भाषण के पार विचार-विमर्श : संदर्भ टीवी न्यूज चैनल
भले ही पूरा देश इस बार स्वतंत्रता दिवस मना रहा हो लेकिन टीवी चैनलों में इस बार मायूसी ही नजर आई। न तो किसी के पास कोई प्लानिंग थी और न ही कोई पैकेज। न तो वह जोश दिखा और न ही देशप्रेम की बातें ही हिलोरें ले रही थीं। हालांकि खानापूर्ति सभी ने की लेकिन सभी ने अपने-अपने जरिए। स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ यानी 15 अगस्त, 2014 इस बार और हर वर्ष से अलग रही। चाहे प्रधानमंत्री का अलिखित भाषण हो या फिर विभिन्न मीडिया चैनलों द्वारा प्रसारित कार्यक्रम।आज तक पर सुबह 6 बजे पुण्य प्रसून वाजपेयी अपनी पूरी तैयारी के साथ कई खाली कुर्सियों सहित उपस्थित थे तो एनडीटीवी पर मेहराज दुबे नजर आए। हालांकि इससे पहले रवीश कुमार का प्राइम टाइम पर प्रसारित कार्यक्रम दिखाया जा रहा था जिसमें एनडीटीवी पर रवीश कुमार नेताओं को लेकर चुटकी ले रहे थे और इस शो में राजू श्रीवास्तव, भगवंत मान, प्रताप फौजदार से लेकर सुनील पाल तक मौजूद थे।एबीपी न्यूज ने इसे लेकर कोई खास तैयारी नहीं की थी और यही कारण था कि 14 अगस्त की शाम स्वतंत्रता दिवस जैसे अहम मुद्दों को छोड़ चुनाव को लेकर किए गए सर्वे दिखा रहा थे कि अभी यदि देश में चुनाव हुए तो किसे कितनी सीटें मिलेंगी।15
अगस्त की सुबह सूइयों की टिक-टिक जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही थी, नरेन्द्र मोदी का कवरेज बढ़ता जा रहा था। किसी चैनल पर वहां लोगों के आने की तैयारियों का जायजा लिया जा रहा था तो सुबह 4 बजे मेट्रो चलने और लोगों के सवार होने की फुटेज दिखाई जा रही थी।दिलचस्प है कि सुबह के 6 बजे लोकसभा चैनल पर मीडिया ऑनरशिप को लेकर उर्मिलेश आउटलुक पत्रिका की पत्रकार के अलावा जनसत्ता के संपादक ओम थानवी से बातचीत में मशगूल थे, जो पूर्व प्रसारित कार्यक्रम था।दिन के बढ़ने के साथ सारे टीवी चैनल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केंद्रित हो गए और अधिकतर चैनल तब जगे, जब वे राजघाट पहुंचे या फिर लालकिला।अधिकतर चैनलों ने डीडी से फुटेज लेकर अपने चैनल पर चलाई लेकिन प्रधानमंत्री के भाषण के बाद उसके विश्लेषण का सिलसिला शुरू हुआ। लेकिन यहां भी कुछ धुरंधर और अनुभवी चैनल मात खाते दिखे। मसलन अंग्रेजी चैनल एनडीटावी 24X7 ने डीडी नेशनल की जगह डीडी न्यूज के फुटेज को अपने स्क्रीन पर काट रखा था।नतीजा यह था कि एक ही चैनल पर तीन-तीन चैनल के लोगो दिख रहे थे। एनडीटीवी जहां सौजन्य डीडी न्यूज दिखा था, वहीं डीडी न्यूज पर डीडी नेशनल का फुटेज चल रहा था। डीडी न्यूज अपने स्क्रीन के आधे हिस्से पर डीडी नेशनल की लाइव तस्वीरें दिखा रहा था तो दूसरे हिस्से में उसकी एंकर भी दिख रही थी।इस मसले पर वरिष्ठ टीवी पत्रकार राय तपन भारती कहते हैं- 'जाहिर है, प्लानिंग की गड़बड़ी थी। उन्हें पता नहीं था कि फुटेज का ओरिजनल सोर्स क्या है जबकि एसाइनमेंट और एमसीआर के अनुभवी लोगों के लिए यह कोई नई बात नहीं है कि वर्षों से इस तरह के राष्ट्रीय आयोजन के लाइव प्रसारण की जिम्मेदारी डीडी के नेशनल चैनल की ही रही है और हम जैसे लोग सुबह से उसी को मॉनिटर कर रहे थे।'नरेन्द्र मोदी के भाषण के बाद एबीपी न्यूज पर कई नामी पत्रकारों और विशेषज्ञों ने उनके भाषण का आकलन किया और वे अपनी बात ट्विटर पर भी रख रहे थे। इनमें विजय विद्रोही, दिबांग, अशोक वानखेड़े, राशिद किदवई, अभिजीत भट्टाचार्य, शेष नारायण सिंह प्रमु्ख थे।