन की तरह वह दूसरे-तीसरे दिन भी अपनी गवाही के दौरान विषय से भटक गया। उसने अदालती सुनवाई का इस्तेमाल आत्म-प्रचार के लिए करने की कोशिश की। जर्मन पुलिस अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर मामलों को छिपाने और सऊदी महिलाओं के प्रति समर्थन की कमी की निंदा करने लगा।

न्यायाधीश ने फटकार लगाई : न्यायाधीश ने तालेब ए. को बार-बार फटकार लगाई। अदालत शुरू-शुरू में उसकी इस घोषणा से अप्रभावित दिखी कि वह फिर से भूख हड़ताल करेगा। न्यायाधीश ने ज़ोर देकर कहा, आप भूख या प्यास की हड़ताल करके मुकदमे में देरी या बाधा नहीं डाल सकते।

अभियोग- पत्र निमानुसार क्योंकि पढ़ा जा चुका है और तालेब ए. को गवाही देने का अवसर मिल चुका है, इसलिए मुकदमा उसके बिना भी जारी रह सकता है। सुनवाई सुन रहे लोगों के बीच हर बार यह बहस होती सुनी गई कि जब सुनो तब इस्लाम-भक्त ही आतंकवादी क्यों सिद्ध होते हैं?
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