रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. चुनाव 2013
  4. »
  5. मिजोरम
Written By WD
Last Modified: गुरुवार, 5 दिसंबर 2013 (19:05 IST)

चुनाव कैसे होता है, मिजोरम से सीखो...

चुनाव कैसे होता है, मिजोरम से सीखो... -
FILE
सबसे अनोखा मिजोरम का चुनाव कहा जा सकता है। इससे दूसरे राज्य के राजनीतिज्ञ दलों के साथ वहां के नागरिक भी सीख ले सकते हैं। चुनाव आयोग भी यहां बेफिक्र नजर आया। इसका कारण यहां कम सीटें नहीं, बल्कि मिजोरम पीपुल्स फॉर्म (एमपीएफ) है। यह चर्च की एक संस्था है, जो खुद चुनाव की निगरानी करती है। मिजोरम में मतदाताओं ने भारी मतदान किया। यहां 81 प्रतिशत मतदान हुआ।

सभी पर निगाह : पार्टियों द्वारा बनाए गए घोषणा-पत्र में क्या होना चाहिए और क्या नहीं, इसका निर्णय भी एमपीएफ द्वारा लिया जाता है। एमपीएफ युवाओं, महिलाओं और समाज का प्रतिनिधित्व करता है। एमपीएफ सभी उम्मीदवारों के साथ पार्टियों के चुनाव खर्च पर भी निगाह रखती है।

सभी विरोधी एक मंच पर : चुनाव में खड़े विरोधी उम्मीदवारों को एमपीएफ एक मंच पर लाता है। इसके बाद सभी अपना भाषण देते हैं, वहां बैठी जनता सवाल करती है और वे जवाब देते हैं। कोई भी पार्टी इन चुनावों में शराबी उम्मीदवार खड़ा नहीं कर सकती।

न रैली, न ऑफिस : चुनाव के दौरान इस बार मिजोरम में किसी भी उम्मीदवार ने अपना कैंपेन दफ्तर नहीं बनाया और न ही कोई रैली निकाली। पार्टियां अपने घोषणा-पत्र और उम्मीदवार का बायोडाटा वाले पर्चे एमपीएफ के वॉलेंटियर्स को दे देती हैं, जो घर-घर जाकर इन्हें बांट देते हैं।

एमपीएफ का कोड ऑफ कंडक्ट
* पार्टियां शराबी को चुनाव में खड़ा नहीं कर सकतीं।
* सभी विरोधी पार्टियों के उम्मीदवार एक मंच पर आकर जनता से बात करते हैं।
* उम्मीदवार न तो कोई कैंपेन ऑफिस खोलते हैं और न ही रैली करते हैं।
* पार्टियों के घोषणा-पत्र और उम्मीदवारों के बायोडाटा एमपीएफ वॉलेंटियर्स बांटते हैं।
* महंगे व्यंजन बांटने, संगीत कार्यक्रमों और रोड शो की बिलकुल मनाही।