• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. Nepotism will become an issue in Madhya Pradesh assembly elections
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 19 दिसंबर 2022 (15:36 IST)

MP-2023 विधानसभा चुनाव में युवाओं को टिकट देगी BJP,परिवारवाद को दरकिनार कर नेता-पुत्रों को मिलेगा मौका?

MP-2023 विधानसभा चुनाव में युवाओं को टिकट देगी BJP,परिवारवाद को दरकिनार कर नेता-पुत्रों को मिलेगा मौका? - Nepotism will become an issue in Madhya Pradesh assembly elections
भोपाल। मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में ‘गुजरात फॉर्मूले’ के साथ चुनावी मैदान में उतरने जा रही भाजपा ने 200 पार का नारा दिया है। कटनी में भाजपा प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए “अबकी बार-दो सौ पार” के लक्ष्य के साथ 200 से अधिक सीटें जीतने का संकल्प लिया।

भाजपा 200 पार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विधानसभा चुनाव में नए और युवा चेहरों को मौका देने की तैयारी में है। मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि नौजवानों को अवसर देने का काम भारतीय जनता पार्टी करती है। मध्यप्रदेश में भी 2023 के चुनाव में भी नए लोगों को अवसर मिलेंगे। अब बार 200 पार के नारे के साथ इस दिशा में भाजपा रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी।

ऐसे में जब भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में नए चेहरों को मौका देने की तैयारी में है तो सबकी निगाहें इस बात पर टिक गई है कि क्या नए चेहरों में मध्यप्रदेश के उन नेता पुत्रों को भी टिकट मिलेगा जो लंबे समय से पार्टी में सक्रिय है और इन दिनों विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए उनकी खुद की पॉलिटिक्स लॉन्चिंग हो रही है। सवाल यह भी है कि भाजाप अपने 200 प्लस के टारगेट के लिए मध्यप्रदेश में अपनी परिवारवाद को लेकर बनाई गई गाइडलाइन को दरकिनार करेगी।
 ALSO READ: दक्षिण से उत्तर भारत तक राजनीति में हावी परिवारवाद की पूरी पड़ताल
टिकट के दावेदार नेता-पुत्र- मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए टिकट के दावेदारों मेंं नेता पुत्रों  की एक लंबी फेहरिश्त है जो टिकट के लिए अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे है। दिग्गजों नेता के बेटे चुनाव से पहले काफी सक्रिय है और वह इन दिनों विधानसभा क्षेत्रों में बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे है। अगर पार्टी हाईकमान गुजरात की तरह मध्यप्रदेश में भी 2023 के विधानसभा चुनाव में अपने दिग्गज नेताओं को टिकट नहीं देती है तो  यह नेता पुत्र टिकट के लिए अपनी प्रबल दावेदारी पेश करेंगे। 

कार्तिकेय चौहान-इनमें सबसे पहला नाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान का है। कार्तिकेय ने दिनों बुधनी विधानसभा क्षेत्र में बेहद सक्रिया है और लगातार वह बड़े कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे है। बुधनी विधानसभा क्षेत्र के रेहटी में कार्तिकेय चौहान की अगुवाई में प्रेम सुंदर क्रिकेट मेमोरियल टूर्नामेंट का आयोजन हुआ जिसके समापन समारोह में रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान औ भाजपा सांसद और क्रिकेट गौतम गंभीर शामिल हुए। 8 दिन के इस टूर्नामेंट में प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी शामिल होने पहुंचे। इसके साथ पिछले दिनों कार्तिकेय चौहान के नेतृत्व में रेहटी में रोजगार मेले का भी आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने शिरकत की।

सुकुर्ण मिश्रा-नेता पुत्रों की सूची में दूसरा नाम प्रदेश की सियासत में नंबर टू के नेता प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकुर्ण मिश्रा का नाम शामिल है। चुनाव से पहले सुकुर्ण मिश्रा दतिया विधानसभा क्षेत्र में काफी सक्रिय है। सुकुर्ण मिश्रा दतिया में धार्मिक आयोजन के साथ भूमिपूजन और लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल हो रहे है। पिछले दिनों दतिया गौरव दिवस पर निकाली गई मां पीतांबरा की भव्य शोभा यात्रा में सुकुर्ण की बड़ी भूमिका थी। सुकुर्ण लगातार कार्यकर्ताओं से संवाद कर खेलों माध्यम से भी युवाओं से जुड़ने की कोशिश कर रहे है।  

अभिषेक भार्गव-शिवराज सरकार में वरिष्ठ मंत्री और आठ बार के विधायक गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव चुनाव से पहले रहली विधानसभा में काफी सक्रिय है। अभिषेक भार्गव विधानसभा में हो  रहे बड़े धार्मिक आयोजन में यजमान की भूमिका में नजर आ रहे है। रहली विधानसभा में काफी बेहद सक्रिय अभिषेक भार्गव लगातार लोगों से मेल-मुलाकात करने के साथ बड़े-बडे आयोजन भी कर रहे है। अभिषेक भार्गव विधानसभा चुनाव में टिकट के प्रबल दावेदारों में से एक है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी उनका नाम खूब उछला था लेकिन ऐन वक्त पर खुद अभिषेक भार्गव ने खुद आगे आकर अपनी दावेदारी वापस ले ली थी।  
 

महाआर्यमन सिंधिया-कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया भी सामजिक जीवन में काफी सक्रिय है। पिछले दिनों एमपीसीए के पदाधिकारी के रूप में महाआर्यमन सिंधिया की एंट्री को भी सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है। महाआर्यमन सिंधिया को मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की 6 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया है। गौरतलब है कि माआर्यमन से पहले उनके दादा माधवराव सिंधिया और पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एमपीसीए के अध्यक्ष रह चुके है।  

नीतीश सिलावट-वहीं शिवराज कैबिनेट में मंत्री और सांवेर से विधायक तुलसी सिलावट के बेटे नीतीश सिलावट चिन्टू सिलावट भी अपनी सियासी जमीन तैयार करने में जुटे हुए है। पिछले दिनों सांवेर विधानसभा में हुई सात दिनों की श्रीमद् भागवत कथा के लिए जो आमंत्रण पत्र और बैनर पोस्टर छपे उस पर तुलसी सिलावट के साथ नीतीश सिलावट की फोटो नजर आई।  

सिद्धार्थ मलैया-2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर टिकट के प्रबल दावेदारों में पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया का नाम प्रमुखता से शामिल है। पिछले दिनों दमोह में जयंत मलैया के 75वें जन्मदिन पर जिस तरह से भाजपा के सभी दिग्गज नेता पहुंचे उसे चुनाव से  पहले जयंत मलैया के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया। सिद्धार्थ मलैया दमोह में बेहद सक्रिय है और उनकी भाजापा के साथ अन्य दलों से बढ़ती नजदीकियों ने भी चुनाव से पहले भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। 
 

मौसम बिसेन-बालाघाट से आने वाले भाजपा के दिग्गज नेता गौरीशंकर बिसेन के पुत्री मौसम बिसेन भी 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की प्रमुख दावेदार है। पिछले दिनों गौरीशंकर बिनेन ने भोपाल और बालाघाट में बड़े आयोजन को  मौसम बिसेन की पॉलिटिक्ल लॉन्चिंग के तौर पर देखा गया।  

देवेंद्र सिंह तोमर-वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर भी अपनी सियासी पारी शुरु करने  की तैयारी में है। देवेंद्र सिंह तोमर भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य है। देवेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर से विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे है।

इसके साथ 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए  कैबिनेट मंत्री कमल पटेल के पुत्र सुदीप पटेल, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के पुत्र मंदार महाजन, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह, पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित शेजवार भी टिकट के दावेदारों में से एक है।  

2018 में कई चेहरों को मिला था मौका-2023 के विधानसभा चुनाव में अगर नेता पुत्र टिकट की दावेदारी कर रहे है तो इसकी बड़ी वजह 2018 के विधानसभा चुनाव में कई नेता पुत्रों को टिकट मिला था। 2018 के विधानसभा चुनाव में एक दर्जन से अधिक ऐसे चेहरों को टिकट मिला था जिनका बैकग्राउंड परिवारवाद ही था।  

इसके साथ अगर प्रदेश की राजनीति के अगर पन्नों के पलटे को पता चलता है कि परिवारवाद के सहारे सक्रिय राजनीति में एंट्री करने वाले नेताओं की एक लंबी चौड़ी सूची है। इनमें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय, कैलाश सांरग के पुत्र विश्वास सांरग, कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी, सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ईश्वादास रोहाणी के पुत्र अशोक रोहाणी और पूर्व नेता प्रतिपक्ष विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा जैसे प्रमुख नाम हैं।

हार मंजूर पर परिवारवाद को बढ़ावा नहीं!-मध्यप्रदेश में  नेता पुत्रों के राजनीति में सक्रिय होने पर सवाल पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भोपाल में कहा था कि वह पार्टी (संगठन) के लिए काम करें अच्छी बात है लेकिन जहां तक प्रतिनिधित्व की बात है तो पार्टी कार्यकर्ता को ही आगे बढ़ाएगी। जेपी नड्डा ने साफ कहा था कि सियासी परिवार से आने वालों को टिकट नहीं देने की पार्टी की लाइन एकदम साफ है और यहीं नीति मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव में लागू होगी। नड्डा ने साफ कहा था कि मध्यप्रदेश में पिछले दिनों उपचुनाव पार्टी को हार का सामना करना पड़ा लेकिन परिवारवाद को किनारे रखा गया।
ये भी पढ़ें
Corona in China : चीन में फिर काल बना कोरोना, 10 लाख लोगों की हो सकती है मौत