मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चेहरे को लेकर खींचतान, दिग्गज नेताओं की आम सहमति बनाना बड़ी चुनौती?
नए साल में मध्यप्रदेश भाजपा का संगठन में अमूलचूल परिवर्तन होने जा रहा है। संगठन चुनाव के तहत 10 जनवरी तक पार्टी में जिला अध्यक्षों और 15 जनवरी तक पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है। पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों के चुनाव को लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक सियासी सरगर्मी तेज है। भोपाल में भाजपा दफ्तर में जिला अध्यक्षों के दावेदार और उनके समर्थकों का हुजूम लगा हुआ है। वहीं दिल्ली में प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं के बंगलों पर दावेदारी की भीड़ लगी हुई है।
कौन होगा मध्यप्रदेश भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष?-देश में भाजपा के सबसे मजबूत संगठन वाले राज्य में पार्टी की जिम्मेदारी किस चेहरे के मिलेगी इस पर अब सबकी निगाहें लग गई है, इसके साथ ही यह सवाल भी सियासी गलियारों में खूब सुर्खियां में है कि क्या मध्यप्रदेश को पहली महिला अध्यक्ष बनेगी। हर नए दिन के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर नए समीकरण सामने आते जा रहे है। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्म से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के होने के चलते इस बात की संभावना अधिक है कि सामान्य वर्ग से आने वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी। यहीं कारण है कि सामान्य वर्ग से आने वाले कई नेता भोपाल से दिल्ली तक सक्रिय है। सामान्य वर्ग से नए प्रदेश अध्यक्ष के संभावित नामों में पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया और पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का नाम प्रमुखता से लिय़ा जा रहा है। इसके अलावा विधायक रामेश्वर शर्मा, हेमंत खंडेलवाल और भगवान दास सबनानी भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है।
प्रदेश अध्यक्ष पर आम सहमति बनाना चुनौती?-भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच आम सहमति बनाना पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक बड़ी चुनौती है। सामान्य वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष के लिए जो नाम सबसे अधिक चर्चा में है वह है पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम है। पिछले नरोत्तम मिश्रा की पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात की तस्वीरें भी खूब चर्चा में रही। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भले ही विधानसभा चुनाव दतिया से हार गए हो लेकिन वह भोपाल से लेकर दिल्ली तक सक्रिय है। नरोत्तम मिश्रा के नाम पर प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं को एक साथ लाना पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक चुनौती होगा।
वहीं पन्ना से विधायक और पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में अब आगे नजर आ रहा है। पिछले दिनों बृजेंद्र प्रताप सिंह की दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। बृजेंद्र प्रताप सिंह की गिनती वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के करीबी नेताओं में होती है, ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत दिखाई दे रही है। इसके अलावा ग्वालियर-चंबल से आने वाले पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है और वह दिल्ली में खासा सक्रिय है।
मध्यप्रदेश भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को क्या पार्टी का केंद्रीय नेतृव्व एक और मौका देगा,यह भी सियासी गलियारों में चर्चा के केंद्र में है। दरअसल बतौर भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का उपलब्धियों से भरा हुआ है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जहां अब तक अपना सर्वेश्रष्ठ प्रदर्शन किया वहीं लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जीतकर नया इतिहास रच दिया है। बतौर भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा है। वीडी शर्मा की मजबूत संगठनात्मक क्षमता की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके है। ऐसे में अगर वीडी शर्मा को एक और मौका मिल जाए तो अचरज नहीं होगा।
भाजपा करेगी नया प्रयोग, महिला चेहरे को मिलेगी कमान?- मध्यप्रदेश भाजपा की कमान क्या किसी महिला चेहरे को मिलेगी यह भी सवाल भी सियासी गलियारों में खूब चर्चा के केंद्र में है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व क्या अपने सबसे मजबूत गढ़ में किसी महिला चेहरे को संगठन की कमान सौंपेंगा, इसकी भी अटकलें लगाई जा रही है। राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार, लोकसभा सांसद संध्या राय, पूर्व सांसद और वर्तमान में भाजपा विधायक रीति पाठक ऐसे नाम है जिनका संगठन में कामकाज का अच्छा अनुभव है और पार्टी पूरे देश में भाजपा संगठन को एक मैसेज देने के लिए इनमें से किसी चेहरे पर दांव लगा सकती है। दरअसल भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व संगठन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर पूरा जोर दे रहा है।
अध्यक्ष का चुनाव भाजपा के लिए चुनौती?-मध्य प्रदेश भाजपा के नए प्रदेश के नाम पर आम सहमति बनाना पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक बड़ी चुनौती है। दरअसल मध्यप्रदेश में पिछले कुछ सालों में भाजपा क्षत्रपों में बंट गई है। 2023 के विधानसभा चुनाव जब भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के दिग्गज चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा उसके बाद प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं में आपसी खींचतान लगातार दिखाई दे रही है। बात चाहे इंदौर-मालवा के दिग्गज चेहरे कैलाश विजयवर्गीय की हो या महाकौशल से आने वाले दिग्गज नेता प्रहलाद पटेल की या ग्वालियर-चंबल से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया की हो। यह सभी पार्टी के ऐसे क्षत्रप है जिनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं किसी से छिपी नहीं है।
ऐसे में पार्टी के नए प्रदेश के चेहरे को लेकर इन दिग्गज नेताओं के बीच आम सहमति बनाना भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक चुनौती होगी। विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सभी दिग्गज चेहरों को दरकिनार कर चौंकाने वाला फैसला करते हुए डॉ. मोहन यादव के नाम पर मोहर लगाई थी वैसा ही प्रयोग अगर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में कोई चौंकाने वाला फैसला करती है तो पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती होगी।