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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 3 जनवरी 2025 (12:27 IST)

मकर संक्रांति 2025 की तारीख, पुण्य काल, महत्व और मुहूर्त

makar sankranti:मकर संक्रांति 2025 की तारीख, पुण्य काल, महत्व और मुहूर्त - 14 january makar sankranti ka mahatva in hindi
Makar Sankranti 2025: इस बार वर्ष 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही रखा जाएगा। सूर्य 14 जनवरी मंगलवार को सुबह 09:03 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा। स्थानीय समयानुसार समय के भेद रहेगा। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। 
 
मकर संक्रांति का महत्व:
धार्मिक महत्व :
1. शनिदेव मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनिदेव के पिता सूर्यदेव है। सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है।
2. भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।
3. मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर गंगासागर में मेला लगता है।
 
वैज्ञानिक महत्व:
1. ऋतु परिवर्त का समय: मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होता है। शरद ऋतु का असर कम होने लगता है और बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती है।
2. उत्तरायण का समय: आमतौर पर सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करके पश्‍चिम में अस्त होता है, परंतु मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होकर दक्षिण और फिर पश्‍चिम की ओर गमन करके अस्त होता है। कर्क राशि में सूर्य जब जाता है तो वह दक्षिणायन होकर पश्‍चिम में अस्त होता है तो फलस्वरूप दिन छोटे होने लगते हैं और राते लंबी।
3. हालांकि सूर्य पौष मास से ही उत्तरायण होना प्रारंभ हो जाता है परंतु इस दौरान मलमास भी चल रहा होता है। इसलिए सूर्य के धनु से मकर में जाने के बाद ही उसे स्पष्टत: उत्तरायण माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य स्पष्ट तौर पर उत्तरायण गमन दिखाई देने लगता है। उत्तरायण के दौरान तीन ऋतुएं होती है- शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म। इस दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं। 
फसल कटाई का उत्सव: 
1. उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, तमिलनाडु आदि कई राज्यों में यह वक्त नई फसल काटने का होता है, इसलिए किसान मकर संक्रांति को प्रकृति के आाभर दिवस के रूप में मनाते हैं।
2. पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मकर संक्रांति को लोहड़ी के रूप में मनाते हैं। तमिलनाडु में पोंगल के तौर पर मनाते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी उत्सव के रूप में मकर संक्रांति बनाते हैं।
 
मकर संक्रांति से जुड़े त्योहार:
1. हिंदू धर्म में मकर संक्रांति से जुड़े कई त्योहार है जो स्थानीय समयानुसार और राज्यवार मनाए जाते हैं। जैसे लोहड़ी, पोंगल, उत्तरायण, माघ/भोगली बिहू आदि। 
2. पोंगल तमिलनाडु, केरल और आंध्रा प्रदेश में मनाया जाता है। उत्तरायण गुजरात में मनाया जाता है। लोहड़ी, हरियाणा और जम्मू में मनाया जाता है। माघ/भोगली बिहू असम और पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है।
 
मकर संक्रांति पर्व की परंपराएं:
1. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाकर खाने और खिलाने की परंपरा है। 
2. मकर संक्रांति के दिन पतंगोत्सव यानी पतंग उड़ाने की परंपरा भी है। खासकर गुजरात में बड़े पैमाने पर पतंग उत्सव मनाते हैं।
3. मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर आग जलाकर उसमें रेवड़ी, मूंगफली, तिल गुड, नई फसल आदि होम करके भी उत्सव मनाते हैं।
4. मकर संक्रांति पर गाय को हरा चारा खिलाने की परंपरा भी है।
5. मकर संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य देना और विष्णु पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा करने की परंपरा भी है।
6. मकर संक्रांति के अवसर पर देश के कई शहरों में मेले लगते हैं।
7. मकर संक्रांति पर तीर्थ दर्शन, नदी स्नान और दान पुण्य के साथ ही पितृ तर्पण करने की परंपरा भी है। 
 
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