हिमालय की गोद में एक यादगार यात्रा
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प्रमोद पहाड़ियाहिमालय पर्वत की बर्फ से लदी ऊँची पर्वत चोटियाँ सदैव से ही यहाँ आने वाले पर्यटकों को आकर्षित एवं उत्साहित करती है। उत्तरांचल राज्य की भूमि से प्रमुख रूप से भारत वर्ष की दो अति पावन और पवित्र नदियों गंगा और यमुना का उद्गम हुआ है। इसी अलौकिक प्राकृतिक सुंदरता को निहारने की चाहत में हम उत्तरांचल जा पहुँचे। हमारे १४ सदस्यीय दल में ४ पुरूष, ४ महिलाएँ और ६ बच्चे शामिल थे। हरिद्वार पहुँचने के पश्चात हम यहाँ की प्रसिद्ध गंगा आरती में सम्मिलित हुए और पवित्र गंगा माता के दर्शन किए। हरिद्वार में रात्री विश्राम के पश्चात अलसुबह ५ बजें हमने औली के लिए प्रस्थान किया। हरिद्वार से जोशीमठ का रास्ता टेढा-मेढा, सँकरा होने के कारण हमने १० घंटे में दूरी तय की। चारो तरफ फैली हरियाली, गंगा नदी का साथ एवं ऊँची बर्फीली चोटियाँ, बादल, झरने, रास्ते को बहुत खूबसूरत बना रहे थें। |
रोप-वे द्वारा २५ मिनट में हम औली के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचे। इसमें बैठने पर रोमांचकारी अनुभव हुआ। रोप-वे में सवारी करने के बाद रास्तें में ऐसा लगा जैसे हम स्वर्ग की सैर कर रहें हैं। चारों तरफ बर्फ ही बर्फ एवं बर्फ से लदी पहाड़ियाँ। |
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शाम को करीब ५ बजे हम जोशीमठ पहुँच गए। रात हमने यहीं पर रूकने का निश्चय किया, क्योंकि इतनी देरी से औली नहीं जाया जा सकता था। मअगले दिन सुबह औली जाने के लिए हम रोप-वे स्टेशन पहुँचे। वहाँ जा कर पता चला कि किन्हीं कारणों से रोप-वे नहीं चल रहा हैं, अतः हमने सड़क मार्ग द्वारा औली जाने का निश्चय किया। हम गाड़ी से रवाना हुए ही थे कि हमारी गाड़ी बर्फ पर स्केट करने लगी। पश्चात हम सभी ने उतर कर ट्रेकिंग करने का मन बनाया। जैसे ही गाड़ी से उतरे बर्फ के पहाड चारो तरफ रूई के ढेर जैसे लग रहे थे। पूरी सड़क बर्फ से ढँकी हुई थी। हम सभी ने पहली बार इतनी नरम बर्फ देखी। यहाँ दिन भर मस्ती करने के बाद वापस हमनें जोशीमठ की ओर प्रस्थान किया। रात होटल में गुजारने के बाद अगले दिन हम विश्व के दूसरे एवं भारत के सबसे लंबे रोप-वे, जो कि ४.१६ किमी लंबा है में बैठने के लिए पहुँचे। |
औली में भारत का प्रसिद्ध स्कीइंग प्रशिक्षण संस्थान भी हैं, जहाँ पर स्कीइंग का सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण दिया जाता है। यहाँ से सीखकर विश्व स्कीइंग प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाई किया जाता है। यहाँ की परिस्थितियाँ एवं ढलान स्नो स्कीइंग के लिए आदर्श हैं। |
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रोप-वे द्वारा २५ मिनट में हम औली के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचे। इसमें बैठने पर रोमांचकारी अनुभव हुआ। रोप-वे में सवारी करने के बाद रास्तें में ऐसा लगा जैसे हम स्वर्ग की सैर कर रहें हैं। चारों तरफ बर्फ ही बर्फ एवं बर्फ से लदी पहाड़ियाँ। इस सुंदरता ने सभी का मन मोह लिया। शिखर का तापमान इस समय शून्य से पाँच डिग्री नीचे था। हम सभी सदस्यों ने स्कीइंग का भी जमकर मजा लिया एवं यहाँ के विशेषज्ञों से स्कीइंग की बारिकीयों को सिखा। औली में .५० हैक्टेयर क्षेत्र में वनोषधियाँ लगाई गई थी। बच्चों के साथ बड़ों ने भी यहाँ स्नो कार्टिग का आनंद लिया।
औली के आनंद में और अभिवृद्धि बाकी थी, हम औली में स्नो कार्टिग का आनंद ले ही रहे थे, तभी बादल घिर आए और आसमान से मानो जैसे रूई के फोए नर्म बर्फ के रूप में गिर रहे थे। प्रकृति के इस रूप ने हमारे रोमांच को द्विगुणित कर दिया। हमने नेपाली लोकगीतों की धुन पर वहाँ के रहवासियों के साथ बर्फ के बीच अलाव जलाकर डांस किया। डांस के बाद नजरे उठाकर देखा तो देवदार के सभी वृक्ष बर्फ से ढँक चुके थें। औली में रूकने के लिए दो होटल हैं एक गढवाल पर्यटन निगम का एवं दूसरा आईटीसी का। जो लोग सुंदर एवं शांत वातावरण के शौकीन हैं, उन लोगों के लिए हिमालय की गोद में बसा औली से अच्छा कोई विकल्प नहीं हो सकता है।हमने अस्थाई रूप से जोशीमठ में पूजन हेतु स्थापित भगवान बद्रीनाथ के मंदिर के दर्शन भी किए। जब बद्रीनाथ में ६ माह के लिए पट बंद कर दिए जाते हैं, तब भगवान बद्रीनाथ की पूजा जोशीमठ में स्थित नृसिंह मंदिर में की जाती है। जोशीमठ में दर्शनार्थ शंकराचार्य का प्राचीन मंदिर एवं यहाँ से २० किमी दूर 'तपोवन' स्थान है, जहाँ गर्म पानी का कुंड हैं। हमने जोशीमठ से सुबह जल्दी ही ऋषिकेश की ओर कूच किया। ऋषिकेश में राम-लक्ष्मण झूला एवं प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करने के पश्चात रात्रि विश्राम ऋषिकेश में ही किया। अलसुबह हम देहरादून-मसूरी की ओर रवाना हुए। देहरादून में सहस्त्रधारा की सुंदरता ने सभी का मन मोह लिया। मसूरी के केम्पटी फाल का पर्यटक काफी संख्या में लुत्फ ले रहे थें। मसूरी में माल-रोड पर घुमने पर वहाँ की स्वच्छता और व्यवस्थित बनावट का नजारा देखते ही बनता हैं। मसूरी से सायंकाल ही प्रस्थान कर हम हरिद्वार पहुँचे। रात्रि विश्राम हरिद्वार में कर सुबह इंदौर के लिए प्रस्थान किया।