गौरतलब है कि 14 अगस्त की रात तक स्वतंत्रता दिवस को इस चैनल ने कोई खास तवज्जो नहीं दी, बस रूटीन खबरों की तरह लिया। आज तक पर जहां इस मौके पर 'लालकिला गवाह बदलते भारतीय इतिहास का', 'जश्न-ए-आजादी : ये अंदाज है निराला', 'यहां हर दिल में तिरंगा बसता है जैसे कार्यक्रम पेश किया वहीं सुबह के वक्त से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषणों को लेकर पुण्य प्रसून वाजपेयी ने विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ बातचीत की। इनमें प्रमुख पत्रकार ओम थानवी और आलोक मेहता मौजूद थे।एनडीटीवी के सौरभ शुक्ला ने बताया कि कंटेंट के मामले में एनडीटीवी किसी से कमतर नहीं रहा। हां, यह बात जरूर है कि एनडीटीवी ने 'तिरंगा बनाने वाला गांव' के अलावा गुस्ताखी माफ में स्वतंत्रता दिवस पर 'आजादी की खिचड़ी' नामक कार्यक्रम चलाया।14
अगस्त की शाम जहां बड़ी खबर में अशोक चक्रधर और मालिनी अवस्थी देशप्रेम से जुड़ी बातें कर रही थीं, वहीं 10 बजे सिक्ता देव के साथ आरजे रौनक व सबसे युवा सांसद दुष्यंत चौटाला नजर आए थे।15
अगस्त को नरेन्द्र मोदी के भाषण को लेकर मेहराज दुबे अशोक वाजपेयी, विनोद शर्मा, परांजय गुहा ठाकुरता के साथ गहन विचार-विमर्श कर रहे थे। आईबीएन-7 भी सुबह में प्रधानमंत्री के भाषण के बाद पुरुषोत्तम अग्रवाल, अजय सिंह, शिवशक्ति नाथ बख्शी, गिरजा चौधरी से पत्रकार और एंकर तेजस्वी चंदोक तमाम मुद्दों पर बात कर रही थीं। इसके बाद पूरा समय सेव गंगा कैम्पेन में गया।राज्यसभा टीवी ने हालांकि कई शो जरूर पेश किए, जो अच्छे लगे। मसलन मनोज कुमार, प्रेम धवन, मिलिट्री डॉक्टरीन आदि पर आधारित था। इतना ही नहीं, इसी चैनल पर जलियांवाला बाग, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह आदि पर फिल्म डिवीजन की बनाई फिल्में प्रसारित कीं।राज्यसभा टीवी की दीप्ति ने बताया कि कई बेहतरीन प्रोग्राम हमारे यहां प्रसारित किए गए। देश के तमाम चैनलों मसलन जी टीवी, इंडिया टीवी, समय आदि पर प्रधानमंत्री के भाषण को लेकर विचार-विमर्श चल रहा था।सुबह के वक्त से ही डीडी न्यूज, लोकसभा चैनल के अलावा दूरदर्शन पर आजादी के गाने बज रहे थे तो कोई चैनल चांदनी चौक के इलाके की खूबसूरती के साथ-साथ वहां के दर्शनीय स्थलों की जानकारी दे रहा था।राष्ट्रीय चैनलों के मुकाबले इस बार क्षेत्रीय चैनलों में खूब जोश दिखा। ई टीवी, समाचार प्लस और टीवी 100 ने भी अपने स्क्रीन को तिरंगे में रंग रखा था।टीवी 100 पर सुबह मोदी का भाषण शुरू होने से आधे घंटे पहले जब ब्रेकिंग में ये पट्टी चली कि मोदी बिना बुलेटप्रूफ बॉक्स के भाषण देंगे, तो किसी ने खास गौर नहीं किया, लेकिन मोदी का भाषण शुरू होते ही हर चैनल ने इस बात को प्रमुखता देनी शुरू कर दी। इस मसले पर टीवी 100 के चैनल हेड उदय चंद्र सिंह कहते हैं- '14 अगस्त की शाम से ही यह खबर हमारे पास थी, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर इसका प्रसारण उचित नहीं समझा गया। जब सुबह लाल किले पर तैनात हमारे रिपोर्टर को किले के बुर्ज पर बुलेटप्रूफ बॉक्स नहीं दिखा, तो हमने इसे ब्रेकिंग के रूप में चलाना जरूरी समझा, लेकिन खबर पेश करने का नजरिया थोड़ा अलग था। हम अपने दर्शकों को यह बता रहे थे कि मोदी ने बिना लिखा भाषण और बिना बुलेटप्रूफ बॉक्स के भाषण देकर देश और दुनिया को ये संदेश देने की कोशिश की वे आगे जो भी करेंगे दिमाग से करेंगे और बेखौफ होकर करेंगे।बहरहाल, सवाल यह उठता है कि क्या स्वतंत्रता दिवस टीवी चैनलों के लिए महज खानापूर्ति बनी रहेगी, प्रधानमंत्री के भाषण पर विचार-विमर्श होता रहेगा या फिर कुछ नई चीजें भी न्यूज चैनलों पर देखने को मिलेंगी।