मध्यप्रदेश में नहीं बहाल होगी पुरानी पेंशन स्कीम,बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी शिवराज सरकार
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर पुरानी पेशन स्कीम का मुद्दा गर्माता जा रहा है। पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग को लेकर एक ओर जहां विपक्ष और कर्मचारी संगठन लगातार सरकार पर हमलावर है,वहीं दूसरी ओर सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का कोई विचार नहीं है। कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा की ओर से पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने साफ कहा कि 2005 के बाद नियुक्त हुए अधिकारियों-कर्मचारियों को पेंशन देने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
कांग्रेस ने बनाया चुनावी मुद्दा- वहीं दूसरी ओर विपक्ष में काबिज कांग्रेस लगातार सरकार पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का दबाव बन रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने लगातार दावा कर रहे है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर कर्मचारी संगठन लंबे समय से मांग कर रहे है।
पिछले दिनों बालाघाट में एक सभा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि मध्यप्रदेश में 12 महीने बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार बनेगी और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी जाएगी। कमलनाथ ने कहा कि "मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिर्फ कलाकारी की राजनीति करते हैं और झूठी घोषणाएं करते हैं। मैं घोषणा नहीं करता लेकिन आज घोषणा कर रहा हूं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी जाएगी"।
बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा-वहीं बुधवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में शिवराज सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। आज सदन की कार्यवाही के दौरान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कांग्रेस की ओऱ से दी गई अविश्वास प्रस्ताव की सूचना को स्वीकार करते हुए बुधवार को चर्चा का समय दिया।
आज सदन की कार्यवाही शुरु होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव का मुद्दा उठाते हुए विधानसभा अध्यक्ष से उस पर व्यवस्था की मांग की। कांग्रेस की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल को बाद अविश्वास प्रस्ताव पर 21 दिसंबर को चर्चा कराने का समय तय किया। अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस किसानों की कर्जमाफी, खाद की समस्या, नर्सिंग घोटाल, पोषण आहार घोटाला,खाद्यान घोटाला और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश में है। कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव के जरिए 51 मुद्दों के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस की ओर से लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार हर प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार है। कांग्रेस से अनुरोध है कि वह सदन में चर्चा से भागे नहीं और सरकार के जवाब को सुने।
विधायकों पर सबकी टिकी नजर-मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लाए जा अविश्वास प्रस्ताव को लेकर प्रदेश का सियासी पारा गर्म गया है। कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सत्ता पक्ष के दो विधायकों पर सबकी नजर टिकी रहेगी। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल लंबे समय से अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है ऐसे में सदन में उनके रूख पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। वहीं कांग्रेस के टिकट पर विधायक सचिन बिरला का भाजपा के साथ खड़े होना तकरीबन तय है। वहीं अविश्वास प्रस्ताव से पहले भाजपा नेता दावा कर रहे है कि कई और कांग्रेस विधायक भाजपा के साथ नजर आएंगे